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अब इन दो देशों के बीच होगी जंग! जापान ने कर दी युद्ध की तैयारी, पहली बार अपने ही देश में दागी मिसाइल, सीधे चीन को दी खुली चुनौती
Japan China conflict: जापान, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने एक शांतिप्रिय राष्ट्र के तौर पर देखा, अब धीरे-धीरे अपना असली जंगी चेहरा दिखा रहा है। दशकों से उसकी नीति ‘डिफेंसिव’ रही, यानी कोई हमला करे तो जवाब देंगे।
Japan China conflict: दुनिया की आंखें जब ईरान-इजराइल और अमेरिका के बीच भड़कती आग पर टिकी थीं, तब पूर्वी एशिया में एक और बारूद का गोला चुपके से तैयार किया जा रहा था। अमेरिका पश्चिम में उलझा रहा, रूस यूक्रेन में पिसता रहा, यूरोप हथियारों की मंडी बनता रहा... और इस बीच जापान ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद दुनिया को नहीं थी। 24 जून को जापान ने पहली बार अपने ही क्षेत्र में मिसाइल दाग दी। एक शांत, अनुशासित और युद्ध से हमेशा दूरी बनाए रखने वाला देश अचानक खुद को युद्ध के मैदान में ले आया। ये सिर्फ एक मिसाइल टेस्ट नहीं था, ये एक घोषणा थी—जापान अब सिर्फ ‘डिफेंसिव’ नहीं रहा। अब अगर चीन आंख दिखाएगा तो जापान सीधे उसके गले पर हाथ रखेगा। शिंजुनाई एंटी-एयर फायरिंग रेंज पर हुई इस टेस्टिंग में जापान ने साफ कर दिया कि अब वह भी चीन की तरह दांत दिखाएगा, और जरूरत पड़ी तो काटेगा भी।
'शांति' का मुखौटा उतारकर जापान का जंगी चेहरा
जापान, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने एक शांतिप्रिय राष्ट्र के तौर पर देखा, अब धीरे-धीरे अपना असली जंगी चेहरा दिखा रहा है। दशकों से उसकी नीति ‘डिफेंसिव’ रही, यानी कोई हमला करे तो जवाब देंगे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। टोक्यो में बैठी सरकार ने ठान लिया है कि अगर दुश्मन हमला करने आएगा तो उसे रास्ते में ही उड़ा दिया जाएगा। 24 जून को जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स की पहली आर्टिलरी ब्रिगेड ने अपने ही देश की धरती से टाइप-88 सरफेस टू शिप मिसाइल दागी। इस ऐतिहासिक सैन्य अभ्यास में करीब 300 सैनिकों ने हिस्सा लिया। दक्षिणी होक्काइडो के तट से 40 किलोमीटर दूर एक मानवरहित नाव पर मिसाइल दागकर जापान ने सिर्फ अपनी ताकत नहीं दिखाई, बल्कि पूरी दुनिया को चेतावनी दे दी कि 'हम तैयार हैं'।
चीन को घेरने का ‘गुप्त मिशन’, अब खुलकर आया सामने
ये टेस्टिंग कोई अचानक हुआ कदम नहीं है। बीते दो वर्षों से जापान अपने सैन्य ढांचे को मजबूत करने में जुटा हुआ था, लेकिन उसने कभी सार्वजनिक तौर पर इस आक्रामक रणनीति का एलान नहीं किया था। अब पहली बार जापान ने पूरी दुनिया के सामने दिखा दिया कि वो केवल अमेरिका के भरोसे नहीं रहेगा, अब खुद अपने दुश्मनों को सबक सिखाएगा। चीन की विस्तारवादी नीति, ताइवान पर उसकी बुरी नजर और दक्षिण चीन सागर में बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने जापान को मजबूर कर दिया कि वो अब शांति का मुखौटा उतारकर जंगी लहजा अपनाए। जापान को पता है कि अगर चीन पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले वर्षों में पूरे एशिया पर चीन का कब्जा हो सकता है। यही वजह है कि टोक्यो अब चुप बैठने के मूड में नहीं है।
अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के बाद अब खुद की जमीन पर हमला करने की तैयारी
टाइप-88 मिसाइल की टेस्टिंग से पहले जापान ने अपने रक्षा साझेदारों के साथ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी इसी तरह की मिसाइल परीक्षण किए थे। लेकिन यह पहली बार हुआ जब जापान ने अपनी ही धरती पर मिसाइल दागी। ये कदम सिर्फ सैन्य शक्ति दिखाने का नहीं, बल्कि अपने आत्मनिर्भर और आक्रामक होने का एलान है। ये साफ संदेश है चीन और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसी देशों के लिए कि जापान अब अमेरिका की छाया में नहीं, अपने दम पर जिंदा रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान की यह नीति अब डिफेंसिव से अटैकिंग हो चुकी है। यानी अगर दुश्मन हमला करने की सोचेगा तो उसे पहले ही रास्ते में खत्म कर दिया जाएगा। यही नहीं, जापान अब अमेरिका से टॉमहॉक जैसी लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें भी खरीदने की तैयारी कर रहा है। ये मिसाइलें 1600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक दुश्मन को तबाह कर सकती हैं।
एशिया में युद्ध की आहट?
इस मिसाइल टेस्टिंग ने पूरे एशिया में हलचल मचा दी है। चीन की आंखें पहले ही लाल थीं, अब जापान ने उसमें और आग भर दी है। ताइवान पर कब्जे का सपना देख रहे शी जिनपिंग को ये सीधा संदेश है कि अगर ताइवान पर हमला हुआ तो जापान चुप नहीं बैठेगा। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया भी पहले ही मिसाइलें दागता रहा है, अब जापान का ये कदम पूरे क्षेत्र को युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर सकता है। जापान की टाइप-88 मिसाइल की रेंज करीब 200 किलोमीटर है और इसे किसी भी ट्रक पर तैनात किया जा सकता है। यानी जापान कहीं से भी, कभी भी चीन या किसी भी दुश्मन देश के जहाजों पर हमला कर सकता है। इसमें कम रीलोड टाइम है और ये बेहद सस्ती भी है। यानी बार-बार हमला करने की क्षमता रखती है।
क्या जापान तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर रहा है?
अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या जापान खुद को तीसरे विश्व युद्ध के लिए तैयार कर रहा है? अमेरिका पहले ही ईरान और इजराइल में उलझा है, रूस-यूक्रेन की जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही, और अब एशिया में जापान बनाम चीन का मोर्चा खुलता दिख रहा है। शांति के पुजारी का मुखौटा फेंककर जापान ने जता दिया है कि दुनिया अब उसी दौर में लौट रही है जहां हर देश अपनी बंदूकें तैयार रखता था। और अगर एशिया में जंग की चिंगारी भड़की तो इसका असर अमेरिका से लेकर यूरोप तक महसूस होगा।
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