TRENDING TAGS :
भारत-अमेरिका के बीच होने वाली बड़ी डील! व्हाइट हाउस का ऐलान, मोदी-ट्रंप का लक्ष्य 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना
India-US Trade Deal: भारत-अमेरिका के बीच बड़ा व्यापार समझौता जल्द तय, लक्ष्य 2030 तक $500 बिलियन ट्रेड। मोदी-ट्रंप की मजबूत साझेदारी से डील को मिलेगी रफ्तार।
India-US Trade Deal:
India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बड़ी खबर आई है। व्हाइट हाउस ने इशारा किया है कि इस समझौते पर जल्द ही कोई बड़ा ऐलान हो सकता है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता केरोलीन लैविट ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी व्यापारिक टीम इस समझौते को अंतिम रूप देने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे रिश्ते हैं, और ये रिश्ते आगे भी मजबूत बने रहेंगे। यह व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। इसका लक्ष्य है कि साल 2030 तक भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 500 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाए।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के अच्छे रिश्ते
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता केरोलीन लैविट ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता जल्द होने वाला है, और यह बात बिल्कुल सही है। उन्होंने बताया कि इस डील पर राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी टीम लगातार काम कर रही है। लैविट ने यह भी कहा कि भारत, अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक अहम रणनीतिक साझेदार है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रपति ट्रंप के मजबूत रिश्ते इस डील को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
ट्रेड डील की समय सीमा और लक्ष्य
यह व्यापार समझौता फिलहाल एक अंतरिम डील के रूप में तैयार किया जा रहा है, जिसे 9 जुलाई 2025 तक पूरा करना जरूरी है। इस तारीख के बाद अमेरिका 26% का नया टैरिफ लागू कर सकता है, जिससे भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है। यह अंतरिम डील साल के अंत तक एक पूरा समझौता करने का रास्ता तैयार करेगी।
अंतरिम डील की डेडलाइन: 9 जुलाई 2025
फाइनल डील का लक्ष्य: दिसंबर 2025
2030 तक व्यापार का लक्ष्य: 500 बिलियन डॉलर
भारत और अमेरिका की मांगें व चुनौतियां
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग मांगें और कुछ चुनौतियाँ हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार को उसकी कंपनियों के लिए खोले। इसके अलावा, वह भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों और ऑटोमोबाइल सेक्टर में व्यापार की इजाजत चाहता है। अमेरिका की एक और बड़ी मांग है कि उसे भारत में GM फसलों जैसे मक्का और सोयाबीन को बेचने की मंजूरी मिले। साथ ही, वह चाहता है कि भारत बादाम, सेब और वाइन जैसे अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले टैक्स में कटौती करे।
भारत की मुख्य मांगें:
वहीं दूसरी ओर, भारत की अपनी चिंताएं और मांगें हैं। भारत चाहता है कि उसके किसानों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। भारत यह भी मांग कर रहा है कि अमेरिका स्टील, एल्यूमिनियम और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए भारी टैक्स में राहत दे। इसके अलावा, भारत के श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे कपड़ा, आभूषण, चमड़ा और दवाओं को अमेरिका के बाजार तक बेहतर पहुंच मिले, ताकि इन क्षेत्रों का निर्यात बढ़ सके। इन मांगों पर दोनों देशों के बीच सहमति बनाना आसान नहीं है, और यही इस समझौते की प्रमुख चुनौती है।
अहम अड़चनें
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में कुछ अहम अड़चनें भी सामने आई हैं। भारत, GM (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलों और डेयरी उत्पादों को लेकर काफी सख्त रुख अपनाए हुए है, क्योंकि ये क्षेत्र भारत की कृषि व्यवस्था, किसानों की आजीविका और सांस्कृतिक मूल्यों से सीधे जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, कुछ ऑटो पार्ट्स और खाद्य उत्पादों पर टैक्स (टैरिफ) को लेकर भी दोनों देशों के बीच मतभेद बने हुए हैं, जो समझौते को अंतिम रूप देने में रुकावट पैदा कर रहे हैं।
भारत ने कुछ प्रस्ताव दिए
इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने कुछ प्रस्ताव दिए हैं। भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका से आने वाले बादाम, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और कुछ ऑटो पार्ट्स पर टैक्स में राहत देने को तैयार है। इसके साथ ही भारत ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि वह अमेरिका के लगभग 90% उत्पादों पर टैक्स में धीरे-धीरे कटौती करेगा, ताकि समझौता संतुलित और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी बन सके।
दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर रहा
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार पहले से ही मजबूत है। साल 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर रहा। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। भारत ने पहले से कुछ सामानों पर टैक्स कम किया है, जैसे झींगा, महंगी बाइक और कुछ इलेक्ट्रॉनिक चीजें। माना जा रहा है कि यह डील सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि दोनों देशों की रणनीतिक दोस्ती को भी और गहरा करेगी।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge