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Trump Travel Ban Policy: अफगानिस्तान और ईरान समेत इन 12 देशों पर अमेरिका की एंट्री बैन, ट्रंप की नई नीति पर मचा बवाल
Trump Travel Ban Policy: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया और नौ मुस्लिम देशों के नागरिकों को अमेरिका में आने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। आइये जानते हैं इसमें और कौन से देश शामिल हैं।
Trump's Travel Ban Policy (Image Credit-Social Media)
Trump Travel Ban Policy: अंतरराष्ट्रीय ध्यान डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर रहता है जब भी वे अमेरिका की सत्ता में लौटते हैं। इस बार भी वही बात हुई। ट्रंप ने राष्ट्रपति पद से वापसी के बाद एक ऐसा निर्णय लिया है, जो अमेरिका सहित पूरी दुनिया में विवाद पैदा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया और नौ मुस्लिम देशों के नागरिकों को अमेरिका में आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को "नया ट्रैवल बैन" कहा जाता है। इसके बावजूद, ये सिर्फ एक प्रतिबंध नहीं है—यह निर्णय मानवीय, राजनीतिक और भावनात्मक जटिलताओं से भरा है।
क्या है ट्रैवल बैन?
"ट्रैवल बैन" यानी यात्रा प्रतिबंध — एक ऐसा आदेश जिससे किसी विशेष देश या समुदाय के लोगों को अमेरिका (AMERICA) में घुसने की अनुमति नहीं दी जाती। ट्रंप प्रशासन पहले भी 2017 में इसी तरह का मुस्लिम ट्रैवल बैन लागू कर चुका है, जिसे काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। अब 2025 में ट्रंप ने एक बार फिर इस नीति को सामने रख दिया है, और इस बार कुल 12 देशों को निशाने पर लिया गया है।
किन देशों पर लगा है प्रतिबंध?
ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित इस प्रतिबंध सूची में निम्नलिखित 12 देश शामिल हैं:
अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, यमन, लीबिया, इराक, सोमालिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया, सूडान, अल्जीरिया और लेबनान।
इन देशों के नागरिक अब ट्रंप के आदेश के अनुसार अमेरिका (AMERICA) में वीजा, शरण या स्थायी निवास के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे — कम से कम जब तक यह नीति लागू है।
इस फैसले की वजह क्या है?
ट्रंप ने इस प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम “राष्ट्रीय सुरक्षा” के तहत लिया गया है। उनके अनुसार, इन देशों से आने वाले लोगों की पृष्ठभूमि जांच (Background Check) करना मुश्किल होता है, जिससे आतंकवाद और अपराध की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने मीडिया से कहा: “मैं अमेरिका (AMERICA) को सुरक्षित बनाना चाहता हूं। कुछ लोग इस फैसले को कठोर कहेंगे, लेकिन मेरा पहला कर्तव्य अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा है।”
विरोध की आवाजें भी तेज़ :
ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिका (AMERICA) और दुनिया भर में मानवाधिकार संगठनों, मुस्लिम समुदायों और प्रवासी समर्थक समूहों ने जोरदार विरोध दर्ज किया है। कई संगठनों ने इसे "इस्लामोफोबिक" (Muslim-Phobic) और "मानवाधिकारों का उल्लंघन" बताया है।
न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) ने कहा: “यह बैन ट्रंप की एक बार फिर से मुस्लिमों को निशाना बनाने की कोशिश है। इससे अमेरिका (AMERICA) की वैश्विक छवि को गहरा धक्का लगेगा।”
प्रवासियों पर असर: बिखरते परिवार और टूटती उम्मीदें :
इस प्रतिबंध का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि इससे हजारों परिवारों का पुनर्मिलन अधर में लटक गया है। कई लोग अमेरिका (AMERICA) में पहले से रह रहे अपने परिवार के पास आने का सपना देख रहे थे। कोई अपने बच्चों से मिलना चाहता था, कोई अपनी मां के इलाज के लिए वीजा चाहता था।
एक ईरानी महिला, जो अमेरिका (AMERICA) में मेडिकल रिसर्चर हैं, ने दुख भरे शब्दों में कहा: “मेरी मां को कैंसर है। मैं उन्हें अमेरिका (AMERICA) लाना चाहती थी इलाज के लिए। अब इस फैसले ने हमारी आखिरी उम्मीद छीन ली।”
अमेरिकी राजनीति में इसका असर :
ट्रंप का यह कदम केवल सुरक्षा नीति नहीं है, बल्कि यह 2024 के चुनावों में उनके कोर वोटर्स को फिर से अपने पक्ष में लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। उनका यह कड़ा रुख उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय है, खासकर उन इलाकों में जहां राष्ट्रवाद और सीमाओं की सख्ती का समर्थन होता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह ट्रंप की पुरानी रणनीति है — "डर पैदा करो और वोट लो"।
दुनिया क्या कह रही है?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है। खासकर मिडिल ईस्ट और एशियाई देशों ने इसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा: “शरणार्थियों और विस्थापितों के लिए सभी देशों को मानवीय रास्ता खोलना चाहिए। सुरक्षा और मानवाधिकार साथ चल सकते हैं।”
क्या यह फैसला टिक पाएगा?
अब सवाल उठता है कि क्या यह ट्रैवल बैन लंबे समय तक टिकेगा?
• कानूनी चुनौतियाँ: ACLU और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने अमेरिकी कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
• राजनीतिक दबाव: डेमोक्रेटिक पार्टी और कुछ रिपब्लिकन नेता भी इस फैसले से असहज हैं।
• सामाजिक विरोध: अमेरिका (AMERICA) के कई शहरों में इस बैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
भविष्य की झलक: क्या फिर से दोहराया जाएगा इतिहास?
2017 में जब ट्रंप ने पहली बार ट्रैवल बैन लागू किया था, तब अदालतों में इसे कई बार चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रूप से बैन को सही ठहराया था, लेकिन जो बाइडेन के सत्ता में आने पर इसे हटा लिया गया। अब जब ट्रंप फिर से सत्ता में हैं, तो इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। लेकिन इस बार विरोध भी उतना ही मजबूत है।
अमेरिका (AMERICA) का नया प्रतिबंध, वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (DONALD TRUMP)ने 2025 में एक नए ट्रैवल बैन का ऐलान किया, जिसमें 12 देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका (AMERICA) में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस सूची में अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया, पाकिस्तान, यमन, लीबिया, सूडान, अल्जीरिया, नाइजीरिया, सोमालिया और लेबनान शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस फैसले का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, क्योंकि इन देशों से आने वाले लोगों की पृष्ठभूमि की सही तरीके से जांच नहीं की जा सकती।
यह प्रतिबंध न केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए सुरक्षा का सवाल उठाता है, बल्कि वैश्विक संबंधों को भी प्रभावित करता है। ट्रंप के इस कदम के कारण अमेरिकी नीति पर सभी देशों में नकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई है। मानवाधिकार संगठन और राजनैतिक विश्लेषक इसे "भेदभावपूर्ण" और "अमेरिका (AMERICA) के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ" बताते हैं। आलोचक यह मानते हैं कि यह कदम "इस्लामोफोबिया" को बढ़ावा देने का काम कर रहा है, जो केवल एक समुदाय को निशाना बना रहा है।
इस फैसले का मानवता पर प्रभाव भी गहरा है। अमेरिका (AMERICA) में रहने वाले प्रवासी परिवारों के लिए यह एक और निराशाजनक घड़ी है। कई परिवारों के सदस्य अब अपने प्रियजनों से नहीं मिल पाएंगे, जो पहले इस उम्मीद में थे कि उन्हें अमेरिका (AMERICA) आने का मौका मिलेगा।
राजनीतिक दृष्टिकोण से, ट्रंप का यह कदम उनके राष्ट्रवादी समर्थकों को खुश करने का प्रयास है, जो उनके शासन के दौरान सीमाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते रहे हैं। लेकिन यह कदम अमेरिकी विदेश नीति और मानवाधिकारों को प्रभावित कर सकता है, जो आने वाले समय में अमेरिका (AMERICA) की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकता है।
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