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SEBI made a new proposal: डेरिवेटिव स्टॉक्स के लिए क्लोजिंग ऑक्शन सेशन और ब्लॉक डील फ्रेमवर्क में बदलाव
SEBI made a new proposal: सेबी ने शेयर बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्लोजिंग ऑक्शन सेशन और ब्लॉक डील फ्रेमवर्क में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा।
SEBI made a new proposal (Photo - Social Media)
SEBI made a new proposal: शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(SEBI) ने शेयर बाजार में दो अहम बदलावों का प्रस्ताव रखा। पहला बदलाव डेरिवेटिव स्टॉक्स में क्लोजिंग प्राइस तय करने के लिए क्लोजिंग ऑक्शन सेशन CAS लागू करने का है। इसमें दिन के अंत में नीलामी की तरह सौदे होंगे और उसी आधार पर क्लोजिंग प्राइस तय होगी। दूसरा बदलाव ब्लॉक डील फ्रेमवर्क से जुड़ा है। इसमें कम से कम आकार 25 करोड़ रुपये रखा गया है और हर सौदे की जानकारी बाजार बंद होने के बाद सार्वजनिक करनी होगी। इन प्रस्ताव से निवेशकों को पारदर्शिता और भरोसा मिलेगा।
क्लोजिंग ऑक्शन सेशन (CAS) क्या है?
आज शेयर बाजार में किसी भी शेयर का क्लोजिंग प्राइस, यानी दिन के अंत में उसका बंद होने वाला भाव, तय करने के लिए VWAP नाम की पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पूरे दिन हुए सौदों का औसत निकालकर कीमत तय की जाती है।
लेकिन अब सेबी ने सुझाव दिया है कि डेरिवेटिव स्टॉक्स में क्लोजिंग प्राइस तय करने के लिए क्लोजिंग ऑक्शन सेशन यानी CAS लागू किया जाए। इस व्यवस्था में दिन के आखिर में एक खास समय तय होगा, जब निवेशक नीलामी की तरह शेयर खरीदेंगे और बेचेंगे। उसी आधार पर क्लोजिंग प्राइस तय होगी।
सभी शेयरों तक बढ़ेगा दायरा
सेबी ने कहा कि शुरुआत में यह व्यवस्था सिर्फ Nifty 50 और Sensex 30 जैसी बड़ी कंपनियों के लिए होगी। लेकिन आगे चलकर इसे सभी ज्यादा कारोबार वाले शेयरों तक फैलाया जाएगा।
सेबी का मानना है कि अगर सिर्फ कुछ ही शेयरों में CAS लागू होगा और बाकी शेयरों में VWAP रहेगा, तो पैसिव फंड्स, यानी वे म्यूचुअल फंड्स जो इंडेक्स को फॉलो करते हैं, के लिए परेशानी बढ़ सकती है। उन्हें दो अलग-अलग नियमों से निपटना होगा। इसलिए पारदर्शिता और आसानी के लिए सभी बड़े शेयरों पर CAS लागू करना बेहतर रहेगा।
ब्लॉक डील फ्रेमवर्क में बदलाव
सेबी ने ब्लॉक डील के नियमों में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया है। ब्लॉक डील का मतलब है, बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद-बिक्री एक ही लेनदेन में, ताकि न खरीदार और न ही विक्रेता को नुकसान हो। इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज एक अलग ट्रेडिंग विंडो उपलब्ध कराते हैं।
नए प्रस्ताव के तहत
ब्लॉक डील के नए नियमों के अनुसार, इसका न्यूनतम आकार 25 करोड़ रुपये तय किया गया है। हर ब्लॉक डील में खरीदे गए शेयरों की डिलीवरी अनिवार्य होगी। इसका मतलब है कि निवेशक को शेयर अपने पास रखना होगा और उसे तुरंत बेचकर फायदा नहीं उठाया जा सकता। साथ ही, स्टॉक एक्सचेंज को ब्लॉक डील की पूरी जानकारी जैसे कंपनी का नाम, खरीदार और विक्रेता का नाम, खरीदे-बेचे गए शेयरों की संख्या और उनकी कीमत उसी दिन, बाजार बंद होने के बाद सबके सामने रखनी होगी।
निवेशकों को क्या फायदा?
इन दोनों प्रस्तावों से शेयर बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों को सही कीमत मिल सकेगी। क्लोजिंग ऑक्शन सेशन यानी CAS से शेयरों का बंद होने वाला भाव ज्यादा निष्पक्ष और साफ तरीके से तय होगा। वहीं ब्लॉक डील के नए नियमों से बड़े निवेशकों की खरीद-बिक्री सबके सामने साफ दिखाई देगी, जिससे छोटे निवेशकों का भी बाजार पर भरोसा मजबूत होगा।
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