भारत को लेकर ट्रंप के बदले-बदले सुर, रूस-चीन पर खामोशी, रिश्तों में सुधार के संकेत

भारत पर ट्रंप का बदला रुख रूस-चीन नजदीकी पर चुप्पी रिश्तों में नरमी

Harsh Sharma
Published on: 3 Sept 2025 6:01 PM IST
भारत को लेकर ट्रंप के बदले-बदले सुर, रूस-चीन पर खामोशी, रिश्तों में सुधार के संकेत
X

Trump India Relations: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक हफ्ते बाद सार्वजनिक तौर पर कहा, "हमारा भारत से बहुत अच्छा रिश्ता है।" यह बयान ऐसे समय आया जब कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद ट्रंप भारत पर रूस और चीन से नजदीकी को लेकर तीखा हमला बोलेंगे। लेकिन उनकी भाषा पहले जैसी आक्रामक नहीं रही।

ट्रंप और उनकी टीम का बदला अंदाज़

पिछले कुछ दिनों में ट्रंप और उनके करीबी सहयोगियों ने भारत को लेकर नरम और संतुलित बयान दिए हैं। हाल ही में भारत को लेकर "क्रेमलिन का लॉन्ड्रीमैट" और यूक्रेन युद्ध को "मोदी का युद्ध" कहने वाली आलोचनाओं से बिल्कुल उलट माहौल देखने को मिला। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा कि भारत-अमेरिका रिश्ते लंबे समय से एकतरफा रहे हैं और भारत अमेरिका पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता रहा है। यह आरोप उन्होंने पहले भी कई बार लगाया है। यहां तक कि उन्होंने अपनी पुरानी हार्ले-डेविडसन वाली मिसाल भी दोहराई। उनके सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर भी भारत को लेकर भाषा अपेक्षाकृत शांत रही।

अमेरिकी मंत्रियों और दूतावास का भी सकारात्मक संदेश

सोमवार को अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को मदद करता है, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हैं और अंततः दोनों देश समाधान ढूंढ लेंगे। अमेरिकी दूतावास ने भी भारत-अमेरिका साझेदारी को "21वीं सदी का अहम रिश्ता" बताया और दोनों देशों के बीच दोस्ती को उजागर किया।

क्यों बदला रुख?

ट्रंप प्रशासन के रवैये में अचानक नरमी आने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। सबसे पहले, अमेरिका में ही ट्रंप की आलोचना हुई है। डेमोक्रेट्स से लेकर रिपब्लिकन नेताओं तक ने उन पर भारत-अमेरिका रिश्तों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। यहां तक कि निक्की हेली ने भी कहा कि भारत को नाराज़ करना अमेरिका के लिए रणनीतिक भूल साबित हो सकता है। दूसरा कारण भारत की अहमियत है। दशकों से अमेरिका, भारत को एशिया में चीन के मुकाबले एक मजबूत साझेदार के रूप में देखता रहा है, ऐसे में रिश्तों को बिगाड़ना उसके लिए महंगा साबित हो सकता है। तीसरा पहलू भारतीय-अमेरिकी समुदाय की नाराज़गी है। ट्रंप के कुछ सलाहकारों के बयानों ने इस समुदाय को आहत किया, और ट्रंप इस अहम वोट बैंक को खोना नहीं चाहेंगे। चौथा कारण व्यापार वार्ता है। लंबे समय से अटकी भारत-अमेरिका व्यापार डील पर अब दोबारा बातचीत शुरू हुई है और उसमें प्रगति दिख रही है, इसलिए ट्रंप का रुख भी कुछ नरम हुआ है।

आगे क्या?

हाल ही में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात और SCO शिखर सम्मेलन की तस्वीरों ने अमेरिका को असहज जरूर किया है। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने फिलहाल रिश्तों को बचाने का संकेत दिया है। क्या यह नरमी दोनों देशों के रिश्तों को नई रफ्तार देगी? यह अभी कहना जल्दबाज़ी होगी। लेकिन इतना साफ है कि ट्रंप की भाषा में पहले जैसी तल्ख़ी अब कम हो गई है।

1 / 7
Your Score0/ 7
Harsh Sharma

Harsh Sharma

Content Writer

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!