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Electricity Privatization: बिजली निजीकरण के खिलाफ महापंचायत का बड़ा निर्णय, टेंडर होते ही जेल भरो आंदोलन का ऐलान
Electricity Privatization: महापंचायत में मौजूद अन्य वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
बिजली निजीकरण के खिलाफ महापंचायत का बड़ा निर्णय, टेंडर होते ही जेल भरो आंदोलन का ऐलान (Photo- Newstrack)
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ संघर्ष तेज होता जा रहा है। राजधानी लखनऊ के आशियाना स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रेक्षागृह में रविवार को आयोजित हुई बिजली निजीकरण विरोधी महापंचायत में देश भर से तमाम संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। एक सुर मेंउपभोक्ता परिषद सहित अन्य संगठन ने बिजली निजीकरण के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया।
उपभोक्ता परिषद का बड़ा ऐलान
महापंचायत को संबोधित करते हुए उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार ने कहा, हम किसी भी कीमत पर बिजली का निजीकरण नहीं होने देंगे। यह केवल जनता के हक पर डाका डालने की साजिश है, निजी हाथों में बिजली सौंपने का मतलब महंगी बिजली, मनमानी कटौती और उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करना है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर सरकार ने निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और टेंडर निकाला, तो जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा
बिजली निजीकरण एक षड्यंत्र है, जिसमें भ्रष्टाचार और पूंजीपतियों के हित छिपे हैं। हम किसी भी हाल में लागू नहीं होने देंगे, इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। महापंचायत में मौजूद अन्य वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार जनहित की बजाय मुनाफाखोर कंपनियों के पक्ष में फैसले ले रही है, उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
निजीकरण के विरोध में किसान
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने विरोध करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता और विश्वसनीयता पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो गांव में आंदोलन तेज किया जाएगा। महापंचायत के अंत में संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रस्ताव पास कर निजीकरण के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन चलाने की घोषणा की है। यह भी तय किया गया कि यदि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को रोका नहीं गया, तो राजधानी में विशाल रैली और जेल भरो आंदोलन होगा।
महापंचायत में मौजूद संगठन
इस महापंचायत में ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा, संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वाईएस लोहित, उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार और संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे जैसे प्रमुख वक्ता मौजूद रहे। इसके अतिरिक्त बैंक कर्मचारियों, किसान संगठनों, मजदूर यूनियनों और उपभोक्ता मंचों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी और निजीकरण के विरोध में एकजुटता दिखाई।
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