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ITR Filing 2025 HRA Claim: बिना रसीद के HRA क्लेम, कितनी छूट मिल सकती है और क्या हैं नए नियम?
ITR Filing 2025 HRA Claim: 2025 के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) सीजन में नौकरीपेशा लोगों के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) टैक्स बचाने का एक अहम जरिया बना हुआ है।
ITR Filing 2025 HRA Claim Without Registry
ITR Filing 2025: 2025 के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) सीजन में नौकरीपेशा लोगों के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) टैक्स बचाने का एक अहम जरिया बना हुआ है। इस साल HRA से जुड़ी टैक्स छूट की प्रक्रिया पहले जैसी नहीं रही। 2025 के ITR फॉर्म में किए गए बदलावों के कारण अब नौकरीपेशा लोगों को ज्यादा सतर्क रहना होगा।
क्यों बढ़ा है HRA पर फोकस?
इस साल से ITR फॉर्म में नया वैलिडेशन सिस्टम लागू किया गया है। अब जो भी डिटेल्स आप फॉर्म में भरेंगे, वो सिस्टम तुरंत चेक करेगा।
अगर आपने HRA का क्लेम किया है, लेकिन जरूरी दस्तावेज नहीं दिए, तो क्लेम तुरंत रिजेक्ट हो सकता है। इससे आपको टैक्स डिफॉल्टर माना जा सकता है और पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है।
किसे मिलेगा HRA का फायदा?
HRA का लाभ केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा जो नीचे दी गई शर्तें पूरी करते हों:
• आपकी सैलरी में HRA शामिल हो।
• आपने पुराना टैक्स सिस्टम (Old Regime) चुना हो। (नए टैक्स सिस्टम में HRA छूट नहीं मिलती।)
• आप अपने स्वयं के घर में न रहकर किराए के मकान में रह रहे हों।
• आपके पास रेंट एग्रीमेंट, रेंट रसीद और भुगतान का सबूत मौजूद हो।
ध्यान देने वाली जरूरी बातें:
• ₹3,000 प्रति माह (या ₹36,000 सालाना) से कम किराए वालों को रसीद की जरूरत नहीं होती।
• अगर सालाना किराया ₹1 लाख से ज्यादा है, तो मकान मालिक का PAN नंबर, रसीद और पेमेंट का प्रमाण जरूरी है।
• गलत या अधूरी जानकारी देने पर न सिर्फ HRA क्लेम रिजेक्ट हो सकता है, बल्कि टैक्स नोटिस भी आ सकता है।
बिना रसीद के HRA क्लेम कब किया जा सकता है?
अगर आपका किराया ₹3,000 प्रति माह से कम है, तो आप बिना रसीद के भी HRA क्लेम कर सकते हैं। टैक्स विभाग ऐसी स्थिति में कोई दस्तावेज नहीं मांगता।
लेकिन इससे अधिक किराया होने पर आपको यह डॉक्युमेंट्स देने होंगे:
• रेंट रसीद
• बैंक स्टेटमेंट या UPI ट्रांजैक्शन का प्रूफ
• मकान मालिक का PAN नंबर (अगर सालाना किराया ₹1 लाख से ज्यादा है)
HRA छूट की गणना कैसे होती है?
HRA छूट की कैलकुलेशन तीन तरीके से की जाती है और जो भी रकम सबसे कम होती है, वही छूट के रूप में मान्य होती है:
1. सैलरी में मिला वास्तविक HRA
2. दिए गए किराए में से घटाएं मूल वेतन का 10%
3. बेसिक सैलरी का 50% (मेट्रो शहर) या 40% (गैर-मेट्रो शहर)
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