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लालू के साले बन गए थे पटना के डॉन! भांजी की शादी में लूट लिया पूरा शहर, दुकानदारों से फिरौती वसूलते थे खुलेआम
Lalu Yadav brother-in-law: लालू यादव के साले साधु और सुभाष यादव पर पटना में खुलेआम गुंडागर्दी और फिरौती वसूली के सनसनीखेज आरोप। रोहिणी आचार्य की शादी में कार, जेवर और फर्नीचर की जबरन लूट। क्या यही था 'पिछड़ों का सशक्तिकरण' या अराजकता का युग?
Lalu yadav Brother in law
Lalu Yadav brother-in-law: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक दौर को लेकर हमेशा से दो मत रहे हैं। उनके समर्थक कहते हैं कि उन्होंने बिहार के पिछड़े वर्गों को ताकत दी, उन्हें बोलने का हक दिलाया। लेकिन विरोधियों का दावा है कि लालू यादव का दौर दरअसल काले राज का समय था, जब फिरौती, गुंडागर्दी और बदमाशी चरम पर थी। आज हम जिस बात का ज़िक्र करने जा रहे हैं, वह लालू यादव के शासनकाल से जुड़ा एक ऐसा खुलासा है, जिसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा।
लालू यादव के साले और पटना में खौफ का राज
एक पॉडकास्ट शो के दौरान झारखंड बीजेपी के इलेक्शन मैनेजमेंट चीफ, मृत्युंजय शर्मा ने एक सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा कि लालू यादव के दो साले, सुभाष यादव और साधु यादव जो पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई हैं, उस दौर में पटना की सड़कों पर खुलेआम जीप में घूमते थे। उन्हें देखते ही दुकानदार अपने शटर बंद कर लेते थे। शर्मा ने बताया कि ये दोनों दुकान में घुसकर सीधे फिरौती मांगते थे। दुकानदार मना भी नहीं कर सकते थे क्योंकि वे जानते थे कि ये खुद लालू यादव के साले हैं। प्रशासन भी इनकी हरकतों पर आंखें मूंदे रहता था।
रोहिणी आचार्य की शादी
शर्मा ने आगे बताया कि साल 2002 में लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की शादी बड़े धूमधाम से की गई थी। लेकिन इस भव्य शादी के पीछे जो हकीकत है, वो चौंकाने वाली है। शादी के इंतजाम के लिए लालू के साले एक कार शोरूम में घुस गए और दर्जनों गाड़ियां बिना पैसे दिए उठा ले गए। फिर वे एक सोने की दुकान पर पहुंचे और वहां से भी भारी मात्रा में जेवरात ले गए। इसके बाद उन्होंने फर्नीचर की दुकानों से 100 से ज़्यादा सोफा सेट उठा लिए। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान पूरा प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। शादी के वक्त जिस गांव में रोहिणी आचार्य के पति रहते थे, वहां रातों-रात सड़क बना दी गई और बिजली की पूरी लाइन खींच दी गई। इससे सरकार को करीब 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
बिहार के पिछड़ेपन की असली वजह?
इन खुलासों के सामने आने के बाद लालू यादव की राजनीति और उनके कार्यकाल पर कई गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं। क्या सचमुच यह 'पिछड़ों को अधिकार देने का दौर' था या फिर 'अराजकता का युग'? क्या ऐसे ही कारणों से बिहार विकास की दौड़ में पीछे रह गया?
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