पिछले 11 सालों में 56 करोड़ से अधिक जन धन खाते खुले: निर्मला सीतारमण

Nirmala Sitharaman: जन धन योजना ने 11 साल में आर्थिक समावेशन में किया बड़ा योगदान

Sonal Girhepunje
Published on: 28 Aug 2025 2:35 PM IST
Nirmala Sitharaman
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Nirmala Sitharaman (Photo - Social Media) 

Nirmala Sitharaman: भारत में आर्थिक समावेशन की दिशा में प्रधानमंत्री जन धन योजना (Jan Dhan Yojana) ने एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का शुभारंभ किया था। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पिछले एक दशक के पूरे होने पर कहा कि 56 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले गए हैं।

इन खातों से लाखों लोग पहली बार बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हुए हैं। सीतारमण ने कहा कि इन खातों में 2.68 लाख करोड़ रुपये की कुल जमा है। इसके अलावा, 38 करोड़ से अधिक फ्री रूपे कार्ड जारी किए गए हैं, जिससे लोग आसानी से डिजिटल खरीददारी कर सकें।

वित्त मंत्री ने बताया कि 67 प्रतिशत खाते शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। इसके साथ ही, 56% खाते महिलाओं के नाम हैं। यह बताता है कि सरकार ने विशेष रूप से दूरदराज के लोगों को ध्यान में रखा है जो बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच नहीं पाते हैं। इस तरह, गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि PMJDY सिर्फ एक बैंक खाता योजना नहीं है, यह लोगों को सम्मान, सशक्तिकरण और अवसर देता है। 2021 में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर घर में बैंक खाता होना चाहिए और हर वयस्क को बीमा और पेंशन कवरेज मिलना चाहिए। इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

इसके लिए सरकार ने संतृप्ति अभियान भी शुरू किया है। देश भर में 2.7 लाख गांवों में शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों में लोग Jansuraksha योजनाओं में नामांकन कर सकते हैं , PMJDY खाते खोल सकते हैं और अपने बैंक खातों की KYC अपडेट कर सकते हैं। MoS Finance ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य आम लोगों को वित्तीय सेवाएं देना है।

PMJDY की एक विशेषता है कि इसमें कोई न्यूनतम बैलेंस की जरूरत नहीं है और खाता रखने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है। इससे मध्यम वर्ग और गरीब लोग भी बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य डिजिटल भुगतान और बैंकिंग जागरूकता को बढ़ाना है।

सरकार की यह पहल न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाती है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक सशक्तिकरण देती है। अब महिलाएं अपने खातों के जरिए छोटे व्यवसाय, बचत और डिजिटल लेन-देन करती हैं।

पंकज चौधरी ने कहा कि PMJDY विश्व में सबसे सफल वित्तीय समावेशन कार्यक्रमों में से एक है। यह योजना भी दिखाती है कि जनता की भलाई के लिए सरकार प्रतिबद्ध हो तो क्या किया जा सकता है। इस कार्यक्रम ने भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में एक मजबूत नींव डाली है और लगभग हर घर में बैंक खाता पहुँच गया है।

11 सालों में PMJDY ने देश भर में करोड़ों लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा, ग्रामीण और महिलाओं को वित्तीय सशक्तिकरण दिया और डिजिटल भुगतान को आसान बनाया। भारत में यह योजना अब वित्तीय समावेशन का एक उदाहरण बन चुकी है।

इसलिए PMJDY न सिर्फ एक बैंक खाता योजना है, यह गरीबों और पिछड़े वर्गों को अवसर और सम्मान का माध्यम भी है। यह योजना हमें दिखाती है कि सरकार की सही पहल और निरंतर प्रयास से समाज में कितना बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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