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“नीतीश कुमार की छाती तोड़ देंगे” कहने वाले नेता की जेडीयू में एंट्री! ललन सिंह ने कराया समझौता
Bihar Elections: जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार, जिन्होंने एक समय नीतीश कुमार को 'छाती तोड़ देने' की धमकी दी थी, उनकी जेडीयू में वापसी हो रही है। उनकी एंट्री को पहले वीटो करने वाले ललन सिंह ने ही अब समझौता कराया है। यह वापसी एक लंबी राजनीतिक दुश्मनी और स्वजातीय नेतृत्व की लड़ाई के बाद हो रही है।
Bihar Elections
Bihar Elections: पूर्व सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी अरुण कुमार की 11 अक्टूबर को जेडीयू में वापसी हो रही है। पिछले महीने ही वे जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होने वाले थे। लेकिन ऐन वक्त पर उनके ही एक पुराने साथी ललन सिंह ने उनकी एंट्री पर वीटो लगा दिया था। अब वहीं ललन सिंह उन्हें जेडीयू वापस लेकर आ रहे हैं। शनिवार दोपहर करीब तीन बजे जहानाबाद से पूर्व सांसद अरुण कुमार, जदयू में शामिल होंगे। इससे पहले, 4 सितंबर को जदयू में उनकी वापसी होनी थी। लेकिन अगले ही दिन अरुण कुमार की एंट्री पर ब्रेक लग गया। अरुण कुमार ने एक बातचीत में बताया कि बिहार बंद के चलते मिलन समारोह रद्द कर दिया गया है। उन्होंने नीतीश कुमार को अपनी जाति के समर्थन को लेकर धमकी भी दे डाली थी। और तो और उनकी छाती तोड़ डालने तक की बात कह दी थी।
1999 से 2004 तक रह चुके हैं सांसद
अरुण कुमार की जॉइनिंग टलने की कहानी इतनी सीधी नहीं थी, जितनी वो बता रहे थे। जेडीयू से जुड़े एक बड़े नेता के बताया कि नीतीश कुमार के खासमखास और अरुण बाबू के स्वजातीय नेता ने ही उनकी वापसी पर वीटो कर दिया था। जिनका नाम है राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह। इसकी वजह ईगो का टकराव और जाति के नेतृत्व की लड़ाई बताई गई। ललन सिंह और अरुण कुमार की ये अदावत भी नई नहीं है। नीतीश कुमार के साथ बनते बिगड़ते उनके रिश्ते में ललन सिंह काफ़ी अहम फैक्टर भी रहे हैं। अरुण कुमार समता पार्टी के दिनों से नीतीश कुमार के साथी रहे हैं। वो उन चुनिंदा नेताओं में से थे जो जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार दोनों के गुडबुक में शामिल थे। साल 1999 से 2004 तक वे जेडीयू के टिकट पर जहानाबाद से सांसद रहे। साल 2009 में जॉर्ज फर्नांडिस जब नीतीश कुमार से अलग हुए उसके बाद से अरुण कुमार और नीतीश के बीच भी दूरियां आने लगी। और इस दूरी को खाई बनाने में भूमिका रही नीतीश कुमार के एक और पुराने साथी ललन सिंह की।
इसके बाद अरुण कुमार उपेंद्र कुशवाहा के साथ गए। और साल 2014 में उनकी पार्टी RLSP से सांसद बने। फिर आया साल 2015 तब नीतीश कुमार आरजेडी के सहयोग से सरकार चला रहे थे। उसी साल पुटुस उर्फ पवन कुमार यादव हत्याकांड हुआ। 18 जून, 2015 को एक लड़की से बदसलूकी के विवाद में उसकी हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के आरोप मोकामा विधायक अनंत सिंह पर लगे। मामले को लेकर उनकी गिरफ्तारी भी हुई। ऐसी अफवाह भी चली कि एनकाउंटर भी हो सकता है। इस घटना को लेकर भूमिहारों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई। अरुण कुमार भी इसी जाति से आते हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को धमकी दे डाली।
नीतीश कुमार की छाती तोड़ देंगे
विवादित बयान का मामला कोर्ट तक पहुंचा। अरुण कुमार को 3 साल की सजा हुई। हालांकि बाद में कोर्ट से बरी भी हो गए। इसके बाद से अरुण कुमार और नीतीश कुमार की तल्खियां बढ़ गईं। बाद में उपेंद्र कुशवाहा से अलग होकर अरुण कुमार चिराग पासवान के साथ गए। तब चिराग एनडीए गठबंधन से अलग ताल ठोंक रहे थे। उस दौरान अरुण कुमार ने आरोप लगाया कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश कुमार को खाने या दवा में कुछ मिलाकर दे रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री को मेमोरी लॉस हो रहा है। चिराग पासवान और अरुण कुमार का साथ भी ज्यादा वक्त नहीं चल पाया। लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज अरुण कुमार ने अपने रास्ते अलग कर लिए। इसके बाद से अरुण कुमार राजनीतिक वनवास में हैं। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर से एनडीए से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की। अपने बयानों पर सफाई दी। साथ ही कुछ महीनों से चुप्पी भी साध रखी है।
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