Electricity Privatization के पूरे प्रस्ताव की नए सिरे से जांच कराने की उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग से की मांग

Electricity Privatization: उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए निजीकरण प्रक्रिया को न सिर्फ अवैध और अपारदर्शी करार दिया, इसमें शामिल सलाहकारों की नियुक्ति, वित्तीय शर्तों और तकनीकी पहलुओं को कठघरे में खड़ा किया।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 19 Jun 2025 6:13 PM IST
UP Electricity Privatization
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UP Electricity Privatization (Photo: Social Media)

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित बिजली वितरण निजीकरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मुद्दे पर बड़ा कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से पूरे प्रस्ताव की नए सिरे से जांच कराने की मांग की है। इसपर परिषद का कहना है कि यह निजीकरण नहीं, बल्कि घोटाले की योजना" है, जिससे प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं और सरकारी संपत्तियों को गंभीर नुकसान होगा।

निजीकरण अवैध व अपारदर्शी

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए निजीकरण प्रक्रिया को न सिर्फ अवैध और अपारदर्शी करार दिया, इसमें शामिल सलाहकारों की नियुक्ति, वित्तीय शर्तों और तकनीकी पहलुओं को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने आयोग से कहा कि इस पूरे प्रस्ताव की स्वतंत्र एजेंसी से गहन जांच कराई जाए, तब तक के लिए टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।

निजीकरण के प्रस्ताव में क्या

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार किया है। उसके माध्यम से 42 जिलों में बिजली वितरण का कार्य निजी कंपनियों को सौंपना है। इसपर सरकार का तर्क है इससे बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता सुधरेगी, तकनीकी नुकसान कम होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी। लेकिन उपभोक्ता परिषद एक पूर्व-निर्धारित आर्थिक सौदा बता रही है।

नियामक आयोग का पूरा बयान

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए औने-पौने दाम पर काम सौंपा जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग को जनहित याचिका सौंपी है। नियामक आयोग का कहना है कि वह सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण कर रहा है, निर्णय सरकार के नीति-निर्धारण पर निर्भर करेगा। हालांकि परिषद का तर्क है कि आयोग की भूमिका सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि जनहित संरक्षण की भी है।

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