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भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम के पीछे क्या है कहानी? कौन 'विलेन' और कौन 'संकटमोचन'
India Pak War: भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के लिए आखिर क्या क्या हुआ
India Pakistan War: भारत और पाकिस्तान ने चार दिनों तक चले सीमा संघर्ष के बाद पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया पर इस समझौते की घोषणा की। यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब दोनों परमाणु संपन्न देश युद्ध के मुहाने पर खड़े थे।
राजनयिक प्रयासों की बड़ी भूमिका
विदेश नीति विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतों के बैकचैनल प्रयासों का परिणाम है। पर्दे के पीछे चली कूटनीतिक बातचीत ने तनाव कम करने में अहम योगदान दिया। हालांकि, संघर्षविराम के कुछ ही घंटों बाद दोनों देशों के बीच इसके उल्लंघन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। भारत ने पाकिस्तान पर लगातार उल्लंघन का आरोप लगाया, वहीं पाकिस्तान ने कहा कि वह समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है और उसकी सेनाएं संयम बरत रही हैं।
हमलों की पृष्ठभूमि और बढ़ता तनाव
यह टकराव पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में हुए एक हमले के बाद तेज हुआ, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-शासित कश्मीर में हवाई हमले किए। इसके बाद दोनों देशों के बीच गोलीबारी, हवाई टकराव और मिसाइल हमलों के आरोपों ने हालात को गंभीर बना दिया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को भारी नुकसान पहुंचाने का दावा किया।
अमेरिका की निर्णायक भूमिका
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया के अनुसार, अमेरिका ने इस पूरे घटनाक्रम में एक केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने कूटनीतिक रूप से दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की और संवाद बनाए रखने में मदद की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख को किया गया फोन कॉल इस प्रक्रिया में निर्णायक साबित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक प्रयास
सूत्रों के अनुसार, तनाव कम करने की इस प्रक्रिया में अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब ने विशेष प्रयास किए। सऊदी अरब के जूनियर विदेश मंत्री ने दोनों देशों का दौरा कर मध्यस्थता में सहयोग दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार ने बताया कि लगभग तीन दर्जन देशों ने इस कूटनीतिक प्रयास में हिस्सा लिया, जिनमें तुर्की और सऊदी अरब भी शामिल हैं।
भारत-अमेरिका के रिश्ते भी आए काम
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच मजबूत होते रणनीतिक संबंधों ने भी इस प्रयास को बल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तिगत संबंधों ने अमेरिकी प्रशासन को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। भारत के वरिष्ठ राजनयिकों के अनुसार, यह प्रयास 2019 में पुलवामा और बालाकोट घटनाओं के बाद किए गए शांति प्रयासों की याद दिलाते हैं।
हालांकि संघर्षविराम की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जमीन पर हालात अभी भी नाजुक बने हुए हैं। स्थायी समाधान के लिए दोनों देशों को पारदर्शी संवाद और दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है।
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