उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की कहानी में आया नया ट्विस्ट! अमेरिका से है सीधा कनेक्शन

Jagdeep Dhankhar resignation US Connection: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे छिपी है अमेरिका कनेक्शन वाली गहरी साजिश।

Harsh Srivastava
Published on: 23 July 2025 6:07 PM IST
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की कहानी में आया नया ट्विस्ट! अमेरिका से है सीधा कनेक्शन
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Jagdeep Dhankhar resignation US Connection: देश की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया जब सोमवार रात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसे "स्वास्थ्य कारण" बताया लेकिन सूत्रों की मानें तो यह सिर्फ एक पर्दा है इसके पीछे छिपी है एक ताकतवर साजिश सत्ता संघर्ष और निजी अहम की टकराहट और अब एक-एक करके वो परतें खुलने लगी हैं जो बता रही हैं कि इस्तीफे की वजह बीमारी नहीं बल्कि शक्तियों की रेस में पीछे कर दिए जाने की टीस है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति से मीटिंग बनी विवाद की वजह?

सूत्रों का कहना है कि जब कुछ समय पहले अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए थे तो जगदीप धनखड़ ने खुद उनसे मीटिंग की इच्छा जताई। उन्होंने यह भी कहा कि “वेंस मेरे समकक्ष हैं मैं ही उनसे मिलूंगा।” लेकिन यहीं से मामला बिगड़ने लगा। कहा जाता है कि एक सीनियर कैबिनेट मंत्री ने धनखड़ को फोन कर दो टूक शब्दों में कहा कि वेंस कोई साधारण डेलिगेट नहीं हैं बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप का खास संदेश लेकर पीएम मोदी से मिलने आए हैं इसलिए उनसे मिलना केवल प्रधानमंत्री स्तर की बात है। यही बात धनखड़ को खटक गई। वे इसे अपने संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी मान बैठे और भीतर ही भीतर नाराज हो गए।

‘मेरे पोर्ट्रेट की जगह कहां है?’

सूत्रों की मानें तो धनखड़ लंबे समय से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरों के साथ अपने पोर्ट्रेट को भी प्रमुख स्थान पर लगाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने कई मंत्रालयों को इसकी सलाह दी थी लेकिन कहीं भी उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। इतना ही नहीं धनखड़ ने अपनी आधिकारिक गाड़ियों को पूरी तरह मर्सिडीज फ्लीट में बदलने का प्रस्ताव भी कई बार दिया जिसे बार-बार टाल दिया गया। इन सब मामलों को उन्होंने शायद अपनी उपेक्षा समझा और यह असंतोष धीरे-धीरे इस्तीफे के फैसले में बदल गया।

जब बिना बताए पहुंचे राष्ट्रपति भवन

जानकारी के अनुसार इस्तीफे से ठीक पहले धनखड़ बिना अपॉइंटमेंट के सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। वहां मौजूद स्टाफ उनकी अचानक मौजूदगी से हक्का-बक्का रह गया और जल्दी-जल्दी राष्ट्रपति को इसकी सूचना दी गई। राष्ट्रपति उस समय फॉर्मल मीटिंग के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन फिर भी उन्होंने उन्हें मिलने बुलाया। बताया जाता है कि धनखड़ को 25 मिनट तक इंतजार करना पड़ा जो उनके लिए असामान्य था। राष्ट्रपति से मिलते ही उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया और बाहर आ गए। न कोई औपचारिक बयान न प्रेस वार्ताबस एक शांत विदाई जो आज सियासी तूफान बन गई है।

उम्मीद थी सरकार मनाएगी लेकिन कुछ नहीं हुआ

धनखड़ के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि जैसे ही इस्तीफे की खबर फैलेगी सरकार उन्हें मनाने की कोशिश करेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ना पीएमओ से कोई कॉल आया ना कैबिनेट से कोई संपर्क। उल्टे मंगलवार दोपहर में ही उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया गया। यह बात धनखड़ को और भी चुभ गई।

विपक्ष बोला, ये तो साफ-साफ साजिश है

धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस ने कहा कि यह “स्वास्थ्य” नहीं बल्कि “सत्ता के अहंकार” का मामला है।

ममता बनर्जी ने कहा “वो बिल्कुल स्वस्थ हैं हम सब जानते हैं।”

अखिलेश यादव ने कहा “बीजेपी का कोई बड़ा नेता उनका हालचाल तक पूछने नहीं गया ये बहुत कुछ कहता है।”

विपक्ष के कई नेताओं ने सवाल किया कि अगर धनखड़ वाकई बीमार थे तो 12 घंटे पहले तक वो एकदम एक्टिव क्यों थे?

क्या नया खुलासा होगा?

अब जब चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है तब हर कोई जानना चाहता है कि क्या धनखड़ फिर से राजनीति में आएंगे या कोई बड़ा धमाका करने वाले हैं? क्या वो किसी विपक्षी पार्टी में शामिल होंगे? या खुद कोई राजनीतिक मोर्चा खोलेंगे? फिलहाल एक बात साफ है यह इस्तीफा सिर्फ कुर्सी छोड़ने का नहीं बल्कि सत्ता से भिड़ने की शुरुआत है। अब देखना ये है कि यह लड़ाई कितनी दूर तक जाएगी और कितनों को अपनी चपेट में लेगी।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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