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2026 में बैंकिंग नियम बदलेंगे: लॉकर चोरी से नुकसान? बैंक देगा 100 गुना मुआवजा - आपका पैसा सुरक्षित!
RBI 2026 में नए बैंकिंग नियम लागू करने जा रहा है। साइबर धोखाधड़ी, लॉकर सुरक्षा, ऋण नियम, KYC और वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा में बड़े सुधार होंगे।
Locker Theft Compensation - Bank Pays 100x: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश की बैंकिंग व्यवस्था में 2026 में बड़े बदलाव करने जा रहा है। इसके लिए 238 नए मास्टर नियम तैयार किए गए हैं। इन नियमों का मकसद है कि ग्राहकों की सुरक्षा बढ़े, बैंकिंग सेवाएं सादा और आसान हों, और हर कोई बैंकिंग का फायदा आसानी से ले सके। आज के समय में डिजिटल बैंकिंग बढ़ रही है और साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, इसलिए RBI ने यह कदम उठाया है। इन नए नियमों में साइबर फ्रॉड से सुरक्षा, लॉकर सुरक्षा, KYC प्रक्रिया आसान बनाना, ऋण नियमों में सुधार और वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर पर बैंकिंग सुविधा जैसी बातें शामिल हैं। जनता और बैंकिंग संस्थानों से इन नियमों पर राय मांगी जा रही है। इन बदलावों को 1 जनवरी से 1 अप्रैल 2026 के बीच लागू किया जा सकता है। इस सुधार के बाद बैंकिंग सिस्टम अधिक सुरक्षित, आसान और ग्राहक के लिए सहायक बनेगा।
लॉकर चोरी में 100 गुना मुआवजा
बैंक लॉकर सुरक्षा में भी अब बड़े बदलाव आने वाले हैं। नए नियमों के अनुसार, अगर किसी लॉकर में चोरी, डकैती, आग या बैंक की लापरवाही की वजह से नुकसान होता है, तो बैंक को वार्षिक किराए का 100 गुना मुआवजा देना होगा। हालांकि, अगर नुकसान प्राकृतिक आपदा या ग्राहक की गलती से हुआ हो, तो बैंक जिम्मेदार नहीं होगा। साथ ही, बैंकों को अपने लॉकर सिस्टम की सुरक्षा के लिए पूरी सावधानी बरतनी होगी ताकि ग्राहक का सामान सुरक्षित रहे।
साइबर फ्रॉड से ग्राहक सुरक्षित
भारतीय रिज़र्व बैंक ने साफ किया है कि अगर किसी ग्राहक के बैंक खाते से ऑनलाइन ठगी या साइबर धोखाधड़ी होती है और वह तीन कार्य दिवसों के अंदर इसे बैंक में रिपोर्ट करता है, तो ग्राहक को कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा। इसका मतलब है कि पूरा पैसा बैंक द्वारा वापस किया जाएगा और ग्राहक को एक रुपये की भी हानि नहीं होगी। साथ ही, अगर बैंक समय पर कार्रवाई नहीं करता है, तो उसे ₹25,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह नियम बैंकों को डिजिटल सुरक्षा मजबूत करने और ग्राहक सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित करेगा
वरिष्ठ नागरिकों के लिए डोरस्टेप बैंकिंग
70 साल या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग और दृष्टिबाधित लोग अब घर बैठे बैंकिंग सेवाएं ले सकते हैं। इस सुविधा में नकद जमा और निकासी, चेक पिकअप और डिलीवरी, KYC अपडेट, जीवन प्रमाणपत्र जमा करना, और फिक्स्ड डिपॉजिट सलाह जैसी सेवाएं शामिल हैं।
कुछ बैंकों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के ग्राहकों को ये सेवाएं निःशुल्क मिलेंगी, जिससे उन्हें बैंक जाने की परेशानी नहीं होगी और बैंकिंग और भी आसान बन जाएगी।
ऋण नियम में बड़े सुधार
1 जनवरी 2026 से फ्लोटिंग रेट वाले व्यक्तिगत और एमएसएमई ऋणों पर प्रीपेमेंट पेनल्टी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इसका मतलब है कि ग्राहक अपने ऋण को कभी भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के चुका सकते हैं। बैंकिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, सभी बैंकों को एक समान फॉर्मूला अपनाना होगा ताकि ब्याज दर साफ़-साफ़ समझ में आए। साथ ही, की फैक्ट्स स्टेटमेंट (KFS) अब सभी खुदरा और एमएसएमई ऋणों में अनिवार्य किया गया है, जिससे ग्राहक ऋण की वास्तविक लागत और शुल्क आसानी से जान सकेंगे।
KYC अपडेट अब आसान और सरल
बैंकिंग में KYC प्रक्रिया अब आसान और ग्राहक-अनुकूल हो गई है। कम जोखिम वाले ग्राहकों को हर 10 साल, मध्यम जोखिम वालों को हर 8 साल, और उच्च जोखिम वाले ग्राहकों को हर 2 साल में KYC अपडेट करना होगा। दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले ग्राहकों के लिए बीसी एजेंट के माध्यम से KYC अपडेट करना आसान होगा। अगर केवल पते में बदलाव है, तो ग्राहक को सिर्फ स्व-घोषणा करनी होगी।
इससे ग्राहकों को बार-बार दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी और बैंकिंग सेवा हर जगह सरल और तेज़ होगी।
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