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SEBI’s Plan for Commodity Exchanges: सेबी ने कमोडिटी एक्सचेंजों की आईटी कैपेसिटी के लिए पेश किया नया प्लान, जानिए क्या है इसकी जरूरत
SEBI’s Plan for Commodity Exchanges: SEBI ने कमोडिटी एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशनों के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
SEBI’s Plan for Commodity Exchanges
SEBI’s Plan for Commodity Exchanges: SEBI ने कमोडिटी एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशनों के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर एक संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। नियामक की समीक्षा के अनुसार, वर्तमान प्रणाली अपनी स्थापित क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर रही है, जो संचालन की दक्षता और बाजार की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।
क्या है सेबी का प्रस्ताव?
अब तक कमोडिटी एक्सचेंजों के लिए नियम था कि उनके आईटी सिस्टम की न्यूनतम क्षमता, ट्रेडिंग के अनुमानित अधिकतम लोड यानी पीक लोड की चार गुना होनी चाहिए। लेकिन SEBI ने अपने नए प्रस्ताव में इसे घटाकर दो गुना करने की सिफारिश की है। इसका मतलब है कि एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशनों को अपने अहम आईटी सिस्टम की क्षमता पिछले छह महीनों के पीक लोड और भविष्य के अनुमान को ध्यान में रखते हुए कम से कम दोगुनी बनाए रखनी होगी। इसके अलावा, सभी महत्वपूर्ण आईटी कंपोनेंट्स जैसे हार्डवेयर, नेटवर्क और सॉफ्टवेयर की रियल-टाइम मॉनिटरिंग अनिवार्य होगी। यदि किसी भी कंपोनेंट का उपयोग 75% से अधिक हो जाता है, तो तुरंत उसकी क्षमता बढ़ाने के कदम उठाए जाएंगे। खास बात यह है कि यह नियम अब क्लियरिंग कॉरपोरेशनों पर भी लागू होगा, जिससे इक्विटी और कमोडिटी दोनों सेगमेंट्स के लिए एक समान तकनीकी मानक सुनिश्चित होंगे।
क्यों उठाया गया यह कदम?
SEBI के हालिया विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि कमोडिटी एक्सचेंजों के आईटी सिस्टम की मौजूदा क्षमता का पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रहा है, यानी ये सिस्टम अपेक्षा से कम इस्तेमाल हो रहे हैं। चार गुनी क्षमता बनाए रखना न सिर्फ अतिरिक्त लागत का कारण बन रहा था, बल्कि इससे संसाधनों की भी अनावश्यक बर्बादी हो रही थी, जबकि बाजार की वास्तविक जरूरत इससे काफी कम थी। इसी को देखते हुए SEBI अब नियमों में बदलाव कर रहा है ताकि इक्विटी और कमोडिटी एक्सचेंजों के लिए तकनीकी मानक समान हो जाएं। जहां इक्विटी एक्सचेंजों के लिए पहले से ही 1.5 गुना की क्षमता का प्रावधान था, वहीं कमोडिटी एक्सचेंजों के लिए यह सीमा चार गुना थी। अब दोनों ही सेगमेंट्स के लिए नियमों में एकरूपता लाई जा रही है। इसके अलावा, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और ऑटोमेटेड अलर्ट सिस्टम को अनिवार्य करने से आईटी सिस्टम की विश्वसनीयता और परफॉर्मेंस को और अधिक मजबूती मिलेगी।
क्लियरिंग कॉरपोरेशनों के लिए भी नए नियम :
सेबी ने यह भी सुझाव दिया है कि क्लियरिंग कॉरपोरेशनों के आईटी सिस्टम की गाइडलाइन परफॉर्मेंस और प्लेटफॉर्म की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाए। बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेबी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन एक समान तकनीकी मानकों का पालन करें।
फॉरवर्ड लुकिंग कैपेसिटी प्लानिंग का सुझाव :
इस प्रस्ताव में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि फॉरवर्ड लुकिंग कैपेसिटी प्लानिंग को अपनाया जाए। इसका मतलब है कि आईटी सिस्टम की योजना इस आधार पर बनाई जाए कि आने वाले 180 दिनों में कैसा लोड आने की संभावना है। इसके लिए 60 दिनों के ट्रेड डेटा का विश्लेषण करके अनुमान लगाया जाए।
अगर सिस्टम की उपयोग क्षमता 75% से ज्यादा हो जाती है, तो एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशनों को तुरंत जरूरी बदलाव करने होंगे। इसके अलावा शॉर्टल स्ट्रेस टेस्टिंग और रियल टाइम ऑटोमेटेड अलर्ट सिस्टम लागू करने की बात भी कही गई है।
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