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Modi Sarkar Ki Kisan Yojna: जानिए 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को सीधा फायदा देने वाली मोदी सरकार की योजनाएं, जिससे बदल जाएगी किसानों की दुनिया
Modi Governments Farmers Schemes Details: 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को सीधा फायदा देने वाली मोदी सरकार की योजनाएं, जानिए कैसे बदली किसानों की दुनिया और क्या हैं इन योजनाओं की चुनौतियां
Modi Government's Schemes For Farmers (Image Credit-Social Media)
Modi Governments Farmers Schemes Details: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कृषि और किसानों की आय को लेकर कई ऐतिहासिक योजनाएं शुरू की गईं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य था, किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करना, खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाना और किसानों को बिचौलियों व महाजन व्यवस्था से मुक्त करना। इनमें से कई योजनाएं सीधे किसानों के खाते में पैसा भेजने वाली थीं, तो कुछ ने किसानों को बीमा सुरक्षा, सिंचाई सुविधा, मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और पेंशन योजना का लाभ दिया। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता के साथ-साथ कई चुनौतियां भी सामने आईं, जो किसानों की वास्तविक स्थिति को प्रभावित करती हैं। इस विषय पर आइए जानते हैं मोदी सरकार की प्रमुख किसान योजनाएं, उनके असर और चुनौतियों के बारे में-
पीएम किसान सम्मान निधि- हर छोटे किसान को सीधी नकद सहायता
फरवरी 2019 में शुरू हुई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का मकसद किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना रहा है। इसके तहत पात्र किसानों को सालाना छह हजार रुपये की सहायता सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। यह राशि तीन किस्तों में दी जाती है, जिससे किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक जैसी कृषि संबंधी जरूरी चीजें खरीदने में राहत मिलती है। अब तक 11 करोड़ से ज्यादा किसान इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं और इसके जरिए करीब तीन लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में भेजे जा चुके हैं। इस पहल से छोटे और सीमांत किसानों को साहूकारों के कर्ज से राहत मिली है और उन्हें खेती के लिए समय पर नकदी मिल पाई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- आपदा में भी किसानों को मिली सुरक्षा की गारंटी
2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने प्राकृतिक आपदाओं, ओलावृष्टि, बाढ़, सूखा और कीट हमलों से फसल खराब होने की स्थिति में किसानों के लिए सुरक्षा कवच का काम किया है। इस योजना के तहत किसानों को बेहद कम प्रीमियम पर फसल बीमा उपलब्ध कराया गया है, जबकि क्लेम की राशि उनकी क्षति के आधार पर तय होती है। अब तक 55 करोड़ से ज्यादा बीमा पॉलिसियां जारी हो चुकी हैं और डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के दावे किसानों को मिले हैं। हालांकि कई बार क्लेम के भुगतान में देरी की शिकायतें भी आईं, लेकिन यह योजना किसानों के लिए आपदा के समय आर्थिक सहारा बनी रही है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना- मिट्टी की जांच से बढ़ा उत्पादन और कम हुई लागत
2015 में शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी जमीन की मिट्टी की स्थिति के बारे में जानकारी देना रहा है। इस योजना के तहत मिट्टी के नमूने लेकर उसकी जांच की जाती है और उसके आधार पर किसानों को उर्वरक और खाद की सही मात्रा की जानकारी दी जाती है। इससे किसानों को फसल उत्पादन में सुधार हुआ है और उन्हें महंगे रासायनिक खाद की अनावश्यक खपत से बचाव मिला है। अब तक करोड़ों मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं और इसका असर जमीन की गुणवत्ता और उत्पादन पर भी नजर आने लगा है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-हर खेत तक पानी पहुंचाने का सफल प्रयास
सिंचाई की सुविधा किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है और इसी सोच के साथ 2015 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत हुई। इस योजना का उद्देश्य हर खेत को पानी उपलब्ध कराना और सिंचाई के लिए संसाधन बढ़ाना रहा है। सरकार ने माइक्रो-सिंचाई, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा दिया, जिससे किसानों को कम पानी में भी बेहतर सिंचाई का लाभ मिला। इसके अलावा सरकार ने सौर पंपों को प्रोत्साहित किया, जिससे किसान सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर न रहें और उनकी ऊर्जा लागत भी कम हो सके।
ई-नाम- डिजिटल बाजार से किसानों को मिला सीधा लाभ
2016 में शुरू हुआ राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम प्लेटफॉर्म किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर दाम दिलाने का एक बड़ा जरिया बना है। इससे किसान अब सीधे ऑनलाइन मंडी से जुड़कर अपनी उपज को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें स्थानीय व्यापारियों और दलालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। देशभर में करीब 1.78 करोड़ किसान ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं और लाखों क्विंटल फसलें इस माध्यम से बेची जा चुकी हैं। इसके चलते किसानों को पारदर्शी दाम मिले और बिचौलियों की भूमिका में कमी आई है।
किसान क्रेडिट कार्ड- आसान कर्ज और ब्याज में राहत
सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना को भी बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया है, जिसके तहत किसानों को खेती के लिए कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जाता है। समय पर कर्ज चुकाने पर किसानों को ब्याज में छूट भी मिलती है। अब तक 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं और इसके जरिए लगभग दस लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया जा चुका है। इससे किसानों को साहूकारों से कर्ज लेने की मजबूरी से राहत मिली और वे खेती में समय पर निवेश कर पाए।
यह योजना भारतीय बैंकों द्वारा शुरू की गई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उत्पादन ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करना था। 1998 में, भारत में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार सत्ता में थी तब KCC योजना उसी सरकार की पहल थी।
पीएम किसान मानधन योजना- किसानों के लिए वृद्धावस्था पेंशन का भरोसा
2019 में शुरू हुई पीएम किसान मानधन योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को वृद्धावस्था में पेंशन की सुविधा दी जाती है। योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के किसान हर महीने नाममात्र का योगदान करते हैं और 60 वर्ष की उम्र के बाद उन्हें तीन हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती है। इस योजना में अब तक लाखों किसान जुड़ चुके हैं, जिससे उन्हें भविष्य में आर्थिक सुरक्षा मिलने की उम्मीद जगी है।
पीएम कुसुम योजना - सौर ऊर्जा से सिंचाई और आय में बढ़ोतरी
कृषि में ऊर्जा की जरूरत को देखते हुए सरकार ने 2019 में पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की, जिसका मकसद किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है। इस योजना के तहत किसानों को सौर पंप लगाने के लिए भारी सब्सिडी दी जाती है, जिससे वे बिजली खर्च से बचते हैं और सिंचाई के लिए स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल कर पाते हैं। इतना ही नहीं, अतिरिक्त सौर ऊर्जा को बेचकर किसान अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में हजारों किसानों ने इस योजना का लाभ लिया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना- मछली पालन से मजबूत हुई आर्थिक स्थिति
2020 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने मछली पालन को ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का मजबूत साधन बनाया है। इस योजना के तहत मत्स्य पालन में निवेश को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे हजारों मछुआरों को आय में इजाफा हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों में मछली पालन के साथ मोती पालन जैसी गतिविधियों से किसानों ने लाखों रुपये की कमाई की है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है।
पीएम धान-धान्य कृषि योजना- पिछड़े जिलों को मिली खास प्राथमिकता
2025 में मोदी सरकार ने पीएम धान-धान्य कृषि योजना की शुरुआत की, जिसका मकसद देश के 100 कृषि पिछड़े जिलों को विकास की मुख्यधारा में लाना है। इस योजना के तहत सिंचाई, बीज, फसल विविधीकरण, बीमा और बाजार सुविधा को समेकित रूप से उन जिलों में लागू किया जा रहा है, जो अब तक विकास से दूर रहे हैं। इस योजना से स्थानीय किसानों को उत्पादन और आय दोनों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
इन योजनाओं की सफलता में सामने आई प्रमुख चुनौतियां-
योजनाओं की जानकारी और पहुंच की कमी
कई बार किसानों तक योजनाओं की सही जानकारी नहीं पहुंच पाती, खासकर छोटे और पिछड़े इलाकों में। इससे वे इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते।
तकनीकी और डिजिटल साक्षरता की कमी
ई-नाम और पीएम-किसान जैसी योजनाएं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित हैं, लेकिन कई किसानों को डिजिटल तकनीक की समझ कम है। इससे वे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और अन्य सेवाओं में पिछड़ जाते हैं।
बीमा भुगतान में देरी और प्रक्रिया की जटिलता
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को कभी-कभी क्लेम राशि मिलने में देरी होती है। बीमा कंपनी और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी से किसान परेशान होते हैं।
ब्यूरोक्रेसी और भ्रष्टाचार
कुछ स्थानों पर योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसानों को स्थानीय अधिकारियों और बिचौलियों से जूझना पड़ता है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
जमीनी स्तर पर निगरानी और क्रियान्वयन की कमजोरी
कई योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में ढिलाई बरती जाती है, जिससे उनका असर कम हो जाता है। सही समय पर लाभ न मिलने से किसान योजनाओं से निराश हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा शुरू की गईं किसान योजनाएं निश्चित रूप से देश के लाखों किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक रही हैं। इन योजनाओं से किसानों को न सिर्फ आर्थिक मदद मिली है, बल्कि खेती का तरीका भी आधुनिक हुआ है। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता तभी पूरी मानी जाएगी जब उनकी पहुंच हर छोटे-बड़े किसान तक समान रूप से हो और क्रियान्वयन में पारदर्शिता व त्वरित सेवा की सुविधा बनी रहे। ‘आत्मनिर्भर किसान’ का सपना साकार करने की दिशा में सरकार को इन योजनाओं के साथ-साथ किसानों के बीच जागरूकता, तकनीकी सहायता और निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए अभी और काम करने की आवश्यकता है।
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