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पुतिन का ‘सुपर प्लान’! यूरोप की सरहदें हिलाईं, मिडिल ईस्ट में धमाका, अमेरिका को दी खुली चुनौती

Putin challenges America: तालिबान को मान्यता देकर पुतिन ने दुनिया के सबसे खतरनाक शासनों में से एक को ‘वैधता’ दे दी है, और इसके साथ ही अमेरिका, यूरोप और नाटो को सीधी चुनौती भी लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है।

Harsh Srivastava
Published on: 6 July 2025 3:42 PM IST
पुतिन का ‘सुपर प्लान’! यूरोप की सरहदें हिलाईं, मिडिल ईस्ट में धमाका, अमेरिका को दी खुली चुनौती
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Putin challenges America: दुनिया के नक्शे पर एक भूचाल आ चुका है। और इस बार इसका केंद्र न अमेरिका है, न चीन, बल्कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं—जो एक-एक चाल चलकर पश्चिम को मात देने की दिशा में बेतहाशा आगे बढ़ रहे हैं। तालिबान को मान्यता देकर पुतिन ने दुनिया के सबसे खतरनाक शासनों में से एक को ‘वैधता’ दे दी है, और इसके साथ ही अमेरिका, यूरोप और नाटो को सीधी चुनौती भी लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है। पुतिन इस वक्त एक ऐसा बहुस्तरीय वैश्विक अभियान चला रहे हैं, जो मिडिल ईस्ट से लेकर यूक्रेन तक और तेहरान से लेकर काबुल तक फैला हुआ है।

तालिबान को गले लगाकर अमेरिका की मुसीबत बढ़ाई

रूस अब अफगानिस्तान का पहला ऐसा बड़ा देश बन चुका है जिसने खुलकर तालिबान सरकार को मान्यता दी है। ये वही तालिबान है जिसे अमेरिका ने अपने इतिहास की सबसे लंबी लड़ाई के बाद सत्ता से बेदखल किया था, और जिसके हाथों दो दशक की जद्दोजहद के बाद अमेरिकी सैनिक काबुल एयरपोर्ट से भागते दिखे थे। लेकिन अब… वही तालिबान रूस की दोस्ती का तमगा लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर खड़ा है।

पुतिन ने इस मान्यता के ज़रिए न केवल अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान की मौजूदगी को बैलेंस किया है, बल्कि अमेरिका को उसकी "फेल अफगान पॉलिसी" की एक कड़वी याद भी दिला दी है। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी ने खुद कहा—"रूस का यह कदम इतिहास में एक मिसाल बनेगा।" और अगर यह ‘मिसाल’ अन्य देशों ने भी अपनाई, तो पुतिन अफगानिस्तान में अमेरिका को हमेशा के लिए ‘बाहरी ताकत’ साबित कर देंगे।

मिडिल ईस्ट में 'शांति दूत' बनकर दखल, लेकिन मकसद है वर्चस्व

ईरान-इजराइल जंग के दौरान जब पूरा मिडिल ईस्ट आग में जल रहा था, तो एक शख्स चुपचाप लेकिन गहरी निगाहों से हर हरकत को देख रहा था—व्लादिमीर पुतिन। पहले उन्होंने इजराइल-हमास विवाद में खुद को 'मध्यस्थ' के तौर पर पेश किया। फिर, ईरान और इजराइल के बीच चल रही सीधी भिड़ंत में भी उन्होंने बैलेंसिंग रोल निभाने की कोशिश की। लेकिन असल में पुतिन ने मिडिल ईस्ट की इस अराजकता का इस्तेमाल अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किया। जब अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया, तो पुतिन ने इसे "उकसावे भरी कार्रवाई" कहकर ईरान का पक्ष लिया। इससे न केवल अमेरिका की साख को नुकसान पहुंचा, बल्कि ईरान को एक अंतरराष्ट्रीय दोस्त भी मिल गया, जो उसे हर मंच पर सपोर्ट कर रहा है।

ईरान के हथियार, रूस के इरादे

यूक्रेन युद्ध में जब रूस को हथियारों की जरूरत पड़ी, तो अमेरिका और यूरोप ने रूस पर बैन तो लगा दिए, लेकिन पुतिन ने एक नया रास्ता तलाश लिया—ईरान। ईरान ने रूस को ‘शहीद ड्रोन’ दिए, वो ड्रोन जिनका इस्तेमाल अब यूक्रेन के शहरों पर हो रहा है। शुक्रवार को हुए हमले में 330 से ज्यादा शहीद ड्रोन और खतरनाक Kinzhal मिसाइल का इस्तेमाल हुआ। बदले में पुतिन ने ईरान को समर्थन दिया, हथियारों की टेक्नोलॉजी साझा की, और इजराइल के खिलाफ उसकी स्थिति को मजबूती दी। अब पुतिन और खामेनेई साथ मिलकर अमेरिका और उसके खाड़ी सहयोगियों के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा खड़ा कर चुके हैं।तेल, हथियार, भू-राजनीति—तीनों क्षेत्रों में पुतिन और ईरान की जुगलबंदी अब मिडिल ईस्ट में अमेरिकी प्रभाव के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है।

यूक्रेन में 'ऑल आउट वॉर' की ओर बढ़ते पुतिन

पुतिन का अगला मोर्चा यूक्रेन भी अब निर्णायक मोड़ पर है। बीते हफ्तों में रूस ने कीव, खारकीव और डोनेट्स्क पर तबाही मचा दी। अब लुहांस्क के बड़े हिस्से पर रूस का कब्जा बताया जा रहा है। पुतिन की रणनीति साफ है—धीरे-धीरे यूक्रेन के टुकड़े करके उसे एक 'मिनी स्टेट' में बदल देना, और अमेरिका-यूरोप को यह दिखाना कि नाटो भी उसकी ताकत के सामने नाकाम है। शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप से हुई एक घंटे लंबी कॉल में पुतिन ने स्पष्ट संकेत दिए—"जब तक यूक्रेन में हमारा मिशन पूरा नहीं हो जाता, हम नहीं रुकेंगे।" इसका सीधा मतलब यह है कि रूस अब ‘आधा युद्ध–आधा कूटनीति’ की बजाय खुला टकराव चाहता है।

क्या पुतिन बनने जा रहे हैं नए 'ग्लोबल सुपरबॉस'?

पुतिन की इस बहुस्तरीय रणनीति को अब पूरी दुनिया पढ़ने की कोशिश कर रही है। तालिबान को मान्यता, ईरान से गठबंधन, इजराइल-हमास में मध्यस्थता, और यूक्रेन में सैन्य हमले—ये सब सिर्फ अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि एक बड़े भू-राजनीतिक ‘गेंबल’ का हिस्सा हैं। पुतिन जानते हैं कि अमेरिका अब ट्रंप और बाइडन की खींचतान में उलझा हुआ है। यूरोप ऊर्जा संकट, चुनावी अस्थिरता और शरणार्थी संकट से जूझ रहा है। ऐसे में वह एक-एक चाल चलकर खुद को ‘नई दुनिया का वास्तुकार’ बनाना चाहते हैं।

क्या भारत भी इस ‘नए वर्ल्ड ऑर्डर’ में हिस्सेदार बनेगा?

रूस का तालिबान को मान्यता देना भारत के लिए भी एक बड़ा सवाल बन गया है। क्या भारत भी पुतिन की तरह तालिबान को मान्यता देगा? या फिर पश्चिम के साथ खड़ा रहेगा? पुतिन का अगला दांव क्या होगा, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना साफ है—दुनिया बदल रही है… और इसका नक्शा भी। और उसे बदलने वाला इंसान, शायद एक बार फिर वही निकले—व्लादिमीर पुतिन।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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