एक साथ दुर्लभ त्रियोग! चंद्र ग्रहण, पितृपक्ष और पंचक, सूतक से पहले पूर्ण कर लें श्राद्ध कर्म

Lunar eclipse 2025: सात सितंबर (रविवार) के दिन चंद्र ग्रहण लगने, पितृपक्ष की शुरूआत होने और पंचक के आरंभ होने के चलते धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है।

Shishumanjali kharwar
Published on: 7 Sept 2025 8:21 AM IST (Updated on: 7 Sept 2025 8:24 AM IST)
Lunar Eclipse 2025-Pitru Paksha 2025
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Lunar Eclipse 2025-Pitru Paksha 2025

Chandra Grahan 2025: आज (सात सितंबर) को दुर्लभ संयोग बन रहा है चंद्र ग्रहण, पितृपक्ष और पंचक। ऐसे में आज का दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है। चंद्र ग्रहण के सूतक लगने से पहले श्रद्धालुओं को पूर्णिमा का कर्मकांड समय रहते पूरा कर लेना होगा। जिससे पितरों का आशीर्वाद बना रहे। हिंदू पंचाग के मुताबिक सात सितंबर (रविवार) के दिन चंद्र ग्रहण लगने, पितृपक्ष की शुरूआत होने और पंचक के आरंभ होने के चलते धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है। हिंदू धर्म शास्त्रों में यह एक अद्भुत त्रियोग है, जिसमें धार्मिक कर्मकांडों और नियमों का महत्व होता है।

भारत में दृश्यमान होगा चंद्र ग्रहण

रविवार सात सितंबर को पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण भारत में नजर आएगा। ऐसे में इसका सूतक भी यहां मान्य होगा। बताया जाता है कि ग्रहण लगने से नौ घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। चंद्र ग्रहण रात्रि 09.57 बजे से शुरू होगा और 01.26 बजे समाप्त होगा। ऐसे में चंद्र ग्रहण आरंभ होने के नौ घंटे पहले यानी कि दोपहर 12.57 बजे से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सूतक के लगते ही मंदिर के द्वार खोलना, धार्मिक कार्य करना, भोजन बनाना या फिर ग्रहण करना वर्जित माना गया है।

पितृपक्ष का आरंभ

भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरूआत हो गयी है। पूर्णिमा को पितृपक्ष के पहले दिन के दिन पहला श्राद्ध कर्म किया जाता है। चूंकि इस बार पितृपक्ष की शुरू के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है और नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। ऐसे में सूतक लगने से पहले ही श्रद्धालुओं को पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म करना जरूरी होगा। मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण के सूतक काल में पितरों के श्राद्ध कर्म को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में सूतक लगने से पहले ही तपर्ण, श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन का कर्म पूरा कर लेना चाहिए। सूतक लगने के बाद यह सभी कार्य वर्जित माने गये हैं।

अशुभ माना जाता है पंचक काल

छह सितंबर (शनिवार) से पंचक की शुरूआत हो चुकी है। हिंदू धर्म शास्त्रों में पंचक को अशुभ माना जाता है। पंचक काल के दौरान छत डालना, घर बनाने की नींव रखना, बिस्तर बुनना और शव दाह वर्जित माना गया है। पितृपक्ष पर इस बार पंचक का साया भी है। ऐसे में श्राद्ध कर्म करने से पहले श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की जरूरत है और शास्त्रीय नियमों के मुताबिक ही पितृपक्ष पर तर्पण और श्राद्ध करें।

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Shishumanjali kharwar

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मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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