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₹800 Crore Dredging Scam at JNPT : JNPT में 800 करोड़ का ड्रेजिंग घोटाला, CBI जांच के घेरे में पूर्व अधिकारी और निजी कंपनियां
₹800 Crore Dredging Scam at JNPT : JNPA के अधिकारियों और कुछ निजी संस्थाओं के बीच आपराधिक साजिश के तहत कॉन्ट्रैक्ट बांटे गए जिसके बाद ये सभी CBI जांच के घेरे में हैं।
₹800 Crore Dredging Scam at JNPT (Image Credit-Social Media)
₹800 Crore Dredging Scam at JNPT : जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) में 800 करोड़ रुपये से अधिक के ड्रेजिंग घोटाले का मामला अब गंभीर जांच के दायरे में है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में JNPT के पूर्व मुख्य प्रबंधक, दो निजी कंपनियों और कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह मामला मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर नेवीगेशन चैनल की गहराई बढ़ाने के लिए दिए गए एक बड़े ठेके से जुड़ा है, जिसमें ठेका प्रक्रिया में कथित अनियमितताएं और सरकारी धन की हेराफेरी की गई।
CBI की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, यह घोटाला उस समय हुआ जब JNPA के अधिकारियों और कुछ निजी संस्थाओं के बीच आपराधिक साजिश के तहत कॉन्ट्रैक्ट बांटे गए। ठेकेदारों को चुनने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और जानबूझकर कुछ चुनिंदा कंपनियों को अनुचित लाभ दिया गया। दो प्रमुख निजी कंपनियों को संयुक्त रूप से यह काम सौंपा गया था, जिनमें से एक मुंबई और दूसरी चेन्नई से जुड़ी हुई है। दोनों कंपनियों को कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट का काम दिया गया, जिसका उद्देश्य बड़े जहाजों की आवाजाही के लिए समुद्री चैनल की गहराई बढ़ाना था।
CBI को यह भी संदेह है कि इस प्रोजेक्ट की निगरानी के दौरान एक निजी कंसल्टिंग फर्म को परियोजना प्रबंधन सलाहकार (PMC) के रूप में नियुक्त किया गया, जिसने JNPA अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं को प्रभावित किया और अनुबंध देने में भूमिका निभाई। आरोप है कि सलाहकार कंपनी की नियुक्ति में भी नियमों को दरकिनार किया गया और तकनीकी मानकों को नजरअंदाज कर लाभ दिलवाया गया।
सूत्रों के अनुसार, JNPA को इस प्रोजेक्ट के चलते भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। रिपोर्ट्स का कहना है कि कई स्तरों पर पारदर्शिता की कमी, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और जानबूझकर कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाना इस घोटाले के मुख्य कारण हैं।
CBI अब सभी दस्तावेजों, ठेके की शर्तों और भुगतान प्रक्रियाओं की बारीकी से जांच कर रही है। पूर्व अधिकारी और निजी कंपनियों के बीच की बातचीत, मीटिंग रिकॉर्ड और ईमेल का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि यह साबित किया जा सके कि सरकारी धन का दुरुपयोग किस प्रकार से किया गया। अगर आरोप साबित होते हैं तो यह मामला बंदरगाह क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बन सकता है।
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