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अपनी हद में रहो! ईरान से भिड़ने के बाद अब रूस को ललकार बैठा अज़रबैजान, तोड़ दिए सारे रिश्ते, अब पुतिन करेंगे हमला?
Azerbaijan Russia conflict: सालों से क्रेमलिन के करीब खड़े रहने वाले अज़रबैजान ने अब ऐसा कदम उठा लिया है जिससे मॉस्को में भूकंप जैसे झटके महसूस किए जा रहे हैं। रूस की सांस्कृतिक छवि पर चोट, गिरफ्तारी को लेकर गंभीर आरोप, और कूटनीतिक मंचों पर बहिष्कार... ये सब संकेत हैं कि बकू अब सिर झुकाने को तैयार नहीं!
Azerbaijan Russia conflict: कॉकस क्षेत्र एक बार फिर दुनिया के लिए बारूद का ढेर बन गया है। जहां कुछ दिन पहले तक अज़रबैजान और ईरान की तलवारें खिंची थीं, वहीं अब एक नया मोर्चा खुल गया है — और यह किसी छोटे देश से नहीं, बल्कि रूस से है! सालों से क्रेमलिन के करीब खड़े रहने वाले अज़रबैजान ने अब ऐसा कदम उठा लिया है जिससे मॉस्को में भूकंप जैसे झटके महसूस किए जा रहे हैं। रूस की सांस्कृतिक छवि पर चोट, गिरफ्तारी को लेकर गंभीर आरोप, और कूटनीतिक मंचों पर बहिष्कार... ये सब संकेत हैं कि बकू अब सिर झुकाने को तैयार नहीं!
अज़रबैजान ने रूस को थमा दिया अल्टीमेटम?
मामला शुरू हुआ रूस के औद्योगिक शहर येकातेरिनबर्ग से, जहां पिछले हफ्ते रूसी जांचकर्ताओं ने कई जातीय अज़रबैजानी नागरिकों को गंभीर अपराधों के सिलसिले में हिरासत में लिया। इनमें से दो की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई — एक का दावा है कि हार्ट अटैक से मौत, जबकि दूसरे की मौत का रहस्य मेडिकल रिपोर्ट तक उलझा हुआ है। लेकिन अज़रबैजान को ये महज 'जांच' नहीं लगी। बकू का आरोप है कि रूस जातीय आधार पर अज़रबैजानियों को निशाना बना रहा है। उन्होंने सीधे रूसी पुलिस पर 'न्यायेतर हत्याओं' का आरोप जड़ दिया है। यही नहीं, अज़रबैजान ने एक के बाद एक डिप्लोमैटिक मिसाइलें दागीं — स्पुतनिक अज़रबैजान के दफ्तर पर छापे, मॉस्को में प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता का बहिष्कार, और अब तो सभी रूसी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है।
क्रेमलिन में खलबली, चेतावनी जारी
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय यानी क्रेमलिन इस विवाद से बौखला गया है। प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने बयान दिया, “हमें इस निर्णय पर गहरा खेद है। यह प्रतिक्रिया कानून प्रवर्तन की वैध कार्रवाई के आधार पर नहीं होनी चाहिए।” रूस साफ कर चुका है कि वह अज़रबैजान के आरोपों को बेबुनियाद और भावनात्मक मानता है। लेकिन बकू अब मानने के मूड में नहीं है।
ईरान से अब रूस? अज़रबैजान का नया रोल?
पिछले कुछ महीनों से अज़रबैजान लगातार क्षेत्रीय कूटनीति में ‘मसल फ्लेक्स’ करता नज़र आ रहा है। पहले उसने ईरान को आंख दिखाई, सीमा पर तनाव बढ़ाया, और अब सीधे रूस को ललकार दिया है। विश्लेषक इसे अज़रबैजान की उभरती आक्रामक विदेश नीति बता रहे हैं, जो तेल और गैस की ताकत, और तुर्की के सहयोग के दम पर अब पुराने रुतबेदार पड़ोसियों को चुनौती देने में हिचक नहीं कर रहा।
कॉकस में बर्फ की परत के नीचे धधकती आग
रूस और अज़रबैजान के बीच तनाव नया नहीं है, लेकिन यह पहली बार है जब सार्वजनिक रूप से दोनों देशों के बीच राजनयिक मोर्चे पर लड़ाई इतनी तीव्र हो गई है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हालात यूं ही बिगड़ते रहे तो यह विवाद सैन्य टकराव में बदल सकता है, जिससे पूरे कॉकस क्षेत्र में उथल-पुथल मच सकती है। इस क्षेत्र में पहले से ही नागोर्नो-काराबाख के कारण अज़रबैजान और अर्मेनिया के बीच युद्ध हो चुका है, और अब रूस जैसे शक्ति केंद्र से टकराव का मतलब — भविष्य में अनकंट्रोल्ड आग का फैलना।
क्या अमेरिका-नाटो के इशारे पर चल रहा है बकू?
बात सिर्फ गिरफ्तारी या कार्यक्रम रद्द करने की नहीं है। सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या अज़रबैजान पश्चिमी ताकतों के इशारे पर रूस को भड़काने का काम कर रहा है? क्या यह सब यूक्रेन युद्ध में रूस को कमजोर करने के बड़े प्लान का हिस्सा है? क्योंकि जब भी कोई छोटा देश यूं आक्रामक होता है, तो कहीं न कहीं कोई बड़ी ताकत उसकी पीठ थपथपा रही होती है।
अब आगे क्या?
अब दुनिया की निगाहें बकू और मॉस्को पर हैं। क्या रूस इस ‘बगावत’ को बर्दाश्त करेगा या फिर क्रेमलिन की रणनीति में अज़रबैजान अब ‘शत्रु’ के रूप में दर्ज हो चुका है? क्या अज़रबैजान को तुर्की और अमेरिका की शह मिल रही है? क्या यह सब अगले ‘मिनी वॉर’ की आहट है? इन सवालों के जवाब फिलहाल धुंध में हैं… लेकिन इतना तय है – कॉकस का बारूद अब गीला नहीं है, सिर्फ एक चिंगारी की देर है!
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