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लगातार दूसरे माह जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ के पार, रिफंड भी 27 हजार करोड़ से अधिक
GST Collection: वित्त वर्ष 2025-26 में लगातार दूसरे महीने जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
GST Collection (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। भारत की आर्थिक संरचना को संगठित, पारदर्शी और सशक्त बनाने में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) ने एक मील का पत्थर साबित किया है। वित्त वर्ष 2025-26 की जबरदस्त शुरुआत के साथ अब लगातार दूसरे महीने जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। यह केवल राजस्व वृद्धि का संकेत नहीं, बल्कि एक स्थिर, सशक्त और डिजिटल भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमाण भी है।
मई 2025 में संग्रह – 2.01 लाख करोड़ रुपये
मई महीने में जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष के मुकाबले 16.4% अधिक रहा और 2,01,050 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस संग्रह में:
• CGST (केंद्रीय जीएसटी): ₹35,434 करोड़
• SGST (राज्य जीएसटी): ₹43,902 करोड़
• IGST (एकीकृत जीएसटी): ₹1,08,836 करोड़
• Cess (उपकर): ₹12,879 करोड़
इस अवधि में 27,210 करोड़ रुपये का रिफंड भी जारी किया गया, जिससे शुद्ध संग्रह ₹1.74 लाख करोड़ रहा — जो मई 2024 के मुकाबले 20.4% अधिक है।
पहले दो महीने में ₹4.38 लाख करोड़ का कुल संग्रह
इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों (अप्रैल–मई) में सरकार ने ₹4,37,767 करोड़ का जीएसटी राजस्व एकत्र किया है, जो कि गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 143% अधिक है। यह सरकार द्वारा बजट में अनुमानित 11% वार्षिक वृद्धि से भी कहीं आगे है।
जीएसटी: अर्थव्यवस्था को मिली स्थिरता और विस्तार
2017 में लागू हुए जीएसटी ने भारत की टैक्स प्रणाली में एक एकीकृत और एकरूप व्यवस्था की स्थापना की। यह टैक्स न केवल टैक्स चोरी को रोकने और डिजिटल ट्रैकिंग को बढ़ावा देने में कारगर रहा, बल्कि मल्टीपॉइंट टैक्सेशन की जटिलता को भी समाप्त कर व्यापार को सरल बनाया।
जीएसटी से भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए प्रमुख लाभ:
1. राजस्व संग्रह में पारदर्शिता और मजबूती
हर माह दो लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करना इस बात का प्रमाण है कि टैक्स नेट में विस्तार हुआ है और राजस्व रिसाव पर नियंत्रण पाया गया है।
2. औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार
छोटे कारोबार अब GSTIN के माध्यम से रजिस्टर्ड हो रहे हैं, जिससे औपचारिक रोजगार में वृद्धि हुई है और बैंकिंग व वित्तीय पहुंच भी सशक्त हुई है।
3. टैक्स आधार का डिजिटलीकरण
ई-इनवॉइस, ई-वे बिल, और GSTR फाइलिंग जैसे प्रावधानों ने टैक्स प्रणाली को पेपरलेस, फुलप्रूफ और ट्रैकएबल बना दिया है।
4. उद्योगों को अंतर-राज्यीय व्यापार में सुविधा
पहले वैट, एक्साइज, ऑक्ट्रॉय जैसी अलग-अलग कर प्रणालियों के कारण व्यापार जटिल था। अब एक टैक्स, एक राष्ट्र, एक बाज़ार की अवधारणा को बल मिला है।
5. उपभोक्ताओं को भी लाभ
इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसी व्यवस्थाओं से मूल्य श्रृंखला में कर भार कम हुआ है, जिसका लाभ अंततः उपभोक्ताओं को मिला है।
विकास और विश्वास का प्रतीक बना जीएसटी
दो दिन पहले जब वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर 7.4% दर्ज की गई, तो यह सवाल फिर उठा कि क्या यह आंकड़ा सिर्फ उपभोग से जुड़ा है या प्रणालीगत मजबूती का भी प्रमाण है? जवाब है – जीएसटी के रूप में मिली कर प्रणाली की स्थिरता, जिसने राजस्व बढ़ाया, टैक्स अनुपालन सुधारा और सरकार को सार्वजनिक निवेश के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए।
जीएसटी बना भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन
जीएसटी अब केवल एक टैक्स प्रणाली नहीं, बल्कि एक आर्थिक सुधार आंदोलन बन चुका है। लगातार बढ़ता संग्रह दर्शाता है कि सरकार और करदाताओं के बीच भरोसे का पुल बना है। यही कारण है कि निवेश, व्यापार और राजकोषीय स्थिरता — तीनों क्षेत्रों में भारत मजबूत होता दिख रहा है।
“एक राष्ट्र, एक टैक्स” की कल्पना अब ‘एक राष्ट्र, एक ग्रोथ इंजन’ की दिशा में आगे बढ़ चुकी है।
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