एयर इंडिया के खाने में बाल - कोर्ट ने 23 साल बाद लगाया ₹35,000 का जुर्माना

23 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने एयर इंडिया को आदेश दिया कि यात्री को खाने में बाल मिलने पर ₹35,000 का मुआवजा दिया जाए, एयरलाइन की जिम्मेदारी पर जोर।

Sonal Girhepunje
Published on: 24 Oct 2025 12:17 PM IST (Updated on: 24 Oct 2025 12:19 PM IST)
एयर इंडिया के खाने में बाल - कोर्ट ने 23 साल बाद लगाया ₹35,000 का जुर्माना
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Air India Food Complaint Wins Justice: एयर इंडिया के खाने में बाल मिलने का मामला साल 2002 से शुरू हुआ था। पी. सुंदरापरिपोरनम नामक यात्री ने उस समय कोलंबो से चेन्नई जाने वाली फ्लाइट IC 574 में खाना लिया। जब उन्होंने खाना खोला, तो उसमें बाल देखकर उन्हें घिन हुई और वे बीमार भी पड़ गए। उस समय एयरलाइन के स्टाफ ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और फ्लाइट में कोई शिकायत बॉक्स भी मौजूद नहीं था। इसके बाद पी. सुंदरापरिपोरनम ने एयर इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर को लिखित शिकायत दी, लेकिन एयरलाइन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह लंबी कानूनी लड़ाई 23 साल तक चली और अब मद्रास हाई कोर्ट ने यात्री को न्याय दिलाते हुए एयरलाइन को ₹35,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

एयरलाइन ने क्या कहा और कोर्ट ने कैसे फैसला सुनाया

एयर इंडिया ने कोर्ट में कहा कि खाना चेन्नई के अंबेसडर पल्लवा होटल से मंगवाया गया था, इसलिए गलती होटल की है। साथ ही एयरलाइन ने दावा किया कि यात्री ने पैक खोला, इसलिए शायद किसी और यात्री का बाल गिरा गया। लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने एयर इंडिया की दलीलों को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि टिकट में खाना शामिल है और खाने की गुणवत्ता और स्वच्छता की जिम्मेदारी एयरलाइन की ही है।

कोर्ट का कानूनी फैसला और मुआवजा

कोर्ट ने res ipsa loquitur का सिद्धांत लगाया, जिसका मतलब है कि गलती अपने आप साबित होती है। यानी यात्री को यह साबित करने की जरूरत नहीं कि खाना में बाल कैसे आया। एयरलाइन को यह दिखाना होगा कि उसने पूरी सावधानी रखी। ट्रायल कोर्ट ने पहले ₹1 लाख मुआवजा दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे घटाकर ₹35,000 किया क्योंकि यात्री ने कोई मेडिकल सबूत नहीं दिया। कोर्ट ने एयरलाइन को चार हफ्तों में यह राशि देने का आदेश दिया।

एयरलाइन की जिम्मेदारी

इस फैसले से स्पष्ट हो गया कि एयरलाइन को सिर्फ सुरक्षित उड़ान ही नहीं देनी चाहिए, बल्कि खाने-पीने और सेवाओं की गुणवत्ता व स्वच्छता की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। खाने में बाल होना यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। यह फैसला एयरलाइन कंपनियों के लिए चेतावनी है कि वे अपनी सेवाओं को सुधारें और ऐसी लापरवाही दोबारा न होने दें।

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