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Mamata Rekindles Tata Ties: दो दशक बाद टाटा-ममता की नई साझेदारी, क्या लौटेगा निवेश का दौर?
Mamata Rekindles Tata Ties: 2008 में टाटा मोटर्स का नैनो कार प्रोजेक्ट सिंगुर से गुजरात स्थानांतरित होना, विशेष रूप से ममता बनर्जी के विरोध के चलते, दोनों के बीच रिश्तों को तनावपूर्ण बना गया था ।
Mamata Rekindles Tata Ties (Image Credit-Social Media)
Mamata rekindles Tata ties: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के बीच हाल ही में कोलकाता के नबन्ना सचिवालय में हुई मुलाकात ने लगभग 17–18 साल पुराने विवाद के बाद एक नई शुरुआत की संभावना जगाई है। 2008 में टाटा मोटर्स का नैनो कार प्रोजेक्ट सिंगुर से गुजरात स्थानांतरित होना, विशेष रूप से ममता बनर्जी के विरोध के चलते, दोनों के बीच रिश्तों को तनावपूर्ण बना गया था । अब यह टकराव पीछे छोड़कर, दोनों पक्ष औद्योगिक निवेश और साझेदारी पर फिर से वार्ता के लिए तैयार नजर आ रहे हैं।
1. सिंगुर से संकल्प की राह
2006 में सिंगुर में टाटा का नैनो प्लांट स्थापित करने की योजना के दौरान शुरू हुए किसानों का आंदोलन ममता बनर्जी द्वारा अगवाई गया था। उन्होंने इसके तहत 400 एकड़ जमीन किसानों को वापस करने की मांग उठाई। जब टाटा ने अक्टूबर 2008 में सिंगुर से प्रोजेक्ट वापस लेने का फैसला किया, तब तत्कालीन टाटा चेयरमैन रतन टाटा ने इसे “दुखद” बताया । उस समय गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने टाटा का स्वागत किया और नैनो का प्लांट वहां शिफ्ट हो गया। हालांकि बाद में नैनो का उत्पादन 2018 में बंद कर दिया गया।
2. नबन्ना में नया अध्याय
9 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री बनर्जी और टाटा के वर्तमान चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने नबन्ना में मिलकर औद्योगिक सहयोग और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा की । यह पहली बार था जब 2011 से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद ममता और टाटा समूह की शीर्ष नेतृत्व का आमना-सामना हुआ। इस बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पंचायत और उद्योग सम्मलेन आयोजित करने की योजना भी शामिल थी, जिससे निवेश की संभावनाएँ और मजबूत होंगी । हालांकि अधिकारियों ने कहा कि अभी विस्तार में कोई निर्णय नहीं हुआ।
3. दोनों के रूख में ईमानदारी या संयम?
ममता बनर्जी की सरकार निवेश के लिए स्वागतभाव दिखा रही है, मगर साथ ही राज्य की मर्यादा और पहचान का रक्षार्थ वह सावधान भी हैं। बैठक के दिन ममता ने राष्ट्रीय नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा गलती से बंगाल की जगह बिहार दिखाए जाने पर तीखा विरोध करते हुए कड़ी शिकायत दर्ज की । इससे स्पष्ट होता है कि सरकार औद्योगिक रूप से खुली है, लेकिन राज्य के सम्मान को प्राथमिकता देती है।
4. क्या बंगाल को मिलेगा टाटा का तोहफा?
इस बैठक को ‘रीसेट’ जैसा बताया जा रहा है, लेकिन इससे अभी यह नहीं कहा जा सकता कि टाटा फिर से बंगाल में कोई बड़ा निवेश करेगा। फरवरी में बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में ममता बनर्जी ने खुद कहा था कि चंद्रशेखरन ने वे निवेश पर फिर से विचार करने का संकेत दिया था, और अब जब वे खुद आ गए हैं, तो निवेश की संभावना और मजबूत हो सकती है । अब देखना यह है कि अगले कुछ महीनों में क्या ठोस पहल होती है।
निष्कर्ष
17–18 साल पुराने विवाद और सिंगुर से गुजरात तक की यात्रा के बाद अब बंगाल में टाटा संग पुनः शुरू होने वाला संवाद एक नई आर्थिक संभावना का संकेत देता है। ममता बनर्जी की सरकार निवेश को आमंत्रित करने को तैयार है, लेकिन राज्य की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नए निवेश की इस राह पर वास्तविक कदम कब और कैसे उठेगा।
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