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Diwali Puja Muhurat: दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश के इन मंत्रों और इस चालीसा से शुभ-मुहूर्त में करें पूजा
Diwali Puja Muhurat इस दिवाली धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद पाना चाहते हैं? जानिए 2025 की लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त, विशेष उपाय, मंत्र और लक्ष्मी चालीसा।
Diwali Puja Muhuratदिवाली का पर्व न सिर्फ दीपों और मिठाइयों का उत्सव है, बल्कि यह धन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक भी है। इस पावन अवसर पर हर कोई चाहता है कि उसके घर में लक्ष्मी का स्थायी वास हो और जीवन में सौभाग्य का प्रकाश फैले। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि यदि दीपावली के दिन कुछ खास उपाय और विधि-विधान से पूजा की जाए, तो मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इस साल 2025 में दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यदि आप भी इस दिवाली अपनी किस्मत के द्वार खोलना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें और ये चार विशेष दीपक अवश्य जलाएं — एक मंदिर में, दूसरा पूजास्थल पर, तीसरा तुलसी के पास और चौथा घर के मुख्य द्वार पर। यह सरल उपाय आपके जीवन में अक्षय लक्ष्मी और अपार समृद्धि का प्रवेश कराता है।
दिवाली पर गणेश जी के मंत्रों का जाप
‘ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये, वरवरद सर्वजनं में वशमानाय स्वाहा।’
‘ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं।’
‘ॐ गं गणपतये नम:।’
‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं।’
‘ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपतये वरवरद सर्वजन हृदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा।’
‘ॐ गणेशं ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नम: फट्।’
दिवाली पर करें मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप
‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:’।
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।’
‘ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।’
‘ॐ ऐं क्लीं सौ:।’
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नम:।’
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे धनं पूरय चिन्ताम् दूरय स्वाहा।’
‘ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नम:।’
‘ॐ श्रीं च विद्महे अष्ट ह्रीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी-विष्णु प्रचोद्यात।’
दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 20 अक्टूबर को शाम 6 . 56 मिनट से 8. 4 मिनट तक
अवधि- 1 घंटा 8 मिनट
निशिता काल का मुहूर्त – रात 11:41 से 21 अक्टूबर को सुबह 12:31 तक
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 . 8 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 6 बजकर 56 मिनट से 8.53 मिनट तक
कुंभ लग्न मुहूर्त (अपराह्न) – 15:44 से 15:52
अवधि – 00 घण्टे 08 मिनट्स
वृषभ लग्न मुहूर्त (सन्ध्या) – 18:56 से 20:53
अवधि – 01 घण्टा 56 मिनट्स
सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 01:26 से 03:41, अक्टूबर 21
अवधि – 02 घण्टे 15 मिनट्स
दीपावली, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस बार कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 . 44 मिनट से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर की शाम 5.55 मिनट तक रहेगी। इस बार 20 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या का संयोग बन रहा है, जो शाम 3. 44 मिनट से आरंभ होगा। मान्यता है कि यदि सायं काल (संध्या समय) में प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाए तो उस दिन दीपावली नहीं मनाई जाती, क्योंकि प्रतिपदा में दीपावली का धार्मिक महत्व नहीं होता। इस साल 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाएगा।
श्री लक्ष्मी चालीसा
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
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