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खुलेंगे भाग्य या बढ़ेगी परेशानियां, जानिए नटराज की मूर्ति का वास्तु विज्ञान घर में रखने से क्या होगा?Natraj Murti at Home
Natraj Murti at Home शिव का यह रूप, नटराज, विनाश के साथ-साथ पुनर्निर्माण, ऊर्जा संतुलन और आत्मज्ञान का भी प्रतीक है, जानते है इस मूर्ति को घर में रखना सही है या नहीं।
Natraj Murti at Home : सावन में हर तरफ शिवमय माहौल है। लोग शिव की भक्ति में डूबे है और निकटता के लिए शिव के प्रतीक चिह्नों को घर लेकर आ रहे है।इसमें पौधे त्रिशुूल डबरू रुद्राक्ष और उनकी मूर्ति है।आपने देखा होगा आजकल ज्यादातर घरों में भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर होती है,कुछ लोग अपने घर में शिवलिंग भी स्थापित करते हैं.,लेकिन नटराज की मूर्ति घर में रखना सही नहीं माना जाता है।जानते है क्या सच में शिव के नटराज रूप को घर में नहीं रखना चाहिए?
नटराज की मूर्ति घर में रखें या नहीं?
घर में नटराज की मूर्ति रखना शुभ या अशुभ, इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा और अशांति आती हैं, जबकि कुछ इसे कला और रचनात्मकता का प्रतीक मानते हुए शुभ मानते हैं।
धार्मिक मान्यता में नटराज भगवान शिव का रौद्र रूप है। नटराज की मूर्ति क्रोध का प्रतीक भी मानी जाती है, इसलिए नटराज की मूर्ति घर में रखने के लिए मना किया जाता है। इसी वजह से कभी भी नटराज की मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए।
नटराज भगवान शिव को तांडव नृत्य करते हुए दर्शाया गया है। विनाशक रूप होने के कारण इसे घर में रखना सही नहीं होता है। कहते हैं कि घर में नटराज की मूर्ति रखने से परिवार की तरक्की रुक सकती है और व्यक्ति को धन हानि का भी सामना करना पड़ सकता है।
घर में नटराज की मूर्ति रखने से परिवार का माहौल बिगड़ सकता है और आए दिन घर में कलह-क्लेश भी हो सकते हैं। इसलिए वास्तु में नटराज की मूर्ति को घर में नहीं रखना चाहिए वरना आपको अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।घर में अशांति और नकारात्मक ऊर्जा ला सकती है.,साथ ही, नटराज की मूर्ति परिवार के लोगों में असुरक्षा और भय की भावना पैदा कर सकती है। इसलिए इसे घर में रखने से बचना चाहिए।
नटराज का स्वरूप प्रतीक
भगवान शिव को ब्रह्मांडीय नर्तक के रूप दिखाने वाली नटराज की मूर्ति, सामंजस्य, संतुलन और तारतम्यता का प्रतीक है। , ऐसी पवित्र मूर्तियों की स्थापना घर के भीतर ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वास्तु नियमों के अनुसार नटराज की मूर्ति को रखा जा सकता है।
भगवान नटराज न केवल अपने दिव्य नृत्य के साथ शक्तिशाली शक्तियों को संतुलित करने की उनकी क्षमता के लिए भी पूजनीय हैं। यह मूर्ति द्वैत का प्रतीक है, इनका नृत्य उनके गतिशील नृत्य को दर्शाते हैं, जबकि उनके लहराते बाल गति और ऊर्जा का प्रतीक हैं। उनकी जटाओं में चित्रित गंगा, जीवनदायी जल का प्रतीक है जो अस्तित्व को बनाए रखती है। उनके मुकुट में अर्धचंद्र, धतूरा का फूल और मानव खोपड़ी है, जो समय, परिवर्तन और नश्वरता का प्रतिनिधित्व करती है। नटराज को अक्सर चार भुजाओं के साथ दिखाया जाता है, हालाँकि कुछ चित्रणों में दस भुजाएँ भी दिखाई जाती हैं। उनके ऊपरी दाहिने हाथ में डमरू (ताल और समय का प्रतीक एक ढोल) है, जबकि उनके ऊपरी बाएँ हाथ में अग्नि (सृजन और संहार की ज्वाला) है।उनका निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, जो सुरक्षा और साहस का प्रतीक है। इस हाथ के चारों ओर एक नाग लिपटा हुआ है, जो भय और बुराई पर नियंत्रण का प्रतीक है। नटराज के माथे पर स्थित तीसरी आँख ज्ञान का प्रतीक है, तथा उनकी पहली और दूसरी आँख सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक हैं। उनके पैरों के नीचे स्थित बौना दानव, अपस्मार, अज्ञान का प्रतीक है। अपस्मार को मारने के बजाय, उसे वश में करके, नटराज ज्ञान और अज्ञान के बीच संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे ज्ञान का मूल्य अक्षुण्ण बना रहता है।
घर में कहां रखें नटराज की मूर्ति
भगवान नटराज भगवान शिव के अवतार हैं और उन्हें घर के उत्तर-पूर्व ( ईशान्य ) में स्थापित किया जाना चाहिए , जो भगवान शिव का निवास स्थान है। सुनिश्चित करें कि आप केवल नटराज की मूर्ति रखें, कोई अन्य देवता या शिव की मूर्तियाँ न रखें। नटराज को हमेशा मेज या चबूतरे पर रखें (बड़ी मूर्तियों के लिए) और कभी भी ज़मीन पर न रखें।नटराज की मूर्ति को उत्तर-पूर्व कोने में रखें, क्योंकि यह दिशा भगवान शिव से जुड़ी है, जिनका प्रतिनिधित्व यह मूर्ति करती है।मूर्ति का मुख आदर्श रूप से उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, जो समृद्धि और प्रचुरता से जुड़ी दिशा है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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