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नौकरी बदलते ही EPF रोकना या ट्रांसफर करना क्यों जरूरी है?
नौकरी बदलते समय EPF योगदान रोकना आम गलती है। क्या आप जानते हैं कि इससे आपके रिटायरमेंट फंड पर बड़ा असर पड़ सकता है और आपका पैसा सही तरीके से बढ़ नहीं पाएगा?
EPF Contribution Stops Impact: भारत में नौकरीपेशा लोगों के लिए Employees’ Provident Fund (EPF) रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद तरीका है। इसमें हर महीने आपकी सैलरी का एक हिस्सा बचत के रूप में रखा जाता है और नियोक्ता भी बराबर योगदान करते हैं। EPF में जमा राशि पर ब्याज मिलता है, जिससे रिटायरमेंट के समय फंड बड़ा होता है। कई बार नौकरी बदलने या ब्रेक लेने पर लोग EPF में योगदान रोक देते हैं, जिससे ब्याज और फंड की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। योगदान बंद होने पर EPF पर क्या असर पड़ता है और इसे कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है, यह समझना जरूरी है।
हर महीने EPF में योगदान कैसे होता है
हर महीने आपकी बेसिक सैलरी और DA का 12% हिस्सा EPF अकाउंट में जमा होता है। इस राशि के बराबर नियोक्ता भी योगदान करता है। यह जमा राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज रिटायरमेंट के समय आपका फंड बड़ा बनाते हैं।
नौकरी छोड़ने पर योगदान बंद हो जाता है
जब आप नौकरी छोड़ते हैं, तो आपका EPF अकाउंट में हर महीने का योगदान अपने आप बंद हो जाता है। अगर आपकी नई नौकरी EPFO के तहत रजिस्टर्ड है, तो आपका पुराना EPF अकाउंट नए नियोक्ता से जुड़ जाता है और योगदान फिर से शुरू हो जाता है। लेकिन अगर नई नौकरी EPFO के दायरे में नहीं है, तो आपका EPF योगदान रुक जाता है। इस स्थिति में आपका फंड सुरक्षित रहता है, लेकिन नया ब्याज नहीं जुड़ता। इसलिए नौकरी बदलते समय अपने EPF अकाउंट की स्थिति पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
EPF योगदान बंद होने से आपके फंड पर असर
EPFO के नियमों के अनुसार, अगर किसी EPF अकाउंट में लगातार 36 महीने (तीन साल) तक कोई योगदान नहीं होता है, तो वह अकाउंट इनऑपरेटिव हो जाता है। इनऑपरेटिव होने से पहले आपके खाते में जमा राशि पर ब्याज मिलता है, लेकिन अकाउंट इनऑपरेटिव होने के बाद नया ब्याज नहीं जुड़ता। फिर भी आपका जमा पैसा सुरक्षित रहता है और बाद में नियमों के अनुसार निकाला जा सकता है। ध्यान दें कि वर्तमान में EPF पर 8.25% वार्षिक ब्याज मिलता है। इसलिए अगर योगदान बंद हो जाए तो ब्याज का नुकसान बड़ा हो सकता है।
पांच साल से कम नौकरी पर टैक्स लगेगा
अगर आप दो महीने से ज्यादा बेरोजगार रहते हैं, तो आप अपने EPF में जमा राशि निकाल सकते हैं। लेकिन ध्यान दें, अगर आपकी नौकरी की अवधि पांच साल से कम है, तो निकाली गई रकम पर इनकम टैक्स लगेगा। इसलिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि नौकरी बदलते ही अपने पुराने EPF अकाउंट को नए नियोक्ता के साथ ट्रांसफर कर लें। इससे न केवल आपका पैसा और ब्याज सुरक्षित रहेगा, बल्कि टैक्स का भी नुकसान नहीं होगा। EPF ट्रांसफर करना आपके भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी कदम है।
EPF अकाउंट ट्रांसफर करना है फायदेमंद
अगर आप पुराने EPF अकाउंट को ट्रांसफर नहीं करते हैं और योगदान रोक देते हैं, तो आपके रिटायरमेंट फंड की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। इस स्थिति में आपका ब्याज नियमित रूप से नहीं मिलेगा और लंबे समय में जमा राशि भी कम हो जाएगी। इसलिए, नौकरी बदलते समय अपने EPF अकाउंट को एक्टिव रखना या नए नियोक्ता के साथ ट्रांसफर कराना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से आपकी बचत और ब्याज सुरक्षित रहते हैं और रिटायरमेंट के समय आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
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