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Electricity Privatization: महापंचायत में लालटेन लेकर निजीकरण का विरोध, सरकार ने ESMA अधिनियम लगाया
Electricity Privatization: बिजली कर्मियों और उपभोक्ता परिषद ने बिजली वितरण निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया है।
Electricity Privatization
Electricity Privatization: बिजली कर्मियों और उपभोक्ता परिषद ने बिजली वितरण निजीकरण प्रस्ताव के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया है। 23 जून 2025 को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की महापंचायत आयोजित की गई। उसमें बिजली कर्मचारी, उपभोक्ता परिषद, किसान, राज्य एवं संविदा कर्मचारी और आम जनता ने भाग लेकर इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध दर्ज करवाया।
लालटेन लेकर किया विरोध प्रदर्शन
महापंचायत में प्रदेश के 42 जिलों में बिजली निजीकरण की योजना पर चर्चा की गई। इस दौरान बिजली कर्मियों ने हाथ में लालटेन लेकर प्रतीकात्मक रूप से 'लालटेन युग' लौटाने की बात कहकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां आने से ग्रामीण और गरीब इलाकों में बिजली की पहुंच बाधित होगी। इस महापंचायत में निर्णय लिया गया कि यदि सरकार निजीकरण की योजना वापस नहीं लेती, तो 9 जुलाई को लगभग 27 लाख बिजलीकर्मी एक दिन की सांकेतिक राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे।
देश में 2 जुलाई को विरोध प्रदर्शन
इसके पहले 2 जुलाई को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। यदि तब भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो प्रस्ताव पास होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पिछले कई चरणों में मुद्दे पर सरकारें अपनी योजनाएं वापिस ले चुकी हैं। वर्ष 2006 में लखनऊ के माल, मलिहाबाद व काकोरी के ग्रामीण क्षेत्रों में निजीकरण की योजना तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में शुरू हुई थी, उसपर विद्युत नियामक आयोग ने रोक लगा दी थी।
घरेलू बिजली होगी 15 रुपये यूनिट
उसके बाद प्रस्ताव खारिज कर दिया गया था। इसी तरह वर्ष 2014 में पांच नगरों में बिजली निजीकरण प्रस्ताव को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार ने जांच और नियामक आयोग से नोटिस प्राप्त होने के बाद वापस ले लिया था। उपभोक्ता परिषद ने तर्क देकर कहा कि निजी कंपनियों के आने से बिजली की दरें बढ़ जाएगी। इससे घरेलू बिजली का दाम 15 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच सकता है, जिससे गरीब, किसान और छोटे व्यापारियों की स्थिति और बिगड़ जाएगी।
आवश्यक सेवाएं बनाए रखने का आदेश
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि निजी कंपनियों की मुनाफाखोरी ग्रामीण बिजली आपूर्ति को प्रभावित करेगी, विफलताओं की नौबत आ सकती है, जिससे 'लालटेन युग' वापस शुरू हो सकता है। बिजली निजीकरण के पीछे बड़े पैमाने पर भ्रष्ट गतिविधियां हो सकती हैं, जो जनता के हितों के विरुद्ध हैं। इस बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार ने कर्मचारियों की आवश्यक सेवाएं बनाए रखने का अधिनियम (ESMA) को लागू कर दिया है। इसके तहत आगामी छह महीनों तक कर्मचारियों के हड़ताल करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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