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Extra Marital Affair in Kundli:कौन सी महिला है चरित्रहीन,कुंडली के ग्रह खोलेंगे आपके जीवनसाथी के नाजयज संबंध और चरित्र का राज
Extra Marital Affair in Kundli:कुंडली में कई योग होते है जो हमारे चरित्र को प्रमाणित करते है जानते है कैसे जातक होते है चरित्रहीन, किस कुंडली वाले जातकों का होता है अवैध नाजायज संबंध...कौन सी महिला है चरित्रहीन,कुंडली के ग्रह खोलेंगे आपके जीवनसाथी के नाजयज संबंध और चरित्र का राज:
Extra Marital Affair in Kundli : कौन सी महिला है चरित्रहीन,कुंडली के ग्रह खोलेंगे आपके जीवनसाथी के नाजयज संबंध और चरित्र का राज: हर व्यक्ति चाहता है कि उसका परिवार अच्छा चरित्रवान और सम्मानित हो, परिवार के हर सदस्य का कर्म अच्छा हो। चाहे पति हो या पत्नी या बच्चे सब चरित्रवान हो, गलत कामों और कामाशक्ति की इच्छा प्रबल न हो। लेकिन कभी कभी न चाहते हुए भी चरित्र पर दाग लगते है तो कुछ लोग चरित्रहीन दुश्प्रवृति के होते है। इसके लिए कहीं न कहीं जातक की कुंडली और जन्म समय के ग्रह नक्षत्र का भी प्रभाव होता है। कोई जातक चरित्रहीन है इससे जानने के लिए कुंडली से महिला-पुरुष चरित्र को जान सकते है।
कुंडली से जातक के चरित्र को जाना जा सकता है।चाहे वो पुरुष हो या किसी स्त्री की काम वासना, चारित्रहीनता, व्यभिचार या वेश्यावृति सबकी जानकारी कुंडली में मिलती है। जानते हैं कौन सा योग जातक को व्यभिचार की ओर धकलेता है।
कब होती है कोई महिला चरित्रहीन
ज्योतिष के अनुसार इस संबंध में किसी भी महिला की कुंडली के सातवें, आठवें और दसवें भाव पर शुक्र, मंगल और चंद्रमा को देखना चाहिए। इनमें बुध और शुक्र की स्थिति है तो अवैध संबंध बनते है।
शुक्र ग्रह वासना और भोग का ग्रह है। यह ग्रह जब मंगल और चंद्र के साथ होगा तो जातक का मन कामाशक्ति में लगता है। अगर किसी महिला की कुंडली में शुक्र-चंद्रमा के साथ नीच राशि में है, तो यह मंगल ग्रह के साथ चरित्रहीन बनाता है।
अगर कुंडली में शुक्र मेष, सिंह, धनु, वृश्चिक राशि में हो या फिर वह नीच के भाव में रहे, साथ में मंगल, राहु, केतु या शनि के साथ योग में हो तो ऐसी महिलाएं कई पुरुषों से संबंध बनाती है। ये वैवाहिक संबंध की मार्यादा लांघ देती ।
राहु-केतु से भी चरित्र प्रभावित
कुंडली में मंगल शुक्र की राशि में स्थित हो और राहू-केतु लग्न में तो ये लोग व्यभिचार की हद पार करते है साथ ऐसे संबंधों के लिए अपराधी भी बन जाते है। अगर किसी महिला की कुंडली में ऐसी स्थिति होती है तो वो कॉलगर्ल बन जाती है, कई पुरुष के संबंध स्थापित करती है।
चंद्रमा और शुक्र ये योग कब बनाता है चरित्र हीन
अगर चंद्रमा- शुक्र के योग कुंडली में तुला राशि के साथ हैं ऐसे लोग काम-वासना पूर्ति के लिए किसी भी हद तक चली जाती है।
किसी भी महिला की नवांश कुंडली में शनि शुक्र की राशि में और शुक्र शनि की राशि में तो उस महिला में निजी संबंध या कहे पुरुष स्त्री संबंध बनाने की प्रबल इच्छा रहती है,शुक्र मंगल की राशि में और मंगल शुक्र की राशि में रहे तो ऐसी महिलाएं अपने पति के अलावा दूसरे पुरुषों से संबंध बनाने का मौका हाथ से नहीं गवाती है।
किसी महिला जातक की कुंडली के सातवें भाव में बुध साथ में शुक्र से मिले तो उनके गुप्त अनैतिक तरीके से संबंध बनते है।
अगर महिला जातक की कुंडली में तीसरे भाव में शुक्र- मंगल से प्रभावित हो, छठे भाव में मंगल की राशि के साथ चंद्रमा बारहवें स्थान पर है।ऐसे जातक को नाजायज संबंध रखने वाले जीवनसाथी मिलने के योग होता हैं।
महिला की कुंडली में यदि शनि लग्न में, शनि के साथ मंगल के योग होने पर उसकी यौनआकांक्षा प्रबल होती है। शनि दशवें स्थान पर है तोकामुकता को बढ़ता है, शनि शुक्र, मंगल और चंद्रमा के साथ योग कर व्यक्ति की कामुकता को काफी बड़ा कर देता है।
कुंडली में चंद्रमा बारहवें भाव में मीन राशि में हो, तो इस कुंडली की महिला जातकों का कई पुरुषों के साथ यौन संबंध हो सकता है। यदि चंद्रमा उच्च का हो तो प्रेम में सफलता मिलती है, लेकिन नीच होने देह व्यापार के व्यवसाय में लग जाती है।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा होने और उसके शनि के साथ योग बनाए तो ऐसे जातक का अपने साथी के अलावा प्रेम-संबंध दूसरे पुरुष के साथ बनता है, शनि राहु की स्थिति भी महिला के लिए कष्टदायी होती है।
अगर कुंडली के सप्तम भाव में राहु हो तो ऐसी महिलाएँ विवाह के बाद अवैध संबंध बनाती है। इससे जीवनसाथी भी कई के साथ अवैध संबंध कायम रखने वाला मिलता है। ऐसे लोग दांपत्य जीवन के प्रति लापरवाह होते हैं।
कुंडली का सप्तम भाव कामुकता और विवाहेत्तर संबंध का होता है।अगर किसी महिला की कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य है तो नाजायज संबंध या फिर उसे अनैतिक संबंध बनाने वाला जीवनसाथी मिल सकता है।
कैसे पुरुष होते है व्यभिचारी
इसके अलावा जिन पुरुषों की कुंडली में सूर्य चंद्र शुक्र की युति हो या चन्द्र मंगल बुध की युति हो तो जातक तेजस्वी होने के बावजूद पर स्त्री में रूचि रखता है। किसी कुंडली में बुध चंद्र शुक्र सप्तम में और लग्न में राहु हो तो जातक का चरित्र अच्छा नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी को भी गलत काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। यदि लग्न का स्वामी, दूसरे और छठे भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में पाप ग्रह के साथ हो तो ऐसा जातक निश्चित रूप से एक रिश्ते में नहीं रुक सकता है। जातक का चरित्र संदेहपूर्ण होगा। सप्तम भाव में शुक्र दूसरे भाव के स्वामी के साथ विराजमान हो जाए और उस पर मंगल राहु की दृष्टि हो ऐसे पुरुष की कई स्त्रियों से घनिष्ट मित्रता होती है ,वह कामातुर रहता है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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