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मोदी को स्टेट डिनर मिलेगा, तो हम नहीं आएंगे!” ब्रिक्स समिट से पहले भड़का ड्रैगन, भारत के बढ़ते कद से बौखलाया चीन

BRICS Summit 2025: ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और अब छह नए सदस्य (ईरान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया, मिस्र) मिलाकर एक महाशक्ति खड़ी हो रही है। मगर चीन, जो खुद को सदैव इस मंच का मालिक समझता रहा है, अब उस मंच से खिसकने को मजबूर हो गया है क्योंकि उसे अब वहां मोदी के बढ़ते प्रभाव की चुभन महसूस हो रही है।

Harsh Srivastava
Published on: 25 Jun 2025 7:48 PM IST
मोदी को स्टेट डिनर मिलेगा, तो हम नहीं आएंगे!” ब्रिक्स समिट से पहले भड़का ड्रैगन, भारत के बढ़ते कद से बौखलाया चीन
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BRICS Summit 2025: दुनिया की सबसे चर्चित आर्थिक गुटों में से एक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन एक बड़ा भूचाल लेकर आ रहा है—लेकिन यह भूचाल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक है। खबर है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जो पिछले 12 सालों से ब्रिक्स समिट के स्थायी चेहरे रहे हैं, इस बार ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से गायब रह सकते हैं। यह खबर जितनी साधारण दिखती है, उतनी ही विस्फोटक है—क्योंकि इसके पीछे है एक गहरी चिढ़, एक कूटनीतिक ईर्ष्या और एक व्यक्तिगत असुरक्षा। दरअसल, खबर यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ब्राजील द्वारा आयोजित किया जाने वाला राजकीय भोज (State Dinner) जिनपिंग को बुरी तरह खल गया है। इतना कि उन्होंने पूरे समिट से किनारा करने का मन बना लिया है। और अब चीन ने इशारों में यह भी कह दिया है—“मोदी को सम्मान मिले, तो हम मंच से दूर रहेंगे।”

ब्रिक्स से बाहर निकलता चीन, या मोदी से दूर भागता जिनपिंग?

ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और अब छह नए सदस्य (ईरान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया, मिस्र) मिलाकर एक महाशक्ति खड़ी हो रही है। मगर चीन, जो खुद को सदैव इस मंच का मालिक समझता रहा है, अब उस मंच से खिसकने को मजबूर हो गया है क्योंकि उसे अब वहां मोदी के बढ़ते प्रभाव की चुभन महसूस हो रही है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जिनपिंग की जगह अब चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग समिट में हिस्सा लेंगे। इससे बड़ा झटका ब्रिक्स की छवि और चीन की “लीडरशिप” को नहीं मिल सकता। ब्राजील के अधिकारी भी मान चुके हैं कि बीजिंग ने ब्राजील सरकार को जिनपिंग की अनुपस्थिति के बारे में सूचित कर दिया है, और वजह बताई गई है—"शेड्यूल टकरा रहा है"। मगर सवाल है—12 साल में पहली बार जिनपिंग का "शेड्यूल" अचानक क्यों टकरा गया?

क्या भारत की ताकत से डर गया चीन?

विश्लेषक मानते हैं कि मोदी के लिए विशेष स्टेट डिनर की योजना और ब्राजील द्वारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को नकारना, दो ऐसे कूटनीतिक घटनाक्रम हैं जिनसे बीजिंग में हड़कंप मच गया है। BRI जिनपिंग की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है, और भारत व ब्राजील दोनों ने इससे दूरी बना रखी है। यानी ब्रिक्स मंच पर भारत और ब्राजील अब खुलकर “ड्रैगन” को चुनौती दे रहे हैं। ब्राजील की इस पहल को मोदी सरकार का परोक्ष समर्थन भी माना जा रहा है। और यही है वो बिंदु, जिसने जिनपिंग को समिट से दूर रहने के लिए मजबूर किया।यह कूटनीतिक घटनाक्रम इस ओर इशारा करता है कि चीन अब ब्रिक्स पर अपने एकाधिकार को टूटता देख रहा है। पहले भारत ने LAC पर सख्त रवैया दिखाया, फिर वैश्विक मंचों पर चीन को कड़ी चुनौती दी, और अब ब्रिक्स जैसे मंच पर मोदी को मुख्य आकर्षण बनते देख बीजिंग बौखला गया है।

SCO में फिर होगी आमने-सामने की टक्कर?

अब उम्मीद की जा रही है कि जिनपिंग और मोदी की अगली मुलाकात चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में हो सकती है। लेकिन वहां भी मोदी की उपस्थिति अभी तय नहीं है। अगर भारत ने वहां भी कोई ‘सशर्त उपस्थिति’ दिखाई, तो यह चीन के लिए दूसरा बड़ा झटका होगा। हालिया वर्षों में मोदी और जिनपिंग की मुलाकातें बेहद सीमित रही हैं, और जब भी हुई हैं, वो तनाव और रणनीतिक चुप्पी के बीच हुई हैं। रूस के कज़ान में पिछली ब्रिक्स बैठक में जो थोड़ी गर्मजोशी दिखी थी, अब वो फिर से बर्फ में बदलती दिख रही है।

चीन की खामोशी से बढ़ी सनसनी

चीन के विदेश मंत्रालय ने फिलहाल जिनपिंग की अनुपस्थिति की खबर पर चुप्पी साधी हुई है। प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि "समय आने पर ब्रिक्स समिट में चीन की भागीदारी के बारे में जानकारी दी जाएगी।" मगर डैमेज तो हो चुका है। जिनपिंग की अनुपस्थिति की खबर ने वैश्विक मीडिया को ब्रिक्स की “भीतरू खींचतान” दिखा दी है। अब यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या ब्रिक्स का नेतृत्व अब भारत के हाथों में आने जा रहा है? क्या चीन अब धीरे-धीरे इस मंच से बाहर धकेला जा रहा है, या वह खुद दूरी बनाकर अपनी खोती छवि से बचना चाह रहा है?

ड्रैगन की जगह अब सिंह करेगा दहाड़?

राष्ट्रपति जिनपिंग का रियो डी जेनेरियो न जाना सिर्फ़ एक कार्यक्रम से दूरी नहीं है—यह मोदी के बढ़ते कद, भारत की वैश्विक स्वीकार्यता और चीन की गिरती साख की कहानी है। ब्रिक्स जैसे वैश्विक मंच पर भारत अब “वेटिंग चेयर” पर नहीं, हेड चेयर पर बैठने को तैयार है। दुनिया अब देख रही है कि मोदी को सम्मान मिलते ही ड्रैगन किनारा कर गया। और यह कूटनीति की वो तस्वीर है जो बताती है—21वीं सदी एशिया की जरूर है, लेकिन एशिया अब सिर्फ चीन का नहीं है।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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