TRENDING TAGS :
GST की आठवीं वर्षगांठ: बढ़ते विवादों के बीच भारत में तेज़ और निष्पक्ष समाधान ढांचे की ज़रूरत
8th Anniversary of GST in India: जीएसटी से जुड़े लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक गति से बढ़ रही है।
8th Anniversary of GST in India
8th Anniversary of GST in India: भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को अब आठ साल पूरे हो चुके हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है जिसने केंद्र और राज्यों के कई अप्रत्यक्ष करों को खत्म करके एक एकीकृत कर प्रणाली की स्थापना की। इससे न केवल कर अनुपालन और प्रशासन सरल हुआ बल्कि व्यापार जगत को एक समान कर ढांचा मिला। डिजिटल अनुपालन में सुधार भी हुआ है। परंतु, आज यह प्रणाली एक गंभीर चुनौती से जूझ रही है - तेज़ी से बढ़ते टैक्स विवाद और निर्णय में देरी, जिससे न्यायिक प्रणाली पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
वर्तमान विवादों की स्थिति और आंकड़े :
जीएसटी से जुड़े लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक गति से बढ़ रही है।
• 2021-22 में लगभग 10 हजार मामले लंबित थे जिनमें ₹22,000 करोड़ की कर मांग शामिल थी।
• 2023-24 तक यह आंकड़ा बढ़कर 22 हजार मामले और ₹1.14 लाख करोड़ हो गया है।
इसी अवधि में, लंबित अपीलों में फंसी राशि भी दोगुनी होकर ₹3.67 लाख करोड़ से बढ़कर ₹7.40 लाख करोड़ हो गई है।
लगभग 22 हजार अपीलें ऐसे मंचों पर फंसी हैं जहाँ पिछले 5 वर्षों से कोई निर्णय नहीं हुआ है। विशेषकर MSMEs के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि इसमें उनकी कार्यशील पूंजी अटक जाती है, जिससे व्यवसाय की तरलता पर असर पड़ता है।
मौजूदा विवाद समाधान प्रणाली की चुनौतियाँ :
• कानूनी व्याख्याओं में भिन्नता: अलग-अलग राज्यों में कानून की अलग व्याख्याओं और सीमित स्पष्टता के कारण शुरुआत में व्यवसायों को भ्रम हुआ, जिससे कई विवाद जन्मे।
• निर्धारित समय-सीमा की अनदेखी: कानून में जहां SCN (कारण बताओ नोटिस) और प्रारंभिक आदेश के लिए समयसीमा तय है, वहीं अपील निर्णयों के लिए कोई बाध्यकारी समयसीमा नहीं है, जिससे निर्णय में देरी हो रही है।
• पूर्व जमा की अनिवार्यता (Pre-deposit): अपील दायर करने से पहले 10% टैक्स जमा करने की शर्त ने MSMEs के लिए नकदी प्रवाह में रुकावट पैदा की है। जबकि इसका उद्देश्य फिजूल अपीलों को रोकना था, परंतु यह वास्तविक करदाताओं पर भारी पड़ रहा है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम :
सरकार ने विवादों को कम करने और प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने हेतु कई पहल की हैं:
• स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन: FAQs, सर्कुलर और एडवांस रूलिंग जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से अस्पष्ट प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है।
• राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति: फिजूल अपीलों को हतोत्साहित कर महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नीति बनाई गई है।
• पूर्व जमा में राहत: MSMEs को राहत देने के लिए कुछ मामलों में Pre-deposit शर्तों में ढील दी गई है।
• धारा 11A का प्रावधान: "As is/Where is" के सिद्धांत पर आधारित यह नई धारा, टैक्स की कम वसूली या ट्रेड प्रैक्टिस आधारित विवादों को सुलझाने का रास्ता खोलती है। इसकी प्रक्रिया जारी है।
आगे का रास्ता: समाधान प्रणाली में सुधार की ज़रूरत :
1. GSTAT का संचालन:
GST Appellate Tribunal (GSTAT) की स्थापना हो चुकी है लेकिन इसके संचालन की प्रतीक्षा अब समाप्त होनी चाहिए। यह एक विशेषीकृत और तेज़ निर्णय प्रणाली देगा जिससे अपीलों का शीघ्र निपटारा संभव हो पाएगा।
2. अपील निर्णय के लिए समयसीमा बाध्य करना:
यदि सरकार अपील आदेशों के लिए निर्धारित समयसीमा को बाध्यकारी बना दे तो इससे लंबित मामलों में बड़ी राहत मिल सकती है।
3. धारा 11A की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना:
इससे ट्रेड प्रैक्टिस से जुड़े विवादों को नियमित रूप से सुलझाने में मदद मिलेगी और अनावश्यक मुकदमेबाजी से राहत मिलेगी।
4. राष्ट्रीय अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (National AAR):
यह प्राधिकरण राज्यों में कानूनी व्याख्याओं में समानता लाएगा, जिससे भिन्न-भिन्न निर्णयों के कारण उत्पन्न विवाद कम होंगे।
वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) - मध्यस्थता का सुझाव :
मौजूदा प्रणाली के साथ-साथ एक वैकल्पिक समाधान प्रणाली जैसे मध्यस्थता (Arbitration) को जीएसटी ढांचे में सम्मिलित किया जा सकता है। इससे:
• विवादों का शीघ्र समाधान होगा
• प्रणाली पर बोझ कम होगा
• करदाताओं को लागत-कुशल, लचीला और निष्पक्ष समाधान मिलेगा
यह मौजूदा प्रक्रिया का विकल्प नहीं बल्कि पूरक माध्यम हो सकता है जिससे विवाद समाधान में गति आएगी।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!