मुनाफे के लालच में खतरे में डाली सुरक्षा, खुद अमेरिका चीन को बना रहा है ‘सुपरपावर’!

अमेरिकी सरकार पर यह आरोप लगा है कि उसने आर्थिक मुनाफे के लिए अपने ही सुरक्षा हितों को नजरअंदाज कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कई दशकों से अमेरिका ने चीन की सरकारी एजेंसियों और कंपनियों को उन्नत तकनीक बेचकर उसकी जासूसी और सैन्य क्षमता को और मजबूत बनाया है।

Sonal Girhepunje
Published on: 30 Oct 2025 10:38 AM IST
मुनाफे के लालच में खतरे में डाली सुरक्षा, खुद अमेरिका चीन को बना रहा है ‘सुपरपावर’!
X

America’s Double Game: दुनिया की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था माने जाने वाला अमेरिका आज ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां पैसे और मुनाफे की लालच ने उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और नैतिकता को पीछे छोड़ दिया है। हाल ही में एसोसिएटेड प्रेस (AP) की एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि अमेरिकी सरकार ने अपने ही हितों के खिलाफ जाकर चीन को आधुनिक तकनीक बेचने की अनुमति दी। पिछले कई दशकों में पांच अलग-अलग अमेरिकी सरकारों ने चीनी पुलिस, सरकारी एजेंसियों और जासूसी कंपनियों को उन्नत तकनीक देने की इजाज़त दी।

यह वही चीन है, जिसे अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा और मानवाधिकार उल्लंघन का जिम्मेदार बताता आया है। लेकिन दूसरी तरफ, अमेरिकी कंपनियां उसी चीन को टेक्नोलॉजिकल रूप से मजबूत बनाने में मदद कर रही थीं।

चीन के पास तकनीकी चोर दरवाजा

अमेरिका ने चीन को शक्तिशाली AI चिप्स की सीधी बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन चीन ने इसका रास्ता निकाल लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘क्लाउड सर्विसेज़’ के जरिए चीन अमेरिकी कंपनियों से ये चिप्स किराए पर लेकर अपने AI मॉडल्स को ट्रेन कर रहा है। यह एक तरह का तकनीकी चोर दरवाजा (Technical Loophole) बन गया है, जिससे चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से आगे बढ़ रही है। अमेरिकी सांसदों ने इस लूपहोल को बंद करने के लिए चार बार कानून लाने की कोशिश की, लेकिन टेक लॉबी और 100 से ज्यादा लॉबिस्टों के दबाव में यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका। बड़ी कंपनियां जैसे एनवीडिया (NVIDIA), AMD और अमेजन (Amazon) का कहना है कि अगर चीन पर पूरी तरह रोक लगी, तो वह अपनी तकनीक विकसित कर लेगा, जिससे अमेरिकी कंपनियों और नौकरियों को नुकसान होगा।

मुनाफे में शामिल है अमेरिकी सरकार भी

यह विवाद सिर्फ कंपनियों की लॉबिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें अमेरिकी सरकार की भूमिका भी स्पष्ट दिखती है। ट्रंप प्रशासन के दौरान सिलिकॉन वैली की कई बड़ी कंपनियों के साथ ऐसे समझौते हुए, जिनसे चीन को तकनीक निर्यात की मंजूरी मिली। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने एनवीडिया और AMD के साथ एक डील की, जिसके तहत उन्नत चिप्स की बिक्री पर लगी रोक आंशिक रूप से हटा दी गई। बदले में अमेरिकी सरकार को 15% राजस्व लाभ प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं, सरकार ने इंटेल (Intel) कंपनी में 10% हिस्सेदारी भी हासिल की, जिससे अमेरिकी टैक्सदाताओं को भी इस मुनाफे में अप्रत्यक्ष लाभ मिला। हालांकि इंटेल का कहना है कि सरकार की यह हिस्सेदारी “निष्क्रिय” है, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि सरकार खुद इस व्यापार से आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रही थी।

अमेरिकी तकनीक से हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन

रिपोर्ट का सबसे बड़ा खुलासा यह है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों में अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ‘क्लाउड सर्विसेज़’ के साथ-साथ, 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार के बाद भी अमेरिका ने सिर्फ सामान्य पुलिस उपकरणों की बिक्री पर रोक लगाई, लेकिन फेशियल रिकग्निशन, कैमरे और निगरानी तकनीक पर कोई ठोस प्रतिबंध नहीं लगाया। जांच में सामने आया कि यू.एस. कमर्शियल सर्विस (U.S. Commercial Service) नामक सरकारी एजेंसी ने खुद अमेरिकी टेक विक्रेताओं को चीनी सुरक्षा एजेंसियों से जोड़ा, ताकि तकनीक की बिक्री आसान हो सके।

शिनजियांग की एक महिला गुलबहार हैतिवाजी ने बताया कि वहां हर पल कैमरों से निगरानी की जाती थी, यहां तक कि टॉयलेट तक में कैमरे लगे थे। यह साबित करता है कि अमेरिकी तकनीक अब मानवाधिकारों के उल्लंघन और व्यापक जासूसी के औजार के रूप में इस्तेमाल की जा रही है।

रणनीतिक गलती या लालच का नतीजा?

चीनी तियानमेन छात्र नेता झोउ फेंगसुओ ने इस पूरे मामले को “मुनाफे की लालच से पैदा हुई रणनीतिक विफलता” बताया है। वहीं डेमोक्रेटिक सीनेटर रॉन विडेन का कहना है कि जब भी चीन को लेकर सख्त कदम उठाने की बात आती है, कंपनियों के आर्थिक हित और टेक लॉबी का दबाव सरकार को रोक देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, बड़ी टेक कंपनियों और सरकारी मिलीभगत ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को कमजोर कर दिया है।

1 / 8
Your Score0/ 8
Sonal Girhepunje

Sonal Girhepunje

Mail ID - [email protected]

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!