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Zero Funding से Success - Zoho Founder श्रीधर वेम्बु का सफर
₹8,700 करोड़ की कंपनी Zoho बिना फंडिंग की सफलता की प्रेरक कहानी
Sridhar Vembu Success Story: श्रीधर वेम्बु की कहानी मेहनत और सपनों की है। तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव से निकलकर उन्होंने Zoho Corporation बनाई। आज इस कंपनी की कीमत लगभग ₹8,700 करोड़ है। सबसे खास बात यह है कि उन्होंने यह सब बिना किसी से फंडिंग लिए किया। उनकी यात्रा बताती है कि मेहनत और हिम्मत से कोई भी काम किया जा सकता है।
बचपन और पढ़ाई
श्रीधर वेम्बु का जन्म 1968 में तमिलनाडु के थंजावुर जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ। बचपन से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्होंने IIT-JEE परीक्षा में 27वाँ स्थान पाया और IIT मद्रास से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद वे अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी गए और वहाँ से पीएचडी की। गाँव से निकलकर इतनी बड़ी सफलता पाने के बाद भी वेम्बु हमेशा साधारण और ज़मीन से जुड़े रहे।
AdventNet की शुरुआत
1994 में श्रीधर वेम्बु ने अमेरिका की Qualcomm कंपनी में नौकरी की। वहाँ वह वायरलेस सिस्टम इंजीनियर बने। नौकरी अच्छी थी और सैलरी भी ज़्यादा थी। लेकिन उनके मन में एक सपना था। वह अपनी खुद की कंपनी बनाना चाहते थे। यही सोच उन्हें उद्यमी बनने की ओर ले गई।
1996 में श्रीधर और उनके भाइयों ने AdventNet कंपनी की नींव रखी। उनका पहला प्रोडक्ट Web NMS बहुत सफल रहा और अमेरिका में HP जैसी बड़ी कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया। 2000 तक AdventNet की कमाई ₹50 करोड़ तक पहुँच गई और उनके क्लाइंट्स में Cisco जैसी दिग्गज कंपनी शामिल हो गई। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन जल्द ही मुश्किलें सामने आईं।
डॉट-कॉम क्रैश और वापसी
साल 2001 में आए डॉट-कॉम क्रैश ने AdventNet को लगभग खत्म कर दिया। कंपनी के 150 ग्राहक घटकर सिर्फ 3 रह गए। यह किसी भी बिज़नेस के लिए सबसे कठिन दौर था, लेकिन श्रीधर वेम्बु (Sridhar Vembu) ने हार नहीं मानी। उन्होंने कंपनी बेचने से इनकार कर दिया और अपनी निजी बचत से कर्मचारियों को सैलरी दी। वे चार साल तक खुद कोई वेतन नहीं लेते रहे, लेकिन किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला। इसी संघर्ष के समय उन्होंने नया प्रोडक्ट ManageEngine लॉन्च किया, जो मिड-साइज़ कंपनियों के लिए आईटी मैनेजमेंट टूल था। यह प्रोडक्ट इतना सफल रहा कि Fortune 500 की 60% कंपनियों ने इसे अपनाया।
Zoho का जन्म और सफलता
2005 में श्रीधर वेम्बु ने Zoho नाम खरीदा और इसी साल कंपनी ने Zoho CRM लॉन्च किया। यह प्रोडक्ट इतना लोकप्रिय हुआ कि 2008 तक करीब 10 लाख यूज़र Zoho से जुड़ चुके थे। 2009 में कंपनी का नाम बदलकर Zoho Corporation रखा गया। Zoho की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह उच्च गुणवत्ता वाला सॉफ्टवेयर कम कीमत पर देती थी। यही रणनीति उसे Microsoft और Salesforce जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियों से अलग पहचान दिलाने में सफल रही। आज Zoho की यही सोच उसे दुनिया भर में एक भरोसेमंद और किफायती सॉफ्टवेयर कंपनी बनाती है।
₹8,700 करोड़ की कंपनी
Zoho की ग्रोथ साल दर साल बढ़ती गई। कोरोना महामारी के समय भी कंपनी ने शानदार प्रदर्शन किया और सबको हैरान कर दिया। साल 2020-21 में Zoho ने लगभग ₹6,711 करोड़ की कमाई की और करीब ₹1,918 करोड़ का मुनाफा कमाया। आज Zoho की वैल्यू ₹8,700 करोड़ तक पहुँच चुकी है। सबसे खास बात यह है कि Zoho ने यह सब बिना किसी बाहरी फंडिंग (Funding) के किया। यही कारण है कि आज Zoho को दुनिया की सबसे सफल और भरोसेमंद सॉफ्टवेयर कंपनियों में गिना जाता है।
सम्मान, कुल संपत्ति और उपलब्धियाँ
रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीधर वेम्बु की नेट वर्थ लगभग ₹50,000 करोड़ है। उनकी कंपनी Zoho आज दुनिया की टॉप सॉफ्टवेयर कंपनियों में गिनी जाती है। अपनी मेहनत और योगदान के लिए श्रीधर वेम्बु को कई बड़े सम्मान भी मिले हैं। उन्हें 2019 में Ernst & Young Entrepreneur of the Year, 2021 में भारत सरकार की ओर से पद्म श्री और 2022 में CNN-News18 Indian of the Year का खिताब दिया गया।
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