PAK ने की चीन की 'नींद हराम', इस्लामाबाद की बदलती वफादारी से ड्रैगन हुआ बेताब

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के बयान से चीन-पाक गठजोड़ और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुफिया सहयोग का मुद्दा फिर चर्चा में है। अमेरिका-पाक रिश्तों की गर्मजोशी से चीन चिंतित है।

Shivam Srivastava
Published on: 23 July 2025 9:02 PM IST
PAK ने की चीन की नींद हराम, इस्लामाबाद  की बदलती वफादारी से ड्रैगन हुआ बेताब
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लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह द्वारा 4 जुलाई को दिए गए बयान ने एक बार फिर चीन और पाकिस्तान के बीच संभावित सैन्य सहयोग को चर्चा में ला दिया है। यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर दिया गया था। जिसमें यह दावा किया गया कि चीन ने पाकिस्तान को खुफिया सूचनाएं और हथियार मुहैया कराए थे। यह घटनाक्रम उस गहरी होती रणनीतिक साझेदारी की ओर इशारा करता है जो इन दोनों देशों के बीच समय के साथ मजबूत हुई है। इससे यह सवाल उठता है कि भारत इस गठजोड़ से कैसे निपटे और कौन-से कदम उठाए जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

रणनीतिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को अपनी घरेलू रक्षा क्षमताएं मजबूत करनी चाहिए। सैन्य प्रतिरोध क्षमता बढ़ानी चाहिए और ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो चीन-पाकिस्तान गठबंधन पर दबाव बना सकें। इसी कड़ी में यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि भारत अमेरिका और चीन के बीच पाकिस्तान को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा का लाभ कैसे उठा सकता है।

अमेरिका-पाकिस्तान की बढ़ी निकटता ने बढ़ाई चीन की चिंता

18 जून को पाकिस्तानी फील्ड मार्शल असीम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई मुलाकात ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जिसकी वजह से बीजिंग को काफ असहजता का सामना करना पड़ा। चीन के लिए यह स्थिति राजनयिक असंतुलन का कारण बनी है। खासकर तब जब वह ट्रंप को वैश्विक अस्थिरता का प्रतीक बताकर उनकी आलोचना कर रहा है।

चीनी विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने चीन के लड़ाकू विमान इस्तेमाल किए। लेकिन कूटनीतिक स्तर पर इसका श्रेय अमेरिका को दे दिया।

चीन की है कुछ रणनीतिक चिंताएं

चीन के समक्ष कुछ मुख्य सवाल खड़े हो गए हैं:

क्या अमेरिका के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की दिशा और निवेश को प्रभावित करेगी?

क्या ट्रंप और मुनीर की मुलाकात का उद्देश्य सिर्फ ईरान के खिलाफ रणनीति बनाना था या चीन की सैन्य सूचनाएं भी इसमें शामिल थीं?

क्या अमेरिका दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल भुगतान का केंद्र बनाकर चीन की RMB आधारित रणनीति को कमजोर करना चाहता है?

चीन को यह भी डर है कि पाकिस्तान की अमेरिका के साथ बढ़ती निकटता CPEC में निवेश और सुरक्षा के लिहाज से खतरा बन सकती है।

इस्लामाबाद की रणनीति से बढ़ी है चीन की बेचैनी

कई चीनी विश्लेषकों ने पाकिस्तान के इस 'अवसरवादी रवैये' को चीन के साथ धोखा बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि राजनीतिक संबंधों में राष्ट्रीय हित मित्रता से ऊपर होते हैं। इस बदलाव से चीन-पाकिस्तान संबंधों में विश्वास की कमी उजागर हुई है।

वहीं, अगर अमेरिका पाकिस्तान को उन्नत हथियारों जैसे AIM-120D मिसाइल या F-35 देने का निर्णय लेता है तो इससे भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ेंगी। जिससे अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत को साथ लेकर चलने की नीति पर असर पड़ेगा। वहीं, यदि अमेरिका इन मांगों को नकारता है तो पाकिस्तान फिर से चीन की ओर झुक सकता है। दोनों ही स्थितियों में भारत के लिए एक कूटनीतिक अवसर बनता है।

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Shivam Srivastava

Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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