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India's Housing Credit Boom: भारत में हाउसिंग लोन बनेगा कर्ज वृद्धि का प्रमुख स्तंभ

India's Housing Credit Boom: भारत में अब तक का ध्यान ज्यादा उपभोक्ताओं को क्रेडिट सिस्टम से जोड़ने पर था। लेकिन अब फोकस इस बात पर रहेगा कि एक-एक उपभोक्ता को कितना अधिक कर्ज मिल रहा है।

Sonal Girhepunje
Published on: 11 July 2025 1:01 PM IST
Indias Housing Credit Boom
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India's Housing Credit Boom (Image Credit-Social Media)

India's Housing Credit Boom : भारत की खुदरा कर्ज (Retail Credit) प्रणाली एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है, और इस ग्रोथ का मुख्य आधार बनेगा - हाउसिंग लोन यानी गृह ऋण। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में खुदरा कर्ज में बढ़त का अगला चरण "प्रति उधारकर्ता कर्ज" (Credit per borrower) में वृद्धि के जरिए होगा, जिसमें प्रमुख योगदान मकान खरीदने के लिए दिए जाने वाले लोन का रहेगा।

भारत में अब तक का ध्यान ज्यादा उपभोक्ताओं को क्रेडिट सिस्टम से जोड़ने पर था। लेकिन अब फोकस इस बात पर रहेगा कि एक-एक उपभोक्ता को कितना अधिक कर्ज मिल रहा है। खासतौर पर हाउसिंग सेक्टर में, जहां अब तक भारत काफी पीछे रहा है, वहां अब तेजी से संभावनाएं उभर रही हैं।

हाउसिंग लोन - खुदरा कर्ज का भविष्य

बर्नस्टीन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की रिटेल क्रेडिट ग्रोथ अब हाउसिंग लोन के इर्द-गिर्द केंद्रित होगी। रिपोर्ट कहती है कि आने वाले वर्षों में प्रति व्यक्ति कर्ज बढ़ेगा और यह मुख्य रूप से हाउसिंग सेगमेंट के जरिए होगा।

रिपोर्ट में बताया गया कि अफोर्डेबल हाउसिंग लोन, जिन पर लगभग 3% का Return on Assets (RoA) मिलता है, एक बहुत बड़ी लेंडिंग ऑपर्च्युनिटी (USD 500 बिलियन) पेश करते हैं। भारत के अधिकतर राज्यों में अगर बैंक और वित्तीय संस्थाएं अपने मौजूदा ऑपरेशन मॉडल को स्केलेबल तरीके से लागू करें, तो वे इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकते हैं।

पिछले 10 सालों में, भारत में 200 मिलियन से ज्यादा लोगों को औपचारिक क्रेडिट सिस्टम से जोड़ा गया। लेकिन अब जब 60% भारतीय कामकाजी आबादी के पास क्रेडिट एक्सेस है, तो अगली ग्रोथ इस बात से आएगी कि हर व्यक्ति कितना ज्यादा कर्ज ले रहा है - और इसमें हाउसिंग लोन सबसे अहम भूमिका निभाएगा

भारत में मॉर्गेज सेक्टर की संभावनाएं

मॉर्गेज यानी मकान खरीदने के लिए लिया गया कर्ज, जो आमतौर पर लंबी अवधि का होता है और जिसमें प्रॉपर्टी को गिरवी रखा जाता है, अब भारत में तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बन सकता है। अभी भारत में मॉर्गेज पेनिट्रेशन (जनसंख्या के मुकाबले हाउसिंग लोन लेने वालों की संख्या) मात्र 11% है, जो चीन के 30% और विकसित देशों के 50% से काफी कम है।

रिपोर्ट का अनुमान है कि अगर भारत में मॉर्गेज पेनिट्रेशन इसी तरह स्थिर गति से बढ़े, तो FY2035 तक भारत में USD 1.5 ट्रिलियन की हाउसिंग लोन मार्केट बन सकती है।

इसकी तुलना में, भारत में गैर-हाउसिंग खुदरा कर्ज (non-mortgage retail credit) पहले ही जीडीपी के 30% से अधिक है, जो उभरते और विकसित दोनों ही देशों से अधिक है। इसका मतलब है कि अब हाउसिंग लोन की ओर रुख करने से देश की क्रेडिट ग्रोथ को एक नया बूस्ट मिल सकता है।

निष्कर्ष

भारत में खुदरा कर्ज का भविष्य अब मात्रा नहीं, गुणवत्ता पर निर्भर करेगा - यानी हर ग्राहक को ज्यादा क्रेडिट कैसे दिया जाए। इस बदलाव का नेतृत्व करेगा हाउसिंग लोन सेक्टर। अगर सही रणनीतियों और स्केलेबल मॉडल के साथ इस दिशा में काम किया जाए, तो भारत एक मजबूत और स्थायी रिटेल क्रेडिट ग्रोथ की ओर बढ़ सकता है।

बर्नस्टीन की यह रिपोर्ट न सिर्फ संभावनाएं दिखाती है, बल्कि बैंकों और नीति निर्माताओं के लिए स्पष्ट संदेश भी देती है - अब समय है भारत में हाउसिंग लोन को प्राथमिकता देने का।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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