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US-Vietnam Deal से कपड़ा उद्योग में हलचल, भारत को सताने लगी चिंता

US-Vietnam Deal Textile Industry: हाल ही में अमेरिका ने वियतनाम के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौता (Trade Deal) किया है, जिसके चलते भारतीय कॉटन और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बेचैनी बढ़ गई है।

Sonal Girhepunje
Published on: 3 July 2025 6:04 PM IST
US-Vietnam Deal Textile Industry
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US-Vietnam Deal Textile Industry

US-Vietnam Deal Textile Industry: हाल ही में अमेरिका ने वियतनाम के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौता (Trade Deal) किया है, जिसके चलते भारतीय कॉटन और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बेचैनी बढ़ गई है। इस डील के तहत अमेरिका अब वियतनाम से आयात होने वाले उत्पादों पर केवल 20% टैरिफ लगाएगा, जबकि भारत से आने वाले उत्पादों पर अब भी 26% का टैरिफ लागू रहेगा। इस असमानता के कारण भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो सकती है।

यह डील ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक बाजारों में मांग में गिरावट और लागत में वृद्धि जैसी समस्याएं पहले से ही उद्योग को प्रभावित कर रही थीं। इसके चलते अब भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों को अमेरिकी बाजार में टिके रहना और अधिक चुनौतीपूर्ण लग रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

BSL लिमिटेड के एमडी निवेदन चूड़ीवाल ने कहा कि “अमेरिका और वियतनाम के बीच यह डील ऐसे समय में हुई है जब पिछले 3-4 महीनों से वैश्विक परिस्थितियाँ लगातार बदल रही हैं। हर दिन कुछ नया सामने आ रहा है, और 9 जुलाई तक की स्थिति को लेकर भी हम पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। जब तक डील का फाइनल डॉक्यूमेंट सामने नहीं आता, तब तक इसके सभी प्रभावों को लेकर कोई ठोस बात नहीं कही जा सकती।”

उन्होंने बताया कि “यह बात स्पष्ट है कि इस समझौते से भारत के कपड़ा निर्यातकों पर दबाव बढ़ेगा। अमेरिका अब वियतनाम से सस्ता सामान मंगा सकेगा, जबकि भारत के सामान पर अधिक शुल्क लगेगा। इस अंतर के चलते भारत की कीमतें तुलनात्मक रूप से महंगी हो जाएंगी, जिससे ऑर्डर वियतनाम की ओर शिफ्ट हो सकते हैं।”

भारत के लिए क्यों चिंता की बात?

भारतीय टेक्सटाइल उद्योग पहले से ही चीन और वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा झेल रहा है। अब जब वियतनाम को अमेरिका से टैरिफ में छूट मिल रही है, तो उसकी निर्यात क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता और बढ़ जाएगी। भारत के लिए यह एक झटका साबित हो सकता है, खासकर तब जब अमेरिका उसका एक बड़ा निर्यात बाजार है।

निवेदन चूड़ीवाल ने कहा कि भारत को जल्द ही अमेरिका के साथ एक समानांतर व्यापार समझौते की दिशा में काम करना चाहिए, जिससे भारतीय उत्पादों को भी टैक्स में राहत मिल सके। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए अपने कॉस्टिंग मॉडल और सप्लाई चेन को और अधिक दक्ष बनाना होगा।

स्पॉट मार्केट और फाइबर पर असर

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कच्चे कपास और फाइबर की कीमतों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। भारत को अपनी स्पॉट प्राइसिंग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। इसके लिए संभव है कि भारत को अपने किसानों और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को सब्सिडी या किसी और माध्यम से सहायता करनी पड़े।

9 जुलाई तक की स्थिति पर नजर

हालांकि अभी 9 जुलाई तक की स्थिति को लेकर उद्योग में अनिश्चितता बनी हुई है। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि उस दिन से अमेरिका और वियतनाम के बीच नई डील औपचारिक रूप से लागू हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय निर्यातकों को तत्काल प्रभाव से नई रणनीति पर काम करना होगा।

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