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ट्रंप बोले 'ईरान खत्म! 'फोर्डो उड़ गया, लेकिन असली बम तो... अमेरिका को चकमा देकर ईरान ने रख दी न्यूक्लियर तबाही की नींव ?
Iran nuclear program: जहां ट्रंप ने गर्व से यह घोषणा की कि उन्होंने ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को "जड़ से खत्म" कर दिया है, वहीं दूसरी ओर कुछ रहस्यमयी सेटेलाइट तस्वीरों और खुफिया रिपोर्ट्स ने इस जीत को झूठा और अधूरा साबित कर दिया। 400 किलोग्राम यूरेनियम—हां, पूरा 400 किलो—फोर्डो साइट से अचानक गायब हो गया है।
Iran nuclear program: 20 जून की सुबह जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सामने आकर यह ऐलान किया कि अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स ने ईरान की परमाणु धड़कनों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान को तहस-नहस कर दिया है, तब वॉशिंगटन से लेकर तेल अवीव और तेहरान तक एक सिहरन दौड़ गई। यह सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं था, यह एक रणनीतिक संदेश था—"हम तुम्हारे दिल में घुस सकते हैं और उसे मिटा भी सकते हैं!" लेकिन इस हमले के ठीक 24 घंटे के भीतर जो खबरें निकलकर सामने आईं, उन्होंने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की जीत को एक भयानक भ्रम साबित कर दिया।
बर्बाद हुई साइट्स... लेकिन बच गया असली हथियार?
जहां ट्रंप ने गर्व से यह घोषणा की कि उन्होंने ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को "जड़ से खत्म" कर दिया है, वहीं दूसरी ओर कुछ रहस्यमयी सेटेलाइट तस्वीरों और खुफिया रिपोर्ट्स ने इस जीत को झूठा और अधूरा साबित कर दिया। 400 किलोग्राम यूरेनियम—हां, पूरा 400 किलो—फोर्डो साइट से अचानक गायब हो गया है। सवाल ये नहीं है कि इसे कहां रखा गया, सवाल ये है कि इसे कब और कैसे वहां से हटाया गया? सूत्रों के मुताबिक, ईरान इस यूरेनियम को राजधानी तेहरान से 150 किलोमीटर दूर 'पिकैक्स माउंटेन' यानी कोह-ए-कोलांग गज़ ला की गहराइयों में छुपा चुका है। यह वही जगह है, जहां न तो अमेरिकी सैटेलाइट झांक सकते हैं, न इज़राइली जासूस ड्रोन।
'पिकैक्स माउंटेन'—जहां बम भी पहुंचने से डरते हैं!
बड़ी-बड़ी सुरंगों और स्टील-लेपित दरवाज़ों से सुरक्षित यह पहाड़ी बेस इतना गहरा और संरक्षित है कि अमेरिका की सबसे उन्नत GBU-57 पेनिट्रेटिंग बम भी इसे पूरी तरह तबाह नहीं कर सकते। कहा जाता है कि चार विशाल सुरंग प्रवेशद्वारों से इस अज्ञात परिसर में प्रवेश संभव है और यही इसे लगभग अविनाशी बनाता है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थान (ISIS) की अप्रैल 2025 की सैटेलाइट तस्वीरों से पुष्टि हुई है कि ईरान इस इलाके में एक नई परमाणु सुविधा का निर्माण कर रहा है, जो फोर्डो से भी गहराई में स्थित है। तो अब सवाल उठता है—क्या अमेरिका और इज़राइल ने जिसे ईरान की हार समझा, वह दरअसल ईरान की एक नई जीत है?
ट्रंप की दहाड़ के पीछे छुपी बेचैनी?
20 जून की घोषणा के तुरंत बाद ट्रंप ने एक और चौंकाने वाली बात कही—"अगर ईरान न्यूक्लियर डील मान ले, तो बातचीत संभव है।" ये बात सुनकर कई जानकार चौंक गए। सवाल उठा—अगर ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, तो डील की ज़रूरत क्यों? विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप का हमला एक रणनीतिक जुआ था। उन्होंने ईरान की पूर्व-स्थापित साइट्स को निशाना बनाकर यह मान लिया कि पूरी गेम खत्म हो चुकी है। लेकिन ईरान ने शायद अपना असली दांव हमले से पहले ही खेल दिया था।
IAEA को मिला ‘जहर भरा जवाब’, दुनिया सन्न!
जब इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक ने ईरानी अधिकारियों से पूछा कि पिकैक्स माउंटेन के नीचे क्या हो रहा है, तो जवाब आया— "ये आपका मामला नहीं है।" ये एक सीधा और भयानक संदेश था कि ईरान अब किसी की निगरानी में नहीं, और शायद किसी नियम का पालन करने को तैयार नहीं।
ईरान अब और खतरनाक, और बेखौफ हो चुका है
ट्रंप और नेतन्याहू सोच रहे होंगे कि उन्होंने ईरान की रीढ़ तोड़ दी है, लेकिन अंदरखाने अब ईरान और भी आक्रामक हो गया है। पिकैक्स माउंटेन की गहराई से अब नया खतरा जन्म ले रहा है, एक ऐसा खतरा जो दिखेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। कई रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि ईरान ने इस अज्ञात स्थल में बेहद उन्नत सेंट्रीफ्यूज स्थापित किए हैं, जो बहुत तेज़ी से -- weapons-grade यूरेनियम बना सकते हैं। अगर ये सच है, तो अगली बार जब दुनिया को कोई धमाका सुनाई देगा, वह शायद सिर्फ बम नहीं होगा... वो ईरान का जवाब होगा!
क्या पिकैक्स से फूटेगा तीसरा विश्व युद्ध का ज्वालामुखी?
अमेरिका की बमबारी से जो दहशत पैदा हुई थी, अब उससे कहीं ज़्यादा डर उस जगह से उठ रहा है, जिसका नाम किसी मैप पर नहीं और जिसका अस्तित्व अभी तक काल्पनिक माना जा रहा था—पिकैक्स माउंटेन। अब पूरी दुनिया एक सवाल से कांप रही है— क्या ट्रंप ने अपने ही हाथों एक नई वैश्विक तबाही का रास्ता खोल दिया है? क्या ईरान ने अपनी हार को जीत में बदल दिया है? और क्या अगला धमाका तेहरान से नहीं, बल्कि पिकैक्स की गहराई से आएगा—जिसे रोक पाना अब किसी के बस में नहीं होगा? यह सिर्फ न्यूक्लियर हमले की खबर नहीं... यह उस सन्नाटे की आहट है जो दुनिया की नींव हिला सकती है!
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