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बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें?
Smart Goals for Kids' Future: बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए सही समय पर बनाई गई वित्तीय योजना कैसे बनाएं, जानिए जरूरी कदम, निवेश विकल्प और बचाव की रणनीतियाँ।
Smart Goals for Kids' Future
हर माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करे और जब वक्त आए, तो उनका विवाह भी खुशी और गरिमा के साथ हो। किंतु आज के समय में इन दोनों कर्तव्य को पूरा करना सरल नहीं है, क्योंकि शिक्षा और विवाह दोनों ही बहुत महंगे हो चुके हैं। यदि वक्त रहते सही योजना नहीं बनाई गई, तो बाद में आर्थिक भार बढ़ सकता है। इस कारण ही हमें फाइनेंशियल प्लानिंग की जरुरत है और भविष्य को सुरक्षित करने की। 
लक्ष्य तय करें और समय सीमा निर्धारित करें
फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत में हमेशा एक स्पष्ट लक्ष्य तय करना जरुरी होता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपको किस उम्र तक कितनी रकम की ज़रूरत है । मान लीजिए अगर आपके बच्चे की उम्र अभी 5 साल है, तो उसकी कॉलेज की पढ़ाई 13 साल बाद शुरू होगी और उसकी शादी 20 साल के बाद होगी। इन दोनों ही लक्ष्यों के लिए आपको अलग-अलग प्लानिंग करनी होगी। इसके लिए अंदाज़ा लगाना आवश्यक है कि भविष्य में शिक्षा और शादी का खर्च कितना हो सकता है। बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए आज के 10 लाख रुपए 15 साल में 20 लाख तक भी हो सकते हैं। इसलिए लक्ष्य के साथ एक अनुमानित रकम और वक्त तय करना पहला कदम है।
निवेश के विकल्प सोच-समझकर चुनें
सिर्फ बचत करने से बड़े लक्ष्य पूरे नहीं होते। जरूरी है कि आपकी बचत सही जगह निवेश हो, ताकि वह समय के साथ बढ़े भी और महंगाई से मुकाबला भी कर सके। बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए लंबे समय का निवेश सबसे अच्छा रहता है। म्यूचुअल फंड में SIP के ज़रिए हर महीने छोटी राशि निवेश करके आप अच्छा फंड तैयार कर सकते हैं। 12-15 साल में यह रकम लाखों में बदल सकती है। इसके अलावा PPF एक सुरक्षित सरकारी विकल्प है, जिसमें टैक्स छूट भी मिलती है और ब्याज दर भी अच्छी होती है। अगर आपकी बेटी है, तो सुकन्या समृद्धि योजना बेहद लाभकारी है। यह योजना बेटियों की उच्च शिक्षा और विवाह दोनों के लिए मददगार है। साथ ही शादी के खर्च को ध्यान में रखते हुए समय रहते थोड़ी-थोड़ी मात्रा में डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ETF में निवेश करना भी समझदारी है।
बीमा और आपातकालीन फंड को न भूलें
जब आप बच्चों के भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करते हैं, तो सिर्फ निवेश करना ही काफी नहीं होता। उतना ही जरूरी है संभावित जोखिमों से सुरक्षा की तैयारी करना। सोचिए अगर घर में कमाई करने वाला सदस्य किसी कारण वश काम न कर पाए या अनहोनी हो जाए, तो सबसे पहले असर बच्चों की पढ़ाई और शादी जैसे बड़े सपनों पर ही पड़ता है।
ऐसी स्थिति से बचने के लिए टर्म इंश्योरेंस एक ज़रूरी कदम है। यह एक ऐसा साधन है जो बेहद कम प्रीमियम में आपके परिवार को बड़ा आर्थिक कवच प्रदान करता है। इसके साथ ही, हेल्थ इंश्योरेंस भी बेहद अहम है, क्योंकि अचानक आने वाले मेडिकल खर्च आपकी जमा पूंजी को प्रभावित कर सकते हैं।
इसी के साथ, आपातकालीन फंड बनाना भी समझदारी होती है। कोशिश करें कि इसमें कम से कम छह महीने की आय के बराबर रकम हो। इसे आप लिक्विड फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे विकल्पों में रखें, ताकि ज़रूरत पड़ने पर यह तुरंत आपके काम आ सके।
नियमित समीक्षा और अनुशासित निवेश
फाइनेंशियल प्लानिंग कोई एक बार किया जाने वाला काम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे समय के साथ लगातार सुधारना पड़ता है। हर साल कम से कम एक बार अपने निवेशों की स्थिति पर नज़र डालें और यह जांचें कि वे आपके तय किए गए लक्ष्यों के मुताबिक आगे बढ़ रहे हैं या नहीं। यदि आपकी आय में बढ़ोतरी हुई है, तो उसी अनुपात में निवेश में भी इज़ाफा करें। बोनस, टैक्स रिफंड या कोई अन्य अतिरिक्त आमदनी हो, तो उसका एक हिस्सा बच्चों की भविष्य से जुड़ी योजनाओं में ज़रूर लगाएं।
साथ ही यह भी ज़रूरी है कि फालतू खर्चों पर लगाम लगाई जाए और केवल ज़रूरी चीज़ों पर ही पैसा लगाया जाए। आर्थिक रूप से सजग और अनुशासित रहकर ही आप अपने बच्चों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य की नींव रख सकते हैं।
जो माता-पिता समय रहते बच्चों की पढ़ाई और विवाह को ध्यान में रखकर योजना बनाते हैं, वे न केवल अपने कर्तव्यों को बेहतर ढंग से निभा पाते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी चैन महसूस करते हैं। यह एक ऐसा प्रयास होता है, जो बच्चों को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास से करने की ताक़त भी देता है।
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