थर थर कांप रहे रूस-चीन और अमेरिका! परमाणु युद्ध की ओर बढ़ता ब्रिटेन? राष्ट्रपति ने उठाया ऐसा कदम...दहशत में दुनिया

Keir Starmer nuclear decision: कीर स्टार्मर सरकार ने आधिकारिक तौर पर एलान किया है कि वह अमेरिका से कम से कम 12 F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने जा रही है—ये वही विमान हैं जो अमेरिका के घातक B61-12 परमाणु बम को ले जाने की क्षमता रखते हैं। यह कोई सामान्य डिफेंस डील नहीं है।

Harsh Srivastava
Published on: 25 Jun 2025 6:36 PM IST
थर थर कांप रहे रूस-चीन और अमेरिका! परमाणु युद्ध की ओर बढ़ता ब्रिटेन? राष्ट्रपति ने उठाया ऐसा कदम...दहशत में दुनिया
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Keir Starmer nuclear decision: यूरोप की फिजाओं में अचानक हलचल है, आसमान की ऊंचाइयों से परमाणु बादलों की आहट सुनाई देने लगी है, और रूस की सीमाओं के पार बेचैनी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ऐसा कदम उठा लिया है, जो न केवल रूस और चीन को झटका दे सकता है, बल्कि अमेरिका को भी यह सोचने पर मजबूर कर देगा कि उसके पुराने साथी अब अपने ही रास्ते पर चलना चाहते हैं। अब ब्रिटेन खुद अपने कंधों पर परमाणु शक्ति की बंदूक रख रहा है।

F-35 जेट्स से लैस होगा 'परमाणु इंग्लैंड'

ब्रिटिश वायुसेना—Royal Air Force—अब 1990 के बाद पहली बार फिर से परमाणु हथियारों को हवा में ले जाने की स्थिति में आ जाएगी। कीर स्टार्मर सरकार ने आधिकारिक तौर पर एलान किया है कि वह अमेरिका से कम से कम 12 F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदने जा रही है—ये वही विमान हैं जो अमेरिका के घातक B61-12 परमाणु बम को ले जाने की क्षमता रखते हैं। यह कोई सामान्य डिफेंस डील नहीं है। यह एक ऐसा बयान है जिसे रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के शी जिनपिंग रातों में नींद से जगकर कई बार पढ़ेंगे। क्योंकि अब ब्रिटेन सिर्फ बातों से नहीं, परमाणु ताकत से जवाब देने की तैयारी में है।

नाटो में ‘नया शेर’, अमेरिका को आंख दिखा रहा है यूरोप!

यह फैसला केवल एक रक्षा सौदा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है—वो भी अमेरिका को। डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यूरोपीय देशों से कह चुके हैं कि उन्हें अपनी रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहना बंद करना चाहिए और अपने GDP का 5% रक्षा खर्च में लगाना चाहिए। इसका सीधा और करारा जवाब कीर स्टार्मर ने दिया है। वह अब हेग में नाटो शिखर सम्मेलन में आधिकारिक रूप से बताएंगे कि ये नया परमाणु स्क्वाड्रन नाटो के नेतृत्व वाले डिटेरेंस (निरोधक) मिशन का हिस्सा बनेगा। यानी अब अमेरिका अकेला परमाणु प्रहरी नहीं रहेगा—ब्रिटेन खुद भी हाथ में बटन लेकर खड़ा होगा।

परमाणु खामोशी में छुपी है विस्फोट की धमक

ब्रिटेन की ये घोषणा ऐसे समय में आई है जब दुनिया पहले से ही एक संभावित विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन की परमाणु धमकियों, चीन की ताइवान पर आक्रामक नीति और ईरान-इजरायल टकराव ने वैश्विक स्थिरता को एक धागे से लटका दिया है। और अब उस धागे पर F-35 जैसे परमाणु वाहक विमानों का वजन बढ़ा दिया गया है। यह सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, कूटनीतिक चेतावनी है—और ये चेतावनी गोलियों से नहीं, बमों से दी जा रही है।

“हम अब शांति को हल्के में नहीं ले सकते”—कीर स्टार्मर का खौफनाक बयान

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपनी घोषणा में जो शब्द इस्तेमाल किए, वो शांतिप्रिय नहीं, बल्कि रणनीतिक हमलावरों जैसे थे। उन्होंने कहा,“यह नया स्क्वाड्रन हमारी रॉयल एयर फोर्स के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा… और यह उन दुश्मनों को रोकेगा जो ब्रिटेन और हमारे सहयोगियों को धमकाते हैं।” यानी अब किसी भी परमाणु धमकी का जवाब—‘हम भी तैयार हैं’ की भाषा में मिलेगा।

रूस और चीन के लिए खुली चेतावनी?

रूस, जो पहले ही नाटो से भिड़ने की मुद्रा में है, अब ब्रिटेन की इस घोषणा के बाद और अधिक आक्रामक हो सकता है। चीन, जो अपनी वायु और नौसैनिक ताकत को लगातार बढ़ा रहा है, यूरोप की ओर से आए इस ‘परमाणु जवाब’ से बेचैन जरूर हुआ होगा। विश्लेषकों का कहना है कि “यह कदम सिर्फ नाटो के भीतर शक्ति संतुलन नहीं बदलेगा, बल्कि वैश्विक परमाणु रणनीति की दिशा भी तय करेगा।”

नाटो चीफ ने ठोकी ताल—"ये है नया ब्रिटेन!"

नाटो महासचिव मार्क रूटे ने इस फैसले को "ऐतिहासिक" करार देते हुए कहा कि ब्रिटेन दशकों से नाटो के लिए परमाणु समर्थन देता रहा है, लेकिन अब वह खुद भी सक्रिय ऑपरेशनल रोल में आ रहा है। ये सिर्फ एक वायुसेना का सशक्तिकरण नहीं, बल्कि पूरे यूरोप का एकजुट होना है। अमेरिका को आंख में आंख डालकर कहना है— "अब हम तुम्हारे पीछे नहीं, तुम्हारे साथ खड़े हैं।"

क्या ब्रिटेन ने परमाणु युद्ध की घड़ी को और करीब ला दिया है?

जैसे-जैसे दुनियाभर की राजधानियों में इस घोषणा की गूंज पहुंचेगी, डर का साया और गहरा होगा। अब ब्रिटेन भी उन देशों की कतार में आ खड़ा हुआ है जिनके पास परमाणु हमले की न केवल क्षमता है, बल्कि तैयारी भी है। और सबसे खतरनाक बात ये है—यह सब ‘रक्षा’ के नाम पर किया जा रहा है। लेकिन इतिहास गवाह है… जहां रक्षा के नाम पर हथियार उठते हैं, वहां युद्ध दूर नहीं होता। आगे क्या होगा? दुनिया देख रही है… और शायद, कांप भी रही है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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