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US Tariff Shock Hits Textile Exports: ट्रंप के टैरिफ का झटका - भारतीय टेक्सटाइल निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ीं
US Tariff Shock Hits Textile Exports: अमेरिका के नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को झटका, वियतनाम- इंडोनेशिया को मिल रही कीमतों में बढ़त।
US Tariff Shock Hits Textile Exports
US Tariff Shock Hits Textile Exports भारत के वस्त्र और परिधान उद्योग को अमेरिकी बाजार से हमेशा बड़ी उम्मीदें रही हैं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले वस्त्रों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ और अनिश्चित दंड लगाने की घोषणा ने इस क्षेत्र में हलचल मचा दी है। यह फैसला 1 अगस्त से लागू होगा, और इसका असर खासतौर पर छोटे और मध्यम निर्यातकों पर दिखने की आशंका है। जहां वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश कम टैरिफ के चलते प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर रहे हैं, वहीं भारतीय कंपनियों को ऑर्डर कैंसिल होने और कीमतें घटाने के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय टेक्सटाइल उद्योग पर सीधा असर :
भारत से अमेरिका को वस्त्र निर्यात का बड़ा हिस्सा जाता है। व्यापार विश्लेषण फर्म Cybex Exim Solutions के अनुसार, भारत हर साल लगभग 17 अरब डॉलर का रेडीमेड गारमेंट निर्यात करता है, जिसमें से करीब 5.6 अरब डॉलर सिर्फ अमेरिका को जाता है। ऐसे में 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लगना भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा झटका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ लागत को एक झटके में बढ़ा देगा और कई कंपनियों को या तो ऑर्डर कैंसिल होने का खतरा होगा या फिर उन्हें कीमतें घटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। दूसरी ओर, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को अब अमेरिका में कम टैरिफ दरों के कारण कीमतों में प्रतिस्पर्धा में फायदा मिल रहा है। वियतनाम पर अमेरिका का आयात शुल्क 20% है, जबकि इंडोनेशिया पर यह 19% है, जो भारत की तुलना में काफी कम है।
उद्योग जगत की चिंता और सुझाव :
भारतीय वस्त्र उद्योग की संस्था CITI की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा कि टैरिफ के साथ-साथ जो "अनिश्चित जुर्माना" लगाया गया है, वह निर्यात करने वाले कारोबारियों के लिए और भी बड़ी परेशानी है। उनके मुताबिक, इस कारण आने वाले महीनों के ऑर्डर को लेकर कोई साफ जानकारी नहीं है। इसी वजह से विदेशी खरीदार भी ऑर्डर देने से हिचक रहे हैं।
चंद्रिमा का यह भी मानना है कि भले ही गुणवत्ता के मामले में भारत अभी भी बांग्लादेश और कंबोडिया से आगे है, लेकिन अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो छोटे और मध्यम उत्पादकों पर गंभीर असर पड़ेगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय निर्यातकों को अब अमेरिका पर निर्भरता कम करके अन्य बाजारों जैसे ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जापान, कोरिया और यूएई पर ज्यादा फोकस करना चाहिए।
RSWM Ltd. के संयुक्त प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता का कहना है कि सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि रूस से भारत के संबंधों के चलते लगाए गए दंड को लेकर अब भी स्पष्टता नहीं है। इससे भारतीय व्यापारियों में असमंजस का माहौल बना हुआ है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय उद्यमी इस चुनौती से उबरने में सक्षम हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें सरकार से नीति और टैरिफ को लेकर स्पष्ट दिशा की जरूरत है, खासकर चीन के मुकाबले भारत की स्थिति क्या होगी, यह जानना जरूरी है।
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