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परमाणु बम बनाने के लिए तुर्की करेगा दुनिया से बगावत! जनता ने उठाई आत्मसुरक्षा की मांग, इजराइल और अन्य देशों में मच सकता है बवाल!
तुर्की ने परमाणु बम बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है, जिसमें जनता का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है। तुर्की के परमाणु हथियार बनाने के विचार, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम, और NATO से बढ़ता अविश्वास पर इस लेख में चर्चा की गई है।
Turkey Nuclear Bomb: ईरान के बाद अब तुर्की के मन में भी परमाणु बम बनाने का ख्वाब जागा है। तुर्की में एक सर्वे किया गया है, जिसमें यह सामने आया है कि ज्यादातर लोग परमाणु बम बनाने के पक्ष में हैं। इस सर्वे को इस्तांबुल की एक एजेंसी, रिसर्च इंस्ताबुल ने करवाया, जिसमें तुर्की के करीब 2000 नागरिकों से बातचीत की गई। हैरान करने वाली बात ये है कि 71 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने परमाणु बम बनाने का समर्थन किया, जबकि सिर्फ 18 प्रतिशत लोगों ने इसका विरोध किया।यह सर्वे तुर्की की जनता में परमाणु बम बनाने के विचार को उजागर करता है। सर्वे में यह भी पता चला है कि हालिया संघर्षों जैसे यूक्रेन-रूस युद्ध और इजरायल-ईरान युद्ध ने तुर्की की जनता के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, खासकर इजरायल और ईरान के बीच के युद्ध ने।
हालांकि तुर्की ने 1979 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके अनुसार तुर्की को परमाणु हथियार बनाने का अधिकार नहीं है, लेकिन इस सर्वे के परिणाम से यह साफ है कि जनता की सोच में बदलाव आ रहा है। अब, राष्ट्रहित और आत्मरक्षा की भावना अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक सामरिक सोच नहीं, बल्कि तुर्की की जनता का मानसिक परिवर्तन है। खासकर तब, जब हालिया घटनाओं में ईरानी मिसाइलों ने इजरायली एयर डिफेंस को भेद दिया था और आयरन डोम भी इजरायल की पूरी रक्षा करने में नाकाम रहा।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम
तुर्की ने पिछले कुछ सालों में अपने डिफेंस सेक्टर में काफी भारी निवेश किया है और अब वह खुद का एयर डिफेंस सिस्टम भी विकसित कर रहा है। हालांकि, जिस तरह से ईरान ने इजरायल और अमेरिका के एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम को भेद दिया है, इससे तुर्की की जनता में अपने एयर डिफेंस सिस्टम की पूरी सुरक्षा क्षमता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। यह भी एक वजह है कि तुर्की ने रूस के एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 को नजरअंदाज करते हुए, अमेरिका से एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने के लिए बातचीत तेज कर दी है। इसके अलावा, तुर्की अपना खुद का स्टील्थ फाइटर जेट KAAN बना रहा है, लेकिन उसे तुर्की की एयरफोर्स में शामिल होने में कम से कम 3 साल का समय लगेगा। इसलिए, तुर्की के लोग मानते हैं कि उसे अपनी रणनीतिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में उसे अमेरिका या नाटो जैसे साझेदारों पर निर्भर नहीं रहना पड़े।
तुर्की के लोगों का NATO से विश्वास कम
इसके अलावा, तुर्की के लोगों का NATO (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) से विश्वास भी घटा है। एक सर्वे में यह सामने आया कि 72% लोग मानते हैं कि अगर तुर्की पर हमला हुआ तो NATO देश उसकी रक्षा के लिए आगे नहीं आएंगे। यह भावना सिर्फ सैन्य मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक स्थिति से भी जुड़ी हुई है। खासकर, जब से ट्रंप ने यूरोप से अपनी सुरक्षा खुद करने के लिए कहा है, तब से तुर्की के लोगों में और अधिक अविश्वास पैदा हुआ है। हालांकि, फिलहाल तुर्की किसी भी परमाणु कार्यक्रम या रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) से जुड़ा हुआ नहीं है, लेकिन तुर्की में एक न्यूक्लियर प्लांट बन रहा है, जो अगले साल तक शुरू होने की उम्मीद है। लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एर्डी ओजटर्क ने कहा, "ये निष्कर्ष मिडल ईस्ट, बाल्कन और काकेशस में बढ़ते क्षेत्रीय संघर्षों और बढ़ती सार्वजनिक चिंता को दर्शाते हैं।
तुर्की क्यों बनाएगा परमाणु बम?
एर्डी ओजटर्क ने कहा कि तुर्की में लोगों की बदलती सोच को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह तुर्की के भविष्य की दिशा को दर्शाता है, जहां आत्मनिर्भरता सिर्फ सैन्य ताकत का प्रतीक नहीं रहेगी, बल्कि एक राजनयिक रणनीति बन जाएगी। अगर तुर्की भविष्य में परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर विचार करता है, तो इसका असर सिर्फ मध्य-पूर्व पर नहीं पड़ेगा, बल्कि यह ईरान, इजरायल, और सऊदी अरब जैसे देशों को भी अपनी सुरक्षा को फिर से देखना पड़ेगा। इससे इन देशों को अपने सुरक्षा खतरों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा।
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