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चुनाव से पहले नीतीश के मंत्री ने की गद्दारी! JDU छोड़ RJD में हुए शामिल, पार्टी ने की पलटवार की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की पार्टी JDU को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने बगावत करते हुए RJD का दामन थाम लिया है। लौकहा सीट से शुरू हुई इस सियासी गद्दारी ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
Lakshmeshwar rai joins RJD: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को मधुबनी जिले की लौकहा विधानसभा सीट पर एक बड़ा झटका लगा है। इस सीट से टिकट के दावेदार और पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने अपनी मांग पूरी न होने पर बागी तेवर दिखाते हुए राजद (RJD) का दामन थाम लिया है। लक्ष्मेश्वर राय ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम वाले दिन ही सार्वजनिक रूप से चर्चा छेड़ दी थी कि अगर उन्हें लौकहा से टिकट नहीं मिला तो वह बगावत करेंगे और उन्होंने ठीक वैसा ही किया। यह सीट नीतीश कुमार की नजर में इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि यह लगातार JDU का मजबूत गढ़ रही थी, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को यहाँ हार का सामना करना पड़ा था। इस हार की टीस JDU खेमे में आज भी साफ झलकती है, जिसे अब बागी हुए लक्ष्मेश्वर राय ने और बढ़ा दिया है। अब इस सीट पर NDA गठबंधन एक नया और चौंकाने वाला प्रयोग करने की तैयारी में है।
सीएम की बेचैनी: लौकहा हारने की टीस
लौकहा सीट का राजनीतिक महत्व नीतीश कुमार के लिए कितना गहरा है, यह उनके हालिया कार्यों से साफ झलकता है। पूर्व मंत्री हरि साह की मूर्ति अनावरण और नहर परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन के लिए नीतीश कुमार लगातार लौकहा पहुँचते रहे, जो एक साफ संदेश था कि यह सीट उनके लिए वीआईपी लिस्ट में है। दुर्गा पूजा के दौरान मुख्यमंत्री का कार्यक्रम घोषिन (यादव) बाहुल्य सिरसिया में आयोजित हुआ था। जहाँ सीएम ने लाभुक संवाद में हिस्सा लेने के बाद एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए पुनः मौका देने की भावुक अपील की थी। सभा को संबोधित करते हुए JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने तो दर्द खुलकर बयां कर दिया था। उन्होंने कहा था कि दरभंगा एवं मधुबनी में NDA तीन सीट जीतने में असफल रहा, जिसमें लौकहा भी शामिल था। उन्होंने बताया कि सीएम नीतीश कुमार जीत के नम्बर में लौकहा को एक नम्बर पर रखे हुए थे। लक्ष्मेश्वर राय के बागी होने के बाद, जदयू अब इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए 'लीक से हटकर' एक बड़ी रणनीति पर विचार कर रहा है।
JDU का 'चौंकाने वाला' उम्मीदवार प्लान
लक्ष्मेश्वर राय के जाने के बाद, लौकहा से पूर्व विधायक सतीश कुमार साह, जिला पार्षद विनोद साह और कमलाकांत भारती समेत कई दावेदार दौड़ में हैं, लेकिन JDU पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी यहाँ से कोई चौंकाने वाला उम्मीदवार दे सकती है। JDU की नई रणनीति महागठबंधन के मूल वोट बैंक में सेंधमारी करने की है, ताकि जीत को सुनिश्चित किया जा सके। समता पार्टी से लेकर जदयू तक लगातार लौकहा से अतिपिछड़ा उम्मीदवार को लड़ाता रहा है। लेकिन 2000 के बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU को यहाँ हार का मुंह देखना पड़ा। वर्तमान विधायक भारत भूषण मंडल अतिपिछड़ा के धानुक समुदाय से आते हैं, और राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल भी उसी समुदाय से हैं, जिनका घर फुलपरास है। ऐसे में अतिपिछड़ा का वोट बँटना तय है।
यादव और तेली वोट पर निगाह
JDU की संभावित 'लीक से हटकर' रणनीति में यादव और तेली वोटों पर फोकस दिख रहा है। सीएम नीतीश कुमार का घोषिन (यादव) बाहुल्य सिरसिया में कार्यक्रम करना कोई साधारण बात नहीं थी। 1990 तक कांग्रेस का वोटर रहा यह इलाका, उसके बाद जनता दल एवं राजद की तरफ शिफ्ट हो गया। JDU अब यहाँ सेंधमारी करके अपने कोर वोटर से होने वाली हानि की भरपाई करने की कोशिश में है। तेली जाति का वोट पिछले चुनाव में JDU को नहीं मिला था। 2015 में भाजपा के प्रमोद प्रियदर्शी को 60 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए, और 2020 में लोजपा के स्व. प्रियदर्शी को 30 हजार से अधिक मत मिले। माना जाता है कि तेली का एकमुश्त वोट प्रियदर्शी को मिला था, जिस वजह से 2020 में JDU हार गई। इस बार भी यदि किसी पार्टी ने तेली जाति से उम्मीदवार नहीं दिया, तो निर्दलीय उम्मीदवार बनने की चर्चा है, क्योंकि हाल ही में लौकहा विधानसभा में तेली जाति का सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें पार्टी न सही, निर्दलीय चुनाव में उतरने का निर्णय लिया गया था। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि JDU राजद के कोर वोटर में सेंधमारी का लाभ उठाने का प्रयास कर सकता है और इसी उद्देश्य से एक चौंकाने वाला उम्मीदवार दे सकता है जो राजद के वोटों को तोड़कर जीत सुनिश्चित करे।
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