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Bihar Election 2025: वोट अधिकार यात्रा और मुफ्त रेवड़ी के बीच, बाढ़ का मुद्दा नजरअंदाज, लाखों बिहारी हर साल होते हैं प्रभावित
बिहार चुनाव 2025: वोट अधिकार यात्राओं और मुफ्त योजनाओं के बीच, हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली बाढ़ की समस्या नजरअंदाज हो रही है। जानें कैसे राजनीतिक पार्टियां इस गंभीर संकट को अनदेखा कर रही हैं।
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनावों के कुछ ही महीने पहले राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। राज्य की प्रमुख गठबंधन , महागठबंधन और एनडीए, दोनों ही अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने की कोशिश में लगी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई योजनाओं और स्कीमों के जरिए बिहार की जनता को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है, वहीं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव भी अपनी ‘वोट अधिकार यात्रा’ के जरिए चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं।
हालांकि, बिहार में चुनावी गहमा-गहमी के बीच राज्य के असल मुद्दे, जैसे बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएँ, लगभग नजरअंदाज हो रहे हैं। हर साल बाढ़ के कारण बिहार के लाखों लोग प्रभावित होते हैं, और राज्य की स्थिति में कोई सुधार होता नजर नहीं आता। इन मुद्दों पर न तो विपक्ष कोई सवाल उठाता है और न ही सत्ताधारी पार्टी द्वारा गंभीरता से कदम उठाए जाते हैं। बिहार की जनता को जहां अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता है, वहीं बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से रोजमर्रा की जिंदगी में भारी मुश्किलें आ रही हैं।
बिहार में बाढ़ की स्थिति
बिहार में बाढ़ एक गंभीर और लगातार उत्पन्न होने वाली समस्या है। राज्य के कई जिले, खासकर गंगा और अन्य प्रमुख नदियों के किनारे बसे इलाके, हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं। बाढ़ के कारण न केवल फसलें नष्ट होती हैं, बल्कि कई लोग अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। हाल ही में, भागलपुर, बेगूसराय, मुंगेर, भोजपुर, पटना, वैशाली, बक्सर, सारण, समस्तीपुर, खगड़िया और कैमूर जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ये जिले मुख्य रूप से गंगा, कोसी, गंडक, महानंदा और बागमती नदियों के उफान से प्रभावित होते हैं, जिससे राज्य में बर्बादी मचती है। बिहार के कुल 28 जिले बाढ़ प्रभावित माने जाते हैं, और हर साल इनमें से कई जिले बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। बिहार में बाढ़ एक बड़ी और सालाना समस्या है। राज्य का लगभग 73% हिस्सा बाढ़ प्रवण है, जिसमें 28 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बिहार भारत में बाढ़ से होने वाली क्षति का लगभग 30-40% हिस्सा है.
नाव हादसा: एक और त्रासदी
बिहार में बाढ़ के कारण एक और त्रासदी सामने आई है। हाल ही में, सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के बेलापट्टी में एक बड़ा नाव हादसा हुआ है। इस हादसे में 12 लोग सवार थे, जिनमें 10 महिलाएं और 2 नाविक शामिल थे। नाव बीच नदी में पलट गई, जिससे एक महिला की मौत हो गई और 4 लोग लापता हो गए। यह घटना मंगलवार शाम की है, जब ये लोग घास लेकर घर लौट रहे थे। यह हादसा बेंगा धार में हुआ था, जो बाढ़ के कारण उफान पर थी। इस घटना ने एक बार फिर बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में हालात की गंभीरता को उजागर किया है। ऐसे हादसों से हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं, और राज्य सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी के कारण यह स्थिति और भी विकट हो जाती है।
बाढ़ संकट को नजरअंदाज कर सिर्फ चुनावी योजनाओं पर ध्यान
बिहार के विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। यह हाल तब है जब हर साल बाढ़ की वजह से लाखों लोग प्रभावित होते हैं और हजारों की जान चली जाती है। राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी योजनाओं और यात्रा के साथ जनता को लुभाने में लगी हैं, जबकि असली समस्या, यानी बाढ़ और उसके बाद होने वाली त्रासदी, उनकी प्राथमिकताओं से गायब है। बिहार के नेताओं को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए, ताकि राज्य की जनता को राहत मिल सके और आने वाले समय में ऐसी त्रासदियों को कम किया जा सके।
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