पाकिस्तान की नई चाल! Trump के पैरों में गिर गिड़गिड़ा रहा शहबाज़ शरीफ, ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दी औकात

Shahbaz Sharif Trump meeting: जो भारत को आंखें दिखाता था, वो पाकिस्तान आज ट्रंप के पैरों में है! 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद शहबाज़ शरीफ शांति की भीख मांग रहे। जानें क्यों झुका PAK।

Harsh Srivastava
Published on: 5 Jun 2025 5:09 PM IST
Shahbaz Sharif Trump meeting
X

Shahbaz Sharif Trump meeting

Shahbaz Sharif Trump meeting: वो देश जो कल तक भारत को आंखें दिखाता था, आज उन्हीं आंखों से आँसू बहा रहा है। जो मंचों पर 'कश्मीर-ए-जन्नत' के नाम पर आग उगलता था, अब उन्हीं मंचों पर हाथ जोड़कर माफी मांगता फिर रहा है। पाकिस्तान, जिसने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत को चुनौती दी थी, आज अंतरराष्ट्रीय दूतावासों में शांति की दुहाई दे रहा है। युद्ध की भाषा बोलने वाला इस्लामाबाद अब गिड़गिड़ा रहा है, मिन्नतें कर रहा है, और सबसे बड़ा झटका तो ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पैर पकड़कर भारत से वार्ता की भीख मांग रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर जिसका पाकिस्तान अब तक न नाम लेना चाहता है, न याद करना उसने इस्लामाबाद की राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक कमर तोड़ दी। यह वो हमला नहीं था जो सिर्फ बॉर्डर पर हुआ, ये एक ऐसा ‘कूटनीतिक विस्फोट’ था जिसने पाकिस्तान को उसके ही बनाए आतंकवाद के दलदल में धकेल दिया। और अब, जब भारत की ओर से दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की आहट सुनाई दे रही है, पाकिस्तान अमेरिका की चौखट पर सिर पटकने लगा है।

इस्लामाबाद से वाशिंगटन तक घुटनों पर शरीफ

शहबाज़ शरीफ, जो अब तक सेना के इशारे पर भारत को 'हमला करने की कीमत' चुकाने की धमकी देते रहे थे, अब खुद अमेरिकी दूतावास में सिर झुकाकर शांति की बात कर रहे हैं। खबर ये है कि शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध किया कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए दखल दें और वार्ता की पहल करवाएं। यही नहीं, शरीफ ने ट्रंप की कूटनीतिक भूमिका की तारीफों के पुल भी बांधे कहा कि पहले भी ट्रंप की वजह से तनाव कम हुआ था और अब फिर वही जादू चाहिए। असल में पाकिस्तान को अब डर सता रहा है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा। भारत की नीति अब स्पष्ट है: आतंक का जवाब आतंक की भाषा में ही मिलेगा। और पाकिस्तान जानता है कि अगला हमला न सिर्फ सैन्य हो सकता है, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी उसे और ज्यादा अलग-थलग कर देगा। इसीलिए वह अमेरिका को बीच में लाने की पुरानी रणनीति पर लौट आया है।

बिलावल की डफली, ट्रंप की धुन

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी तो पहले ही वाशिंगटन में बैठकर ट्रंप को भारत-पाक संघर्षविराम का हीरो घोषित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने 10 अलग-अलग मौकों पर भारत-पाक तनाव को कम किया है और वो इसके 'हकदार' भी हैं। बिलावल ने खुले तौर पर ट्रंप से अपील की कि वो फिर से बीच में आएं और दोनों देशों के बीच ‘शांति वार्ता’ करवाएं। बिलावल की इस कोशिश को इस्लामाबाद में 'नरमी' की राजनीति कहा जा रहा है, लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान को डर है कि कहीं भारत फिर से सीमा पार जाकर उसकी सैन्य और आतंकी तैयारियों को तहस-नहस न कर दे। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ चुका पाकिस्तान अब ट्रंप के सहारे अपना चेहरा चमकाने की कोशिश कर रहा है।

‘गोली और बोली साथ नहीं चल सकती’

लेकिन पाकिस्तान की इन सारी चालों का भारत पर कोई असर नहीं हुआ। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वो किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को मान्यता नहीं देता और पाकिस्तान से बातचीत तभी संभव है जब वह आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करे। विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की आत्मरक्षा का हिस्सा था और इसके बाद किसी तरह का कोई अमेरिकी मध्यस्थता नहीं हुई। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि कनपटी पर बंदूक रखकर कोई वार्ता नहीं हो सकती। पाकिस्तान अगर सच में गंभीर है तो उसे सबसे पहले आतंकियों की फंडिंग बंद करनी होगी, आतंकी लॉन्चपैड खत्म करने होंगे और सीमा पार हमलों को रोकना होगा। शशि थरूर ने भी अमेरिका के दौरे पर ये बात साफ कर दी। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि अब वह आतंकवाद पर चुप नहीं बैठेगा। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह एक कड़ा संदेश था एक चेतावनी, कि अगर आतंक पालेगा, तो भारत वार्ता नहीं वार करेगा।

कूटनीतिक मिशन पर भारत, बेचैन पाकिस्तान

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने कई कूटनीतिक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजे, जिनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर कर रहे हैं। इनका मकसद साफ है दुनिया को बताना कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद का पनाहगार बना हुआ है। थरूर ने कहा कि पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का 'पीड़ित' बताता है, लेकिन हकीकत ये है कि वो खुद आतंक का उत्पादक और निर्यातक है। दूसरी ओर पाकिस्तान खुद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेचारा दिखाने में जुटा है। अमेरिका से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक, वो यही दिखाना चाहता है कि वो भारत से शांति चाहता है, पर भारत बातचीत के लिए तैयार नहीं। लेकिन भारत की एक ही लाइन है शांति तभी होगी जब आतंकी ढांचे का अंत होगा।

'ऑपरेशन सिंदूर' के साये में झुकता पाकिस्तान

ऑपरेशन सिंदूर कोई सामान्य सैन्य कार्रवाई नहीं थी। यह भारत की रणनीतिक, तकनीकी और कूटनीतिक ताकत का ऐसा प्रदर्शन था जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान की सेना, उसकी खुफिया एजेंसियां और सरकार—तीनों को यह समझ आ गया कि अब भारत सिर्फ चेतावनी नहीं देगा, सीधा जवाब देगा। शायद यही डर अब पाकिस्तान के नेताओं को ट्रंप के दरवाज़े पर ले गया है। उन्हें डर है कि अगली बार भारत जवाब नहीं देगा, बल्कि पूरा हिसाब करेगा। और इसी डर में पाकिस्तान ने अब 'शांति' की टोपी पहन ली है—जिसके नीचे आज भी वही पुराना चेहरा छिपा है, फरेब का, आतंक का और मक्कारी का।

मिन्नतें बहुत हैं, पर भारत नहीं झुकेगा

पाकिस्तान की ये गिड़गिड़ाहट चाहे जितनी लंबी चले, भारत की नीति अब अडिग है। आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते—ये संदेश अब सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने जो रुख अपनाया है, वो सिर्फ जवाबी हमला नहीं, एक रणनीतिक बदलाव है। शहबाज़ शरीफ ट्रंप से चाहे जितनी मिन्नतें कर लें, बिलावल भुट्टो अमेरिका में चाहे जितनी तारीफें गढ़ लें जब तक पाकिस्तान आतंक के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलता, भारत उसके किसी भी संवाद को न सुनने वाला है, न मानने वाला और शायद यही पाकिस्तान की सबसे बड़ी हार है कि जो देश वार्ता की शर्तें तय करता था, अब वार्ता की भीख मांग रहा है।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story