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चुनाव से पहले बिहार में वोटर लिस्ट पर छिड़ी जंग, 70 लाख वोटर्स में बड़ा झोल, INDIA Bloc ने EC को घेरा
India bloc on Bihar SIR: चुनाव से पहले बिहार में मतदाता सूची में बड़ा झोल! INDIA Bloc ने चुनाव आयोग पर 70 लाख मतदाताओं के नाम कटने का आरोप लगाया और आपत्ति दर्ज करने की तैयारी शुरू की।
India bloc on Bihar SIR: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया पूरी होते ही राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। विपक्षी INDIA Bloc ने चुनाव आयोग पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और लाखों लोगों के नाम काटने का आरोप लगाते हुए ज़मीनी स्तर पर महा-वेरिफिकेशन अभियान शुरू कर दिया है। RJD से लेकर CPI-ML तक सभी दलों ने अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को मैदान में उतार दिया है, ताकि अगले 48 घंटों में आपत्तियों का तूफान खड़ा किया जा सके। विपक्षी दलों का दावा है कि चुनाव आयोग डेटा पारदर्शिता नहीं बरत रहा है और 65 लाख से 70 लाख तक मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की साज़िश रची गई है।
RJD ने बक्सर से शुरू की 'फील्ड रिपोर्ट'
RJD ने इस अभियान की शुरुआत बक्सर से की, जहाँ सांसद सुधाकर सिंह खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। 30 सितंबर की रात से ही BLAs को मतदाता सूची सौंप दी गई थी और बुधवार सुबह से ही चौकाने वाली रिपोर्ट्स आने लगी हैं।
असंतुलित कटौती: सुधाकर सिंह का दावा है कि कई परिवारों में केवल पुरुष सदस्यों के नाम काट दिए गए हैं, जबकि महिला सदस्य सूची में मौजूद हैं।
दोहरी वोटिंग का खतरा: उन्होंने यह भी कहा कि एक मतदाता का नाम दो विधानसभा क्षेत्रों—रामगढ़ और बक्सर—में दर्ज है, जिससे वह दोहरी वोटिंग का पात्र बन जाता है।
48 घंटे में दाखिल होगी आपत्ति: RJD नेता ने बताया कि पार्टी ने पिछले तीन महीनों में BLAs को ट्रेनिंग दी थी और अब अगले 48 घंटों में यह प्रक्रिया पूरी कर आपत्तियां दाखिल की जाएंगी। उन्होंने आयोग पर डेटा मशीन रीडेबल (Machine Readable) न रखने का भी आरोप लगाया, जिससे डबल एंट्री और त्रुटियों को पकड़ना मुश्किल हो रहा है।
CPI-ML: 'त्योहारों में डेटा जारी कर हकीकत छुपाई'
CPI-ML के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 'मैक्रो डेटा हकीकत छिपा रहा है'।
महिलाओं के नाम पर वार: भट्टाचार्य का कहना है कि महिलाओं के नाम असामानुपातिक रूप से काटे गए हैं।
राजनैतिक दलों से चर्चा नहीं: उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतने बड़े संशोधन अभ्यास के लिए आयोग ने किसी राजनीतिक दल से चर्चा तक नहीं की, सिर्फ सर्कुलर और प्रेस रिलीज़ जारी की।
त्योहारों में जांच: CPI-ML ने त्योहारों के समय डेटा जारी करने पर भी आपत्ति जताई, उनका कहना है कि जब BLA और कार्यकर्ता त्योहारों में व्यस्त हैं, तब इतने सीमित समय में डेटा की जाँच और आपत्तियाँ दाखिल करना बेहद कठिन है।
चुनावी विश्लेषकों ने भी उठाए सवाल
जाने-माने चुनावी विश्लेषक योगेंद्र यादव ने भी इस SIR प्रक्रिया पर अपनी विशेषज्ञ राय दी है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के मूल स्वरूप में बिहार के 1.5 करोड़ मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा सकता था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद चुनाव आयोग ने अपनी ही गाइडलाइन बदली और लगभग 77% मतदाताओं को 'वंशावली क्लॉज' के तहत छूट दी।
5 लाख अतिरिक्त नाम: यादव ने Form 6 के ज़रिए नए नाम जुड़ने पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में नए मतदाताओं की संख्या 16 लाख से बढ़कर 21 लाख हो गई है, और सवाल है कि ये 5 लाख अतिरिक्त नाम कहाँ से आए?
डेटा की पारदर्शिता: यादव के अनुसार, मतदाता सूची का डेटा इमेज फॉर्मेट में होने के कारण विस्तृत विश्लेषण करना बेहद कठिन है, जो पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है।
INDIA Bloc अब अगले 72 घंटों में अपनी ज़मीनी रिपोर्ट और डेटा विश्लेषण को अंतिम रूप देकर चुनाव आयोग को सौंपने की तैयारी में है। यह 'वोटर लिस्ट की जंग' साफ तौर पर दिखाती है कि 2025 विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में राजनीतिक तापमान अपने चरम पर पहुँच चुका है।
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