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रूस की ऐतिहासिक भूल! 158 साल पहले जिसे 'बंजर' समझकर बेचा था आज अमेरिका के लिया बना सोने का खजाना
Trump-Putin meeting: ट्रंप और पुनीत की मुलाक़ात के कारण अलास्का आज फिर चर्चा में है।
Trump-Putin Meeting: बर्फ से ढकी, लंबी सर्दियों वाली, दुनिया के नक्शे पर सबसे ऊपर स्थित एक जमीन अलास्का जो आज अमेरिका के अधीन है । लेकिन क्या आप जानते है की यह जमीन कभी रूस का हिस्सा थी? जो रूस ने इसे एक बंजर, बेकार और दूर-दराज़ की ज़मीन समझकर अमेरिका को बेच दिया था। लेकिन आज यही बंजर जमीन अमेरिका के लिए वरदान साबित हो रही है। अमेरिका के लिए 'सोने की खान' यह जमींन हाल ही में चर्चा में है और इसका मुख्य कारण है ट्रंप और पुतिन की मुलाकात । आज यानि 15 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात है और दिलचस्प बात यह है की यह मुलाकात इसी ऐतिहासिक धरती पर होगी । जिससे एक बार फिर दुनिया की नजरें अलास्का पर टिक गई हैं।
अलास्का का भूगोल और महत्व
अलास्का उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे कम आबादी वाला राज्य है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 17 लाख वर्ग किलोमीटर है। यहां ज्यादातर साल ठंड और बर्फ का मौसम रहता है जबकि गर्मियां बहुत छोटी लेकिन बेहद खूबसूरत और हरियाली से भरपूर होती हैं। अलास्का रूस से बहुत करीब है। बेरिंग जलडमरूमध्य पार करते हुए इनकी न्यूनतम दूरी सिर्फ 88 किलोमीटर है। यहां मौजूद बिग डाइओमेड (रूस) और लिटिल डाइओमेड (अमेरिका) द्वीप तो सिर्फ 3.8 किलोमीटर की दूरी पर हैं। यही वजह है कि अलास्का का भौगोलिक स्थान अमेरिका और रूस दोनों के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि यहां से आर्कटिक क्षेत्र, उत्तरी समुद्री मार्ग, समुद्री संसाधनों और सैन्य गतिविधियों की निगरानी आसानी से की जा सकती है।
रूस के पास था अलास्का
1741 में रूसी खोजकर्ता विटस बेरिंग पहली बार अलास्का पहुंचे। इसके बाद रूसी व्यापारी यहां फर यानी जानवरों की कीमती खाल के व्यापार के लिए आने लगे। उस समय फर का व्यापार बहुत फायदेमंद सौदा था। इसलिए रूसियों ने अलास्का में कई व्यापरिक चौकियां और बस्तियां बसाईं। धीरे-धीरे 19वीं सदी तक अलास्का पूरी तरह रूस का उपनिवेश बन गया।
रूस ने क्यों बेचा अलास्का
19वीं सदी के मध्य में रूस ने कई कारणों से अलास्का बेचने का निर्णय लिया। इनमें सबसे बड़ी समस्या इसकी दूरी और कठिन प्रबंधन था । रूस की राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग से अलास्का हजारों किलोमीटर दूर था जिसकारण इसके प्रशासन और रक्षा दोनों दोनों में कठिनाई आती थी । यह इतना दूर था की संकट के समय में यहाँ मदद पहुंचने में महीनों लग सकते थे। इसके अलावा उस समय फर व्यापार की मांग घटने लगी थी, जिससे अलास्का से होने वाला मुनाफा कम हो गया। तथा उस समय रूस और ब्रिटेन के रिश्ते भी तनावपूर्ण थे और डर था कि भविष्य में ब्रिटेन कनाडा के रास्ते अलास्का पर कब्जा कर सकता है। इसके अतिरिक्त क्रीमियन युद्ध में हार के बाद रूस की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी और उसे पैसों की सख्त जरूरत थी। इन सभी कारणों से रूस ने आख़िरकार अलास्का को अमेरिका को बेचने का फैसला किया ।
अलास्का सौदे की शर्तें और कीमत
30 मार्च 1867 को अमेरिका और रूस के बीच अलास्का(Alaska)खरीदने का समझौता हुआ था । रूस की ओर से राजदूत एडुआर्ड डी स्टोएकल और अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री विलियम एच. सीवार्ड ने इस संधी पर हस्ताक्षर किए थे । अमेरिका ने रूस से अलास्का 7.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 72 लाख डॉलर) में ख़रीदा था जो उस समय प्रति एकड़ करीब 2 सेंट के बराबर था। यह सौदा करीब 15.18 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि के लिए हुआ। इस जमीन का भुगतान चेक के जरिए किया गया था, हालांकि उस समय डॉलर का मूल्य अक्सर सोने में मापा जाता था। उस समय यह सौदा साधारण था। लेकिन बाद में यह सौदा अमेरिका के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ। अलास्का के तेल, सोने और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के कारण यह अमेरिका के लिए यह सौदा वरदान साबित हुआ ।
अमेरिका को करना पड़ा आलोचनाओ का सामना
अलास्का खरीदने के अमेरिका के इस निर्णय की खूब आलोचना हुई थी। उस समय जनता, मीडिया और कई राजनीतिक नेताओं ने इस जमीन को बेकार बतया और और इसका मजाक उड़ाते हुए 'सीवार्ड्स फॉली' (Seward's Folly) और 'सीवार्ड्स आइसबॉक्स' (Seward's Icebox) जैसे नाम दिए। लोगों को लगता था कि यह सिर्फ बर्फ से ढका बंजर क्षेत्र है जिसका कोई खास उपयोग नहीं है। लेकिन कुछ दशकों बाद जब अलास्का में सोने की खोज हुई और इसकी रणनीतिक व आर्थिक अहमियत सामने आई। जिसके बाद लोगों की सोच बदल गई और समय के साथ यह सौदा अमेरिका के लिए बेहद लाभदायक और दूरदर्शी निर्णय साबित हुआ ।
अलास्का की असली कीमत और महत्व
अलास्का की अहमियत 1896 में सामने आई, जब 16 अगस्त को कनाडा के युकोन क्षेत्र में बोनान्ज़ा क्रीक के पास सोना मिला। इस खोज से क्लोंडाइक गोल्ड रश की शुरुआत हुई और अलास्का इस क्षेत्र का मुख्य प्रवेश द्वार बन गया। 20वीं सदी में यहां विशाल तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार मिले जो अमेरिका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। साथ ही, अलास्का का मत्स्य उद्योग भी बेहद समृद्ध है क्योंकि यहां मछलियों और समुद्री जीवों की भरमार है। पर्यटन भी इसकी पहचान का अहम हिस्सा है। यहां की बर्फीली चोटियां, ग्लेशियर, वन्यजीवन और उत्तर ध्रुवीय रोशनी (Aurora Borealis) दुनियाभर के पर्यटकों को के लिए लिए आकर्षण का केंद्र है । शीत युद्ध के दौर से लेकर आज तक अलास्का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है । इसके अलावा यह रक्षा एवं निगरानी के लिए अमेरिका का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। 1968 में प्रूडो बे (Prudhoe Bay) में विशाल तेल भंडार मिलने के बाद यहाँ ट्रांस-अलास्का पाइपलाइन बनी, जिससे रोजाना लाखों बैरल तेल निकाला जाता है।
वर्त्तमान अलास्का
आज अलास्का अमेरिका के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्रोत है जहां से अमेरिका के घरेलू तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा आता है। इसके अलावा रक्षा के क्षेत्र में भी अलास्का में जोइंट बेस एलमेंडॉर्फ़-रिचर्डसन (Joint Base Elmendorf-Richardson) जैसे अमेरिकी सेना और एयर फोर्स के कई प्रमुख सैन्य ठिकाने मौजूद हैं। ये ठिकाने अमेरिका की सुरक्षा और निगरानी में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर रूस के बेहद नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
अलास्का में ट्रंप-पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात
15 अगस्त 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात अलास्का के एंकोरेज शहर में होगी । यह शहर अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और आर्कटिक रणनीति का अहम केंद्र माना जाता है। यह बैठक यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिशों का हिस्सा थी। ट्रंप ने इसे शांति समझौते की दिशा में एक कदम बताया, जबकि पुतिन के लिए यह मुलाकात एक तरह से ‘घर वापसी’ का प्रतीक भी बनी। बैठक का आयोजन संयुक्त सैन्य ठिकाने, जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में हुआ जो शीत युद्ध के समय से ही रणनीतिक महत्व रखता है। यह दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात थी जिसमें यूक्रेन संघर्ष के समाधान पर गंभीर चर्चा हुई।
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