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बंद कराइए ये पागलपन! अब कोई नहीं बचेगा,’ तुर्किए ने खोला तीसरे विश्व युद्ध का राज़ – यूरोप तक बहेगा मौत का सैलाब
Turkey Erdogan reveals nuclear threat to Europe: तुर्किए की चिंता यूं ही नहीं है। ईरान उसके ठीक बगल में है। इजराइल द्वारा दागी गई मिसाइलें अगर निशाने से चूक गईं या ईरान की जवाबी कार्रवाई में सीमा पार हुई तो तुर्किए भी इसकी आग में झुलस जाएगा।
Turkey Erdogan reveals nuclear threat to Europe: क्या दुनिया अब धीरे-धीरे तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? क्या परमाणु हथियारों की आग में सिर्फ ईरान और इजराइल ही नहीं, बल्कि पूरा यूरोप जलने वाला है? मिडिल ईस्ट से उठता युद्ध का धुआं अब पूरी दुनिया को अपने आगोश में लेने की तैयारी कर चुका है। और इस बार चेतावनी किसी और ने नहीं, बल्कि तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने दी है। एर्दोआन ने साफ-साफ कहा है कि अगर यह जंग नहीं रुकी तो आने वाले दिनों में दुनिया की हर गली में बारूद की गंध फैलेगी। एक ओर इजराइल ईरान पर लगातार मिसाइल बरसा रहा है, दूसरी तरफ ईरान भी जवाबी हमला कर रहा है। मगर इस युद्ध का असली डर अब तक सामने नहीं आया था — परमाणु तबाही का डर। तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने दुनिया को वही डर दिखाया है जिससे अब तक सब आंख मूंदे बैठे थे। उन्होंने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से फोन पर बातचीत कर कहा कि ये जंग अगर अभी नहीं रोकी गई तो जल्द ही पूरी दुनिया को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
तुर्किए पर मंडराता खतरा: मिसाइल, पलायन और परमाणु तबाही
तुर्किए की चिंता यूं ही नहीं है। ईरान उसके ठीक बगल में है। इजराइल द्वारा दागी गई मिसाइलें अगर निशाने से चूक गईं या ईरान की जवाबी कार्रवाई में सीमा पार हुई तो तुर्किए भी इसकी आग में झुलस जाएगा। एर्दोआन ने चेतावनी दी कि मिसाइलों का डर तो सिर्फ शुरुआत है, असली खतरा उस वक्त शुरू होगा जब लाखों ईरानी नागरिक अपनी जान बचाने के लिए तुर्किए की सीमा की ओर दौड़ेंगे। पहले से ही आर्थिक संकट में डूबे तुर्किए के लिए ये मानवीय संकट किसी सुनामी से कम नहीं होगा। लेकिन इससे भी बड़ा खतरा है – परमाणु हथियारों का इस्तेमाल। एर्दोआन ने दुनिया के सामने वो सच रखा जिसे हर बड़ा नेता जानता है लेकिन बोलने से डरता है। अगर इस युद्ध में किसी भी तरफ से परमाणु बम का इस्तेमाल हुआ तो इसका असर सिर्फ ईरान या इजराइल तक सीमित नहीं रहेगा। हवा में फैलता रेडिएशन यूरोप तक पहुंचेगा। और तब न बर्लिन बचेगा, न पेरिस और न ही लंदन। पूरा मिडिल ईस्ट तबाह हो जाएगा और यूरोप का भविष्य भी धुंध में खो जाएगा।
"बंद कराइए ये पागलपन!" – एर्दोआन की दुनिया से अपील
रेसेप तैयप एर्दोआन ने जर्मन चांसलर से गुहार लगाई कि इस जंग को तुरंत रोका जाए। उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु प्रोग्राम से जुड़ा विवाद सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि बातचीत से हल होना चाहिए। तुर्किए ने खुद को हमेशा मध्यस्थ की भूमिका में रखा है और इस बार भी वह दुनिया के साथ मिलकर शांति स्थापित करने के लिए तैयार है। मगर सवाल ये है कि क्या दुनिया तैयार है? एर्दोआन ने कहा कि जंग से किसी को फायदा नहीं होगा। ईरान और इजराइल दोनों को भारी नुकसान होगा, लेकिन असली नुकसान उस इंसानियत का होगा जो हर देश की सड़कों पर खून बनकर बहेगी। उन्होंने साफ कहा कि अब सिर्फ मिडिल ईस्ट नहीं, पूरी दुनिया खतरे में है। अगर समय रहते इस युद्ध को रोका नहीं गया तो दुनिया को इतिहास के सबसे बड़े परमाणु संकट का सामना करना पड़ेगा।
‘तेल बहेगा खून से’ – वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान-इजराइल युद्ध बढ़ता है तो इसका सीधा असर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। मिडिल ईस्ट से निकलने वाला तेल दुनिया भर की मशीनों को चलाता है। लेकिन युद्ध का मतलब है तेल सप्लाई पर संकट, कीमतें आसमान पर, और हर देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रहार।अभी से ही कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आना शुरू हो गया है। अगर यह जंग आगे बढ़ी तो पेट्रोल-डीजल के दाम आम आदमी की जेब को फाड़ देंगे। सिर्फ तेल ही नहीं, वैश्विक व्यापार मार्ग भी युद्ध के कारण बंद हो सकते हैं। जिससे हर देश में महंगाई का तूफान आ जाएगा। यूरोप, एशिया, अमेरिका — कोई नहीं बचेगा। युद्ध की आग हर मुल्क तक पहुंचेगी।
तीसरे विश्व युद्ध की आहट? दुनिया सांस रोककर देख रही है
अब सवाल ये है कि क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है? तुर्किए की चेतावनी को हल्के में लेना बड़ी भूल साबित हो सकती है। एक तरफ इजराइल अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है, दूसरी ओर ईरान परमाणु हथियारों की तैयारी में जुटा है। और अब तुर्किए ने जो चेतावनी दी है वो सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि आने वाले कल का ट्रेलर है। एर्दोआन ने साफ कहा – "अगर परमाणु हथियार चले, तो फिर कोई देश सुरक्षित नहीं बचेगा। हम सबकी बारी आएगी।" यह जंग अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई है। यह अब इंसानियत के अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है। सवाल सिर्फ इतना है — क्या दुनिया समय रहते जागेगी या फिर इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराएगा... इस बार परमाणु राख में बदलते हुए? अब फैसला आपको करना है — क्या हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं जहां बचने का कोई रास्ता नहीं बचेगा? या क्या दुनिया इस आग को बुझा पाएगी? वक्त तेज़ी से निकल रहा है…
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