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Paytm Success Story: 10 रुपये से Paytm तक का सफर, उत्तर प्रदेश के विजय शेखर शर्मा की संघर्षमयी कहानी
VIjay Shekhar Sharma Success Story: Paytm की नींव रखने वाले उत्तर प्रदेश के विजय शेखर शर्मा की प्रेरणादायक संघर्ष गाथा - 10 रुपये से अरबों तक का सफर।
Paytm Founder VIjay Shekhar Sharma Success Story (Photo - Social Media)
VIjay Shekhar Sharma Success Story: विजय शेखर शर्मा, एक ऐसा नाम जो आज भारत के हर कोने में डिजिटल भुगतान का पर्याय बन चुका है। लेकिन जब उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की, तब उनके पास न तो पैसा था, न पहुंच, और न ही कोई बड़ा समर्थन। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर अलीगढ़ से निकलकर विजय ने ऐसी ऊंचाइयों को छुआ, जिसकी कल्पना उन्होंने खुद भी मुश्किल हालातों में की थी। उनके जीवन में गरीबी, भाषा की रुकावट, और कई असफलताएं आईं, लेकिन इन सबसे ऊपर रहा उनका आत्मविश्वास और कुछ कर गुजरने की चाह। इस लेख में जानिए कैसे विजय शेखर शर्मा ने अपने संघर्षों को ताकत बनाया और भारत को दिया Paytm जैसा डिजिटल बदलाव का औज़ार।
शुरुआती जीवन और संघर्ष :
विजय शेखर शर्मा का जन्म 1978 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में एक साधारण शिक्षक परिवार में हुआ। बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ विजय, मात्र 15 साल की उम्र में 12वीं पास कर चुके थे और 17 साल में दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में दाख़िला ले चुके थे।
कॉलेज पहुंचते ही उन्हें पहली बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा - अंग्रेजी भाषा। हिंदी माध्यम से पढ़े विजय को समझ ही नहीं आता था कि प्रोफेसर क्या पढ़ा रहे हैं। साथी छात्रों की अंग्रेज़ी भी उन्हें डराने लगी। वह किताबें समझने के लिए हिंदी-इंग्लिश डिक्शनरी के सहारे दिन-रात एक कर देते थे। कई बार खुद पर संदेह हुआ, लेकिन पढ़ाई छोड़ने का विचार कभी नहीं आया।
इस दौरान विजय ने टेक्नोलॉजी और इंटरनेट की ताकत को पहचाना। उन्होंने कॉलेज में रहते हुए ही वेबसाइट बनाना सीखा और कोडिंग में खुद को मजबूत किया।
पहला स्टार्टअप और धोखा :
कॉलेज के दिनों में ही विजय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर indiasite.net नाम से एक वेबसाइट बनाई। यह वेबसाइट 1999 में 10 लाख डॉलर में बेच दिया गया। इसके बाद उन्होंने One97 Communications की नींव रखी, जो आगे चलकर Paytm की जननी बनी।
हालांकि शुरुआत इतनी आसान नहीं थी। कंपनी को चलाने के लिए पैसे नहीं थे। विजय को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ा। कई बार वे खाने के लिए भी पैसे नहीं जुटा पाते थे। किराया भरने तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपने पार्टनर पर भरोसा कर के दस्तावेज़ों पर साइन कर दिए और धोखा खा गए। उन्हें कंपनी के हिस्से से बाहर निकाल दिया गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
Paytm का जन्म: एक आइडिया जो बदल गया क्रांति में :
2010 में विजय ने मोबाइल पेमेंट प्लेटफॉर्म Paytm की शुरुआत की। उस समय लोग ऑनलाइन पेमेंट को लेकर काफी आशंकित रहते थे। उन्हें भरोसा नहीं था कि मोबाइल से पैसे भेजे या मंगवाए जा सकते हैं। विजय को कई निवेशकों ने मना किया, लेकिन उन्होंने अपने विश्वास को बनाए रखा।
विजय शेखर शर्मा ने शुरुआत में पेटीएम पर मोबाइल रिचार्ज और बिल पेमेंट की सुविधा दी, जो तुरंत लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके ट्रेन टिकट बुकिंग, बिजली और पानी के बिल का भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग और मर्चेंट पेमेंट जैसी कई सेवाएं प्लेटफॉर्म पर जोड़ दीं, जिससे पेटीएम देशभर में डिजिटल भुगतान का प्रमुख माध्यम बन गया।
उनके इस विजन को असली उड़ान मिली जब 2016 में भारत सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की। देशभर में कैश की कमी हो गई और लोग डिजिटल पेमेंट की तरफ मुड़ने लगे। Paytm उस समय सबसे पहले तैयार था। इसके बाद Paytm की डाउनलोड संख्या और यूज़र्स की संख्या में जबरदस्त उछाल आया।
संघर्ष से सफलता तक का सफर :
पेटीएम को मजबूती से खड़ा करने के लिए विजय शेखर शर्मा ने One97 कम्युनिकेशंस के अपने शेयर तक गिरवी रख दिए। हालात कई बार इतने कठिन हुए कि कंपनी के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा, मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ते रहे।
2017 तक Paytm भारत का सबसे बड़ा मोबाइल पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका था। विजय शेखर शर्मा देश के सबसे युवा अरबपतियों में से एक बन गए। लेकिन उन्होंने आज तक खुद को जमीन से जुड़ा रखा है।
विजय की यह कहानी हमें बताती है कि असली सफलता वही है जो कठिनाइयों के बीच भी डटी रहे। उन्होंने भाषा, पैसे, धोखे और मानसिक दबाव जैसी तमाम चुनौतियों का डटकर सामना किया और अंत में खुद को एक विजेता के रूप में खड़ा किया।
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