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Trump India dead economy: जिसे ट्रंप ने ‘डूबती अर्थव्यवस्था’ कहा, वो बना दुनिया का चौथा सबसे अमीर देश! भारत ने आंकड़ों से दिया करारा जवाब
Trump India dead economy: जिस भारत को ट्रंप ने 'डूबती अर्थव्यवस्था' कहा, वो बन गया दुनिया का चौथा सबसे अमीर देश! 25% टैरिफ के बाद ट्रंप ने भारत-रूस को 'डेड इकोनॉमीज़' कहा, लेकिन आंकड़ों ने दिया करारा जवाब।
Trump India dead economy: अगर आप भारत की अर्थव्यवस्था को 'उड़ता हुआ' और दुनिया में चौथे नंबर पर मानते हैं, तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। 25% टैरिफ लगाने के कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने भारत और रूस को 'डेड इकोनॉमीज़' यानी 'मरी हुई अर्थव्यवस्थाएं' कह दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा, "मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लेकर डूब सकते हैं।" यह बयान न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि भारत-रूस के ऐतिहासिक संबंधों और भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को भी सीधे तौर पर चुनौती देता है। क्या है ट्रंप के इस बयान के पीछे का सच और क्या कहते हैं आर्थिक आंकड़े? जानिए इस महा-विवाद की पूरी कहानी, जो दुनिया की राजनीति और व्यापार को हिलाकर रख देगी।
ट्रंप का 'टैरिफ बम' और शब्दों का वार
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ 25% का टैरिफ लगाने के बाद, एक और बड़ा हमला किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लेकर डूब सकते हैं, मुझे परवाह नहीं।" उन्होंने आगे कहा, "हमारा भारत के साथ बहुत कम व्यापार होता है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा। इसी तरह, रूस और यूएसए के बीच भी लगभग कोई व्यापार नहीं है।" ट्रंप के ये शब्द सिर्फ जुबानी हमले नहीं हैं, बल्कि यह अमेरिका की नई व्यापार नीति और भारत-रूस संबंधों पर उसके बढ़ते दबाव को दर्शाते हैं। यह एक ऐसा बयान है जो भारत और रूस की आर्थिक ताकत को पूरी तरह से नकारता है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है।
आंकड़ों की जुबानी: क्या सचमुच 'मरी हुई' है भारत की अर्थव्यवस्था?
ट्रंप का बयान भले ही कड़वा हो, लेकिन भारत के आर्थिक आंकड़े एक बिल्कुल अलग और शानदार कहानी कहते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था इस समय दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। 2025 में 4।19 ट्रिलियन डॉलर के साथ, भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है और वह जर्मनी (4।74 ट्रिलियन डॉलर), चीन (19।23 ट्रिलियन डॉलर) और अमेरिका (30।50 ट्रिलियन डॉलर) के बाद चौथे स्थान पर आ गया है। यही नहीं, अनुमान है कि 2030 तक भारत 7।3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
सरकार के नवीनतम आंकड़ों (जून 2025) के अनुसार
जीडीपी में उछाल: 2014-15 से 2024-25 तक नॉमिनल जीडीपी तीन गुना बढ़कर ₹331।03 लाख करोड़ हो गया है।
मजबूत विकास दर: 2024-25 में वास्तविक जीडीपी 6।5% की दर से बढ़ा, जबकि नॉमिनल जीडीपी में 9।9% की वृद्धि हुई।
घरेलू खर्च में बढ़ोतरी: प्राइवेट फाइनल कंजम्प्शन एक्सपेंडिचर (PFCE) 7।3% बढ़ा, जो 2002-03 के बाद जीडीपी में इसका सबसे ज्यादा योगदान (61।8%) है।
FDI में रिकॉर्ड बढ़ोतरी: दिसंबर 2024 तक संचयी FDI प्रवाह ₹89।85 ट्रिलियन (1।05 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच गया है, जो 2001 की तुलना में लगभग बीस गुना ज्यादा है।
निर्यात में भारत का 'बूम', 10 साल में दोगुनी हुई रफ्तार
ट्रंप ने भले ही भारत के व्यापार को कम बताया हो, लेकिन भारत का निर्यात पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। 2013-14 में कुल निर्यात 468 बिलियन डॉलर था, जो
2024-25 में बढ़कर 825 बिलियन डॉलर हो गया है, यानी करीब 76% की भारी बढ़ोतरी।
वस्तु निर्यात: यह 310 बिलियन डॉलर से बढ़कर 437।42 बिलियन डॉलर हो गया।
सेवा निर्यात: यह 158 बिलियन डॉलर से दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 387 बिलियन डॉलर हो गया।
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि भारत एक कमजोर या 'डेड' अर्थव्यवस्था नहीं है, बल्कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती और मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
रूस भी है एक मजबूत खिलाड़ी, चीन और भारत हैं सबसे बड़े भागीदार
ट्रंप ने भले ही रूस को भारत के साथ जोड़कर 'डेड इकोनॉमी' कहा हो, लेकिन रूस की अर्थव्यवस्था भी अपनी जगह पर काफी मजबूत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, रूस की अर्थव्यवस्था का अनुमानित मूल्य 2।076 ट्रिलियन डॉलर है, जो उसे दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है।
जीडीपी वृद्धि: 2023 में रूस की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 5।9% रही।
निर्यात में मजबूती: 2023 में रूस का कुल निर्यात 425।1 बिलियन डॉलर था, जिसमें खनिज उत्पादों का सबसे बड़ा हिस्सा (260।1 बिलियन डॉलर) था।
शीर्ष व्यापार भागीदार: रूस के शीर्ष व्यापार भागीदारों में चीन, भारत और तुर्की शामिल हैं, जो भारत के साथ उसके मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
भारत-रूस व्यापार: ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर, कच्चे तेल का मजबूत रिश्ता
ट्रंप का यह दावा कि अमेरिका और रूस का आपस में कोई व्यापार नहीं है, सही हो सकता है, लेकिन भारत और रूस के बीच का व्यापार अपने ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। मास्को स्थित भारतीय दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, 2025 के वित्तीय वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार 68।7 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो महामारी से पहले के 10।1 बिलियन डॉलर से लगभग सात गुना ज्यादा है।
भारत ने रूस में लगभग 16 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिसमें तेल, गैस, दवा और आईटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वहीं, रूस ने भी भारत में लगभग 20 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल, स्टील और रेलवे जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक और 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
कच्चे तेल के आयात में भारत और रूस का रिश्ता बहुत मजबूत हो गया है। जब अमेरिकी प्रतिबंधों के बारे में पूछा गया, तो पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने साफ कहा, "भारत अपने उपभोक्ताओं के हित में जहां से भी जरूरत होगी, वहां से तेल खरीदेगा।" भारत इस समय अपने कुल कच्चे तेल आयात का 35 से 40 प्रतिशत रूस से खरीद रहा है।
ट्रंप के टैरिफ से भारत पर असर: एक नई चुनौती
ट्रंप के ये टैरिफ और बयान भले ही भारत की आर्थिक मजबूती को कम न कर पाएं, लेकिन इनसे कुछ तात्कालिक चुनौतियाँ जरूर खड़ी हो सकती हैं। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा और बार्कलेज़ ने चेतावनी दी है कि नए टैरिफ से 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि 20 से 30 आधार अंक कम हो सकती है। टैरिफ की बढ़ोतरी: भारतीय सामानों पर औसत अमेरिकी टैरिफ 2।7% से बढ़कर 20।6% हो गया है। कुछ सेक्टरों पर तो यह और भी ज्यादा है, जैसे स्टील और एल्युमीनियम पर 50% और ऑटो पार्ट्स पर 25%। प्रभावित होने वाले सेक्टर: भारत के प्रमुख निर्यात जैसे फार्मास्यूटिकल्स, स्मार्टफोन, मशीनरी, गहने, कपड़ा और ऑटो पार्ट्स इस टैरिफ से प्रभावित हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह बयान और नए टैरिफ भारत के लिए एक बड़ी चुनौती जरूर हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती और उसकी वृद्धि दर को नकारना, शायद खुद ट्रंप के लिए ही एक गलत आकलन साबित हो सकता है। भारत अपने मजबूत आर्थिक आंकड़ों और रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों के दम पर इस 'ट्रेड वॉर' का सामना करने के लिए तैयार दिख रहा है।
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