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आंवला नवमी 2025 कब है,Amla Navami Kab Hai 2025 जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Amla Navami Kab Hai 2025 आंवला नवमी 2025 कब मनाई जाएगी। कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और अक्षय नवमी का महत्व यहां विस्तार से जानें। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा से अक्षय फल और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
आंवला नवमी 2025 में कब है? आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि आवंला नवमी के दिन जो भी दान किया जाता है, उसका लाभ अगले जन्म में भी मिलता है।आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में आंवला नवमी का त्योहार शुक्रवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा क्योंकि इस दिन उदयातिथि नवमी होगी और शास्त्रों में उदयातिथि का ही महत्व माना गया है।
आंवला नवमी 2025 शुभ मुहूर्तकार्तिक शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर 2025 की सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर होगा। यह तिथि 31 अक्टूबर 2025 की सुबह 10 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। उदयकाल में नवमी होने के कारण व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान 31 अक्टूबर के दिन ही किए जाएंगे।
अक्षय नवमी पर बन रहे शुभ योग
31 अक्टूबर 2025 के दिन कई शुभ और पुण्यकारी योग बन रहे हैं। इस दिन वृद्धि योग रहेगा जो उन्नति और सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है। इसके साथ ही पूरे दिन रवि योग का संयोग रहेगा जिसमें किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं। सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक शिववास योग रहेगा, जो पूजा-पाठ और व्रत के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। इस दिन धनिष्ठा और शतभिषा नामक दो विशेष नक्षत्रों का संयोग भी रहेगा जिनकी उपस्थिति शांति और समृद्धि को बढ़ाने वाली मानी गई है।
अक्षय नवमी का महत्व
हिंदू धर्म में इस तिथि का बहुत विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान, पुण्य और उपासना कभी समाप्त नहीं होती बल्कि अक्षय फल प्रदान करती है। कार्तिक मास में स्नान और दान का अत्यधिक महत्व होता है और नवमी तिथि को तो यह फल और भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है। आंवला वृक्ष को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रिय स्वरूप बताया गया है, इस कारण इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा विशेष फलदायी होती है। ऐसा विश्वास है कि इस पूजा से परिवार में सुख, समृद्धि और संतान का कल्याण होता है।
आंवला नवमी पूजन विधि
प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। फिर किसी आंवला वृक्ष के समीप जाकर उसके आसपास सफाई की जाती है। वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल और दूध अर्पित किया जाता है। हल्दी और रोली से वृक्ष का पूजन किया जाता है। इसके बाद महिलाएं आंवला वृक्ष की आठ या 108 परिक्रमा लगाती हैं और वृक्ष पर मौली बांधती हैं। पूजा के पश्चात आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना अत्यंत शुभ और पुण्य देने वाला माना जाता है। यदि किसी कारणवश वृक्ष के नीचे भोजन करना संभव न हो तो कम से कम आंवला अवश्य ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है तथा नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
अक्षय नवमी पर क्या करना चाहिए
इस दिन स्नान, पूजा, तर्पण और अन्नदान करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आंवला वृक्ष की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में अक्षय यानी कभी न समाप्त होने वाले शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस तिथि के दिन शुभ कार्यों की शुरुआत, गृह प्रवेश और नए कार्यों की योजना बनाना भी शुभ माना गया है।
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