Vat Savitri Vrat Rule: वट सावित्री व्रत से जुड़े नियमों का पालन करने से बढ़ता है सुहाग, जानिए कैसे और कहां-कहां होता है ये व्रत

Vat Savitri Vrat Rule: इस बार बहुत खास अद्भुत संयोग में वट सावित्री व्रत मनाया जायेगा। इस दिन सोमवती अमवास्या , सवार्थ सिद्धी योग भी बन रहा है। जानते है कैसे और कहा मनाया जाता है वट सावित्री व्रत....

Suman  Mishra
Published on: 23 May 2025 8:54 AM IST (Updated on: 23 May 2025 8:56 AM IST)
Vat Savitri Vrat Rule: वट सावित्री व्रत से जुड़े  नियमों का पालन करने से बढ़ता है सुहाग, जानिए कैसे और कहां-कहां होता है ये व्रत
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Vat Savitri Vrat Rule: वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat ) गुरुवार 27 जून को अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री व्रत है। जिसे धर्मानुसार पतिव्रता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए किया था। तभी से मान्यतानुसार यह व्रत सुहागिनें करती आ रही है। वैसे तो उत्तर भारत में इस व्रत का अधिक महत्व है। लेकिन दक्षिण भारत के भी कुछ राज्यों में इस व्रत को मनाया जाता है।

बिहार, उड़ीसा, झारखंड़ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में भी इस दिन व्रत किया जाता है और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या तो दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूजा करने की मान्यता है। इसका जिक्र पुराणों में भविष्य पुराण में भी है।

वट सावित्री व्रत के नियम

बिहार, मध्यप्रदेश ,उत्तर प्रदेश और झारखंड में वट सावित्री व्रत से जुड़ा एक जैसा नियम है। यहां महिलाएँ ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखती है और पति और संतान के दीर्घायु की कामना करती है। इस दिन यहां वट वृक्ष की 12 या 108 बार परिक्रमा करने का विधान है। व्रत सामग्री में मीठा पुआ, आटा से बनाया वर, पुड़ी , चना, खरबूजा, आम, खीरा और हाथ से बने बांस के पंखे को रखकर पूजा की जाती है और व्रत रखकर कथा सुनती है। वट वृक्ष के फल से पानी के साथ व्रत को तोड़ती है।

राजस्थान में वट सावित्री व्रत

राजस्थान में भी अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। यहां भी सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिनें व्रत रखती है। मिठाई , फल और चुरमा से पूजा करती है। साथ में 108 परिक्रमा भी वट वृक्ष की करके सदा सुहाग रहने की कामना करती है। इस दिन राजस्थान में दाल बाटी और चूरमा बनाकर व्रत तोड़ा जाता है।

महाराष्ट्र-गुजरात में वट सावित्री व्रत

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को महाराष्ट्र-गुजरात में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है जो 24 जून को है और वट सावित्री की पूजा के साथ वट वृक्ष की 108 परिक्रमा की जाती है। महाराष्ट्र में इस दिन पोरणपोली बनाया जाता है। सुहागिनें एक-दूसरे को सुहाग देती है।

उड़ीसा में वट सावित्री व्रत

उड़ीसा में भी सावित्री व्रत रख कर सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिने कामना करती है और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है। वट वृक्ष में धागा बांधकर 108 परिक्रमा करती है। पुराणो में कहा गया है कि वट सावित्री व्रत करने से एक साथ त्रिदेव का आशीर्वाद मिलता है। इस वृक्ष में ब्रह्मा विष्णु महेश का वास होता है।

वट सावित्री व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 . 11 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 मई को सुबह 08 .31 मिनट पर तिथि खत्म होगी। इस प्रकार से वट सावित्री व्रत 26 मई को किया जाएगा।

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई को दोपहर 12 . 11 मिनट से शुरू होगी

अमावस्या तिथि समाप्त: 26 मई को सुबह 08 .31 मिनट पर तिथि खत्म होगी

वट सावित्री पूजा के मुहूर्त:

लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 12:20 से 02:04 बजे तक

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 . 03 मिनट से 04 . 44 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02. 36 मिनट से 03. 31 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 .58 मिनट से 12. 39 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- 11 . 52 मिनट से लेकर 12 . 48 मिनट तक

वट सावित्री व्रत में क्या खाया जाता है?

सावित्री ने पति के प्राणों की रक्षा के लिए अपनी सुध-बुध छोड़ दी थी और यमराज से प्राणों की रक्षा की थी। वैसे ही आज कलयुग में भी महिलाएं अपने पति और परिवार की रक्षा के लिए व्रत उपवास करती हैं। वट सावित्री के दिन व्रत रखकर माता सावित्री से अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है। पौराणिक कथा के माध्यम से पता चलता है कि सावित्री ने कैसे पति के प्राणों की रक्षा की, लेकिन आज के समय में इस व्रत में उपवास और पूजा के साथ किन चीजों का सेवन करना चाहिए जानते हैं।

वट सावित्री का व्रत अन्य व्रतों से थोड़ा अलग है। इस व्रत में पूरे दिन व्रत नहीं रखा जाता है। लेकिन कहीं-कहीं लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं। खासकर यूपी , पंजाब हरियाणा और राजस्थान में इस व्रत को पूरे विधि-विधान से रखा जाता है।इस दिन पूजा में जो चढ़ाया जाता है,उसे ही खाया जाता है।आम,चना, खरबूजा, पुरी , गुलगुला पुआ से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। व्रत के संपन्न होने के बाद इन्ही चीजों को प्रसाद के रुप में खाते हैं।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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